अजमेर. देशभर में 1 अगस्त को ईद मनाई जाएगी. जिसको लेकर अजमेर सूफी संत ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह के शहर काजी तौफीक अहमद सिद्धकी ने अपना बयान जारी करते हुए मुस्लिम समाज के लोगों से अपने घरों में ही रहकर ईद बनाने की अपील की है. उन्होंने कहा कि हाल फिलहाल अभी तक कोविड-19 महामारी खत्म नहीं हुई है, इसलिए सभी सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए ईद-उल-अजहा की नमाज अदा करें.
सिद्दीकी ने कहा कि लगातार कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. जिसको देखते हुए अजमेर सूफी संत ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह और केसर गंज स्थित ईदगाह में किसी भी तरह की नमाज को अदा नहीं की जाएगी. सभी लोगों से अपील की गई कि वह इस महामारी को ध्यान में रखते हुए अपने घरों में ही रहकर परिवार के साथ बकरीद मनाएं.
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वहीं दरगाह कमेटी के नाजिम शकील अहमद ने कहा कि अभी तक केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार धार्मिक स्थलों को नहीं खोला गया है, इसलिए कोई भी व्यक्ति दरगाह शरीफ ना आए. ईद- उल-अजहा के पावन मौके पर वह अपने परिवार के साथ ईद की नमाज अदा करते हुए ईद घर पर ही मनाए. वहीं उन्होंने कहा कि बकरीद पर काफी संख्या में लोग कुर्बानी देते हैं, लेकिन इस बात का ख्याल निश्चित तौर पर रखा जाए की कुर्बानी के समय साफ सफाई का ध्यान रखते हुए कुर्बानी करें.
क्यों मनाई जाती है बकरीद
इस्लाम मजहब की मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि अल्लाह ने हजरत इब्राहिम से सपने में उनकी सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी मांगी थी. हजरत इब्राहिम अपने बेटे से बहुत प्यार करते थे. लिहाजा उन्होंने अपने बेटे की कुर्बानी देने का फैसला किया. अल्लाह के हुक्म की फरमानी करते हुए हजरत इब्राहिम ने जैसे ही अपने बेटे की कुर्बानी देनी चाही तो अल्लाह ने एक बकरे की कुर्बानी दिलवा दी. कहते हैं तभी से बकरीद का त्योहार मनाया जाने लगा. इसलिए ईद-उल-अजहा यानी बकरीद हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में ही मनाया जाता है.