जयपुर. सीएम अशोक गहलोत गुरुवार को मुख्यमंत्री निवास से वीडियो कांफ्रेंस के जरिए घना पक्षी अभयारण्य में पानी पहुंचाने को लेकर समीक्षा कर दिशा-निर्देश दे रहे थे. उन्होंने कहा कि यह यूनेस्को वल्र्ड हैरिटेज साइट होने के साथ-साथ रामसर साइट भी है. पर्यटन के साथ-साथ पक्षियों पर रिसर्च के लिए भी इस उद्यान का अपना महत्व है. इस पार्क के संरक्षण और संवर्द्धन को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि समय रहते पानी उपलब्ध कराने के लिए गंभीर प्रयास किया जाना बेहद जरूरी है.
इसके सभी विकल्प तलाशे जाएं. मुख्यमंत्री ने बैठक के दौरान पांचना लिफ्ट इरीगेशन प्रोजेक्ट की प्रगति की भी समीक्षा की. उन्होंने जल संसाधन विभाग के सचिव नवीन महाजन को निर्देश दिए कि इस परियोजना का काम जल्द पूरा किया जाए ताकि आगामी रबी सीजन में किसानों को इसका लाभ मिल सके. प्रमुख शासन सचिव वन और पर्यावरण श्रेया गुहा ने बताया कि इस उद्यान के लिए प्रतिवर्ष 550 एमसीएफटी पानी की आवश्यकता रहती है. उद्यान में पक्षियों और पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने के लिए पानी की यह मात्रा प्राप्त होना जरूरी है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में उपलब्ध स्रोतों से बीते 20 सालों में अधिकतर समय पूरा पानी नहीं मिल सका है. जिसका असर यहां की जैव विविधता पर पड़ रहा है.
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शासन सचिव जल संसाधन नवीन महाजन ने जल की उपलब्धता को लेकर सभी स्रोतों के संबंध में वस्तुस्थिति से अवगत कराया. उन्होंने कहा कि विभाग सभी पहलुओं पर गुणावगुण के आधार पर विचार करते हुए उद्यान के लिए कार्ययोजना तैयार करने के प्रयास कर रहा है. डीएफओ, केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान श्री मोहित गुप्ता ने विगत 20
वर्षों में उद्यान में जल की उपलब्धता, वर्तमान स्थिति तथा संभावित समाधान को लेकर प्रस्तुतीकरण दिया. बैठक में वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री सुखराम विश्नोई, मुख्य सचिव राजीव स्वरूप, अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त निरंजन आर्य, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (हाॅफ) जीवी रेड्डी, चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन अरिन्दम तोमर, प्रमुख सचिव जलदाय राजेश यादव सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे.