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World Elephant Day: कोरोना के चलते इस बार हाथियों ने नहीं किया केक काटकर सेलिब्रेशन

12 अगस्त को विश्व हाथी दिवस के रूप में मनाया जाता है. हाथियों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए विश्व हाथी दिवस मनाया जाता है. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते पर्यटन नगरी आमेर के हाथी गांव में World Elephant Day नहीं मनाया गया. कोरोना संक्रमण के चलते 18 मार्च से हाथी सवारी बंद है.

Corona virus effect on elephants, हाथियों पर कोरोना वायरस प्रभाव
हाथी गांव में नहीं हुआ सेलिब्रेशन
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Published : Aug 12, 2020, 9:41 PM IST

जयपुर. कोरोना काल से पहले हर साल World Elephant Day के अवसर पर हाथी गांव में हाथियों की ओर से केक काटकर सेलिब्रेट किया जाता था. लेकिन इस बार कोरोना के चलते इस दिन को पहले की तरह सेलिब्रेट नहीं किया गया. कोरोना संकट के चलते हाथी जैसे भीमकाय जीव का पालन पोषण करना भी मुश्किल हो गया है.

हाथी गांव और आमेर महल में सवारी पर रोक लगने से सारे हाथी अपने ठाणों में ही आराम कर रहे हैं. हाथियों पर हजारों रुपए रोजाना खर्च हो रहा है. हाथियों का प्रिय भोजन गन्ना पहले 400 रुपए क्विंटल मिल रहा था, जो कि अब महंगा हो गया है. इन तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद यहां के हाथी मालिक इन्हें पाल रहे हैं.

हाथी गांव में नहीं हुआ सेलिब्रेशन

पढ़ें- World Elephant Day: हथिनी 'सोनकली' का उपचार करने UP से पहुंची डॉक्टर्स की विशेष टीम

हाथी मालिक आसिफ खान ने बताया कि इन हाथियों ने हमें बरसो तक पाला है. संकट के इस दौर में हाथियों को अकेले कैसे छोड़ दें, इन्हें तो चारा देना ही है. कई 4 महीने से आमेर महल और हाथी गांव में हाथी सवारी बंद है. इसका सीधा असर हाथी मालिकों और महावतों की रोजी-रोटी पर पड़ रहा है. हाथी गांव में 100 के करीब हाथी हैं.

वन विभाग पहले हाथी कल्याण संस्था से रोजाना के 600 रुपए प्रति हाथी दे रहा था. मार्च और अप्रैल महीने तक कि यह सहायता राशि दी गई. इसके बाद करीब 4 महीने से यह भी मिलना बंद हो गया है. इस कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते पहली बार हाथी सवारी से लंबे समय से बंद है.

पढ़ें- उदयपुरः दिनों दिन बिगड़ रही सोनकली की सेहत, अब इलाज करने के लिए यूपी से आएंगे डॉक्टर

कोरोना संक्रमण के चलते 18 मार्च से आमेर महल में हाथी सवारी बंद है. वहीं दूसरी ओर अभी गुलाबी नगरी के पर्यटन स्थलों पर भी पर्यटकों की संख्या ज्यादा नहीं आ रही है. हाथी मालिकों ने बताया कि कुछ समय पहले हाथियों की भी कोरोना जांच गई है. इसमें सभी हाथी स्वस्थ बताया गए हैं. हर साल मेडिकल कैंप लगाकर उनके स्वास्थ्य की जांच भी की जाती है.

हाथी मालिकों की माने तो एक हाथी के खाने-पीने और दवाइयों पर एक दिन में करीब 2500 रुपए का खर्च आता है. हाथी मालिकों ने हाथियों के पालन पोषण में राज्य सरकार और हाथी कल्याण संस्था से मदद की मांग की है. जिससे भीमकाय जैसे हाथी का पालन पोषण किया जा सके.

जयपुर. कोरोना काल से पहले हर साल World Elephant Day के अवसर पर हाथी गांव में हाथियों की ओर से केक काटकर सेलिब्रेट किया जाता था. लेकिन इस बार कोरोना के चलते इस दिन को पहले की तरह सेलिब्रेट नहीं किया गया. कोरोना संकट के चलते हाथी जैसे भीमकाय जीव का पालन पोषण करना भी मुश्किल हो गया है.

हाथी गांव और आमेर महल में सवारी पर रोक लगने से सारे हाथी अपने ठाणों में ही आराम कर रहे हैं. हाथियों पर हजारों रुपए रोजाना खर्च हो रहा है. हाथियों का प्रिय भोजन गन्ना पहले 400 रुपए क्विंटल मिल रहा था, जो कि अब महंगा हो गया है. इन तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद यहां के हाथी मालिक इन्हें पाल रहे हैं.

हाथी गांव में नहीं हुआ सेलिब्रेशन

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हाथी मालिक आसिफ खान ने बताया कि इन हाथियों ने हमें बरसो तक पाला है. संकट के इस दौर में हाथियों को अकेले कैसे छोड़ दें, इन्हें तो चारा देना ही है. कई 4 महीने से आमेर महल और हाथी गांव में हाथी सवारी बंद है. इसका सीधा असर हाथी मालिकों और महावतों की रोजी-रोटी पर पड़ रहा है. हाथी गांव में 100 के करीब हाथी हैं.

वन विभाग पहले हाथी कल्याण संस्था से रोजाना के 600 रुपए प्रति हाथी दे रहा था. मार्च और अप्रैल महीने तक कि यह सहायता राशि दी गई. इसके बाद करीब 4 महीने से यह भी मिलना बंद हो गया है. इस कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते पहली बार हाथी सवारी से लंबे समय से बंद है.

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कोरोना संक्रमण के चलते 18 मार्च से आमेर महल में हाथी सवारी बंद है. वहीं दूसरी ओर अभी गुलाबी नगरी के पर्यटन स्थलों पर भी पर्यटकों की संख्या ज्यादा नहीं आ रही है. हाथी मालिकों ने बताया कि कुछ समय पहले हाथियों की भी कोरोना जांच गई है. इसमें सभी हाथी स्वस्थ बताया गए हैं. हर साल मेडिकल कैंप लगाकर उनके स्वास्थ्य की जांच भी की जाती है.

हाथी मालिकों की माने तो एक हाथी के खाने-पीने और दवाइयों पर एक दिन में करीब 2500 रुपए का खर्च आता है. हाथी मालिकों ने हाथियों के पालन पोषण में राज्य सरकार और हाथी कल्याण संस्था से मदद की मांग की है. जिससे भीमकाय जैसे हाथी का पालन पोषण किया जा सके.

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