जयपुर: राजस्थान में 6 जिले जयपुर, जोधपुर ,सिरोही, दोसा ,सवाई माधोपुर और भरतपुर में पंचायती राज चुनाव का अंतिम और तीसरे चरण का आज (1 सितंबर) मतदान हो रहा है. कांग्रेस पार्टी ने इसे लेकर स्ट्रैटजी तैयार की है. जीते हुए और हारे हुए कैंडिडेट्स को लेकर अलग-अलग रणनीति है.
कांग्रेस ने 2 चरणों के मतदान बाद पंचायत समिति सदस्य प्रत्याशियों और जिला परिषद प्रत्याशियों को स्थानीय स्तर पर बाड़ाबंदी में भेज दिया. अब 4 सितंबर जारी होने वाले नतीजों के बाद जीतने वाले प्रत्याशियों को बाड़ाबंदी में ही 6 सितंबर तक रखा जाएगा ,जबकि हारे हुए प्रत्याशियों को घर भेज दिया जाएगा.
'सीक्रेट प्लेस' पर बाड़ाबंदी
चुनाव जीतने वाले जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्य 6 सितंबर तक बाड़ाबंदी में रहेंगे और 6 सितंबर को जब इन 6 जिलों में प्रधान और जिला प्रमुख का मतदान होगा तो इन सभी को सीधे मतदान स्थल तक ले जाया जाएगा और मतदान के बाद ही सभी जीते हुए पंचायत समिति सदस्यों और जिला परिषद सदस्यों को घर जाने की इजाजत होगी. इन प्रत्याशियों को अब तक तो संबंधित जिलों में ही गुप्त रूप से ठहराया गया है. जिसमें फार्म हाउस और रिजॉर्ट भी शामिल है.
इस बाड़ा बंदी में कांग्रेस विधायकों ने अपने विश्वस्त लोगों को ही बाड़ाबंदी की व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी दी है, जबकि कांग्रेस के जिला प्रभारियों और प्रत्याशियों की इस प्रक्रिया से दूर रखा गया है.
विधायकों के जिम्मे है बाड़ाबन्दी,जहां विधायक नही वहां अब तक नही हुई बाड़ाबन्दी
कांग्रेस पार्टी में टिकट क्योंकि विधायकों के कहने पर दिए गए थे ऐसे में सभी प्रत्याशियों को एक जगह रखने की जिम्मेदारी भी कांग्रेस और कांग्रेस समर्थित निर्दलीय विधायकों को ही सौंपी गई है. दरअसल जिला प्रमुख और प्रधान बनाने का टास्क भी विधायकों को दिया गया है,ऐसे में बाड़ाबंदी के साथ ही प्रधान ओर जिलापरिषद सदस्यों को मतदान कैसे करना है उसकी ट्रेनिंग भी इसी बाड़ाबंदी में दी जाएगी.
6 मंत्री और 18 विधायकों पर दारोमदार
इन चुनावों में बाड़ाबंदी की जिम्मेदारी 6 मंत्रियों ओर कांग्रेस और कांग्रेस समर्थित 22 विधायको को दी गई है. गहलोत सरकार के मंत्रियों में लालचंद कटारिया, ममता भूपेश, परसादी लाल मीणा, राजेंद्र यादव, भजन लाल जाटव और सुभाष गर्ग के विधानसभा क्षेत्र में चुनाव है. वहीं 18 कांग्रेस विधायकों के क्षेत्र में चुनाव है. इन कांग्रेस विधायकों में हीरालाल मेघवाल, विश्वेंद्र सिंह ,अशोक बैरवा, महेंद्र बिश्नोई, किशना राम विश्नोई, इंदिरा मीना,जाहिदा खान ,इंद्राज गुर्जर, वेद प्रकाश सोलंकी ,अमर सिंह जाटव, वाजिब अली, दानिश अबरार,जोगिंदर अवाना, मुरारी लाल मीणा, गोपाल मीणा,जी आर खटाणा, मीना कंवर और दिव्या मदेरणा शामिल हैं.
कांग्रेस समर्थित निर्दलीय विधायक
निर्दलीय कांग्रेस समर्थित विधायकों में बाबूलाल नागर, लक्ष्मण मीणा, आलोक बेनीवाल, ओम प्रकाश हुडला, संयम लोढ़ा और रामकेश मीणा हैं. इनके इलाकों की बाड़ेबंदी की जिम्मेदारी भी इन्हीं लोगों को सौंपी गई है.
जहां विधायक नहीं वहां बाड़ाबंदी भी अब तक नहीं, विधायक निर्दलीयों और बागियों के भी संपर्क में
राजस्थान में कांग्रेस और कांग्रेस समर्थित विधायकों ने जहां चुनाव हो चुके हैं वहां के कांग्रेस प्रत्याशियों को बाड़ाबंदी में ले लिया है. वहीं तीसरे चरण का मतदान सम्पन्न होते ही इस फेस के प्रत्याशियों को भी बाड़ाबंदी में ले लिया जाएगा. लेकिन जहां कांग्रेस या कांग्रेस के समर्थित विधायक नहीं है वहां अब तक बाड़ाबंदी भी नहीं हो सकी है.
बाड़ाबंदी न कराने की वजह है ये!
सवाल उठता है कि जहां विधायक नहीं तो बाड़ाबंदी नहीं की पॉलिसी क्यों अपनाई गई. तो इसका कारण है असमंजस की स्थिति. दरअसल जहां कांग्रेस या कांग्रेस के समर्थित विधायक नहीं है वहां अब तक यह निर्णय नहीं हो सका है कि बाड़ाबंदी किस नेता को करवानी है. ऐसे में प्रत्याशियों की फेंसिंग को लेकर मामला अटका हुआ है.