जयपुर. पूर्व आईएएस जीएस संधू (Ex IAS GS Sandhu) को यूडीएच विभाग (UDH Department Rajasthan) का सलाहकार नियुक्त करने के साथ ही उन्होंने अपना विभाग संभाल लिया है. शुक्रवार को नगर नियोजन विभाग में पहुंचे संधू ने सभी विभागीय अधिकारियों से 'प्रशासन शहरों के संग' अभियान को लेकर चर्चा की. साथ ही जानकारी दी कि इसकी आगामी रूपरेखा तैयार करने पर विस्तृत चर्चा 21 जून को करेंगे. इससे ये साफ कर दिया कि संधू को जिस काम के लिए विभाग में दोबारा जोड़ा गया है, वो उसमें कहीं भी कोताही नहीं बरतेंगे.
दरअसल, कोरोना संक्रमण के इस दौर में राजस्थान सरकार ने नगरीय विकास विभाग के रास्ते अब खुद की माली हालत सुधारने के लिए पुराने भरोसेमंद अफसरों को तहजीह देते हुए नियुक्त करने का सिलसिला तेज कर दिया है. इसी कड़ी में यूडीएच विभाग के प्रमुख सचिव रहे चुके जीएस संधू को अशोक गहलोत सरकार के तीसरे कार्यकाल में यूडीएच विभाग में बतौर सलाहकार नियुक्त किया है.
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शांति धारीवाल से नजदीकियां
जीएस संधू एकल पट्टा प्रकरण में शांति धारीवाल के साथ आरोप और कानूनी प्रक्रिया का सामना कर चुके हैं. संधू ही वो अफसर हैं जिनके साथ मिलकर शांति धारीवाल ने अशोक गहलोत की तरफ से दिए गए हर टास्क को पूरा करके दिखाया है. यही वजह है कि जब ढाई साल बीतने के बाद भी नगरीय विकास विभाग में सरकार की मर्जी से काम नहीं हो पाया, तो हाउसिंग बोर्ड में खुद चेयरमैन के तौर पर मंत्री धारीवाल ने पद संभाला. अब अपने पुराने जोड़ीदार रहे जीएस संधू को यूडीएच विभाग में बतौर सलाहकार नियुक्ति दिलाई है.
'प्रशासन शहरों के संग' अभियान की बड़ी जिम्मेदारी
धारीवाल और संधू की जोड़ी के आने के बाद उम्मीद की जा रही है कि 'प्रशासन शहरों के संग' अभियान में पट्टे वितरण को लेकर उठ रहे सवालों के बीच, ये जोड़ी अपने अनुभव के आधार पर कानूनी बाधाओं को दूर भी कर देगी. शहरों की पुरानी आबादी वाले इलाकों में मकानों के पट्टे का मामला हो, चाहे कृषि भूमि पर अवैध तरीके से बसी कॉलोनी का, इनके समाधान ढूंढने की जिम्मेदारी जीएस संधू पर होगी.
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जमीन की दिक्कत दूर करने पर भी नजर
प्रदेश में पूर्व के राजघरानों की जमीनों पर वर्षों से कॉलोनियां बसी हुई हैं जिनके नियमन की भी तैयारी की जा रही है. पूर्व राजघरानों की जमीनों पर बसी कॉलोनियों से जुड़े प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन हैं. ऐसे में सरकार का प्रयास है किलोगों को वहीं पट्टा मिले, जहां वो वर्षों से रह रहे हैं. अब बीच का रास्ता निकालने की जिम्मेदारी जीएस संधू के कंधों पर होगी.