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संकट में इतिहास के खेवनहार....लॉकडाउन से राव समाज के सामने आर्थिक तंगी

आम आदमी का इतिहास विश्व में सिर्फ भारत में लिखा जाता है. पीढ़ी दर पीढ़ी समाज का एक तबका पूर्वजों के इतिहास को संजोए चलता है और इसी से इस समाज की आजीविका भी चलती है. लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना ने समाज के इस तबके को भी बुरी तरह प्रभावित किया है. जजमानी करके परिवार पालने वाले इस राव समाज के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. इतिहास को संजोए रखने वालों पर सरकार कब मेहरबान होगी, इसकी आस इस समाज को आज भी है.

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राव समाज पर कोरोना का असर
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Published : May 26, 2020, 7:38 PM IST

जयपुर. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण करीब 60 दिन से लगे देशव्यापी लॉकडाउन के कारण सभी उद्योग धंधे, व्यापार और अन्य आर्थिक गतिविधियां बंद हो गई है. इससे मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. इसके साथ ही परंपरागत काम करने वाले समाज भी इस महामारी के चलते आर्थिक संकट में आ गया है. इनमें से एक समाज है 'राव समाज'.

राव समाज पर कोरोना का असर

सृष्टि की उत्पत्ति और भगवान के अवतार से चंद्रवंशी और सूर्यवंशी भागों में बांटकर पीढ़ी दर पीढ़ी जन्म तारीख, ननिहाल, ससुराल और जातियों का विस्तृत विवरण डिंगल और पिंगल भाषा मे ये समाज अपनी बहियों में लिखता आ रहा है. वंशावली में सामूहिक वाचन प्रत्येक समाज के अलग-अलग बहियों में राव समाज के लोगों की ओर से आज भी किया जाता है.

बही वाचन 21वीं सदी में भी जारी

पूर्वजों के इतिहास और उत्तरोत्तर नामावली को संरक्षित रख उनके वंशजों को सुनाने की राव समाज के लोगों की ओर से बही वाचन की प्रथा 21वीं सदी में भी जारी है. राव समाज के बुजुर्ग बताते हैं कि विश्व में एकमात्र भारत ही ऐसा देश है जहां आम आदमी का इतिहास लिखा जाता है. उनका कहना है कि बांकि देशों में सिर्फ राजा महाराजा या प्रभावशाली का ही इतिहास लिखा जाता है.

इतिहास को संजोए रखता है राव समाज

बता दें कि आम आदमी के इस इतिहास को संजोए रखने का काम पूरे भारत में राव समाज की ओर से किया जाता है. इस समाज की आजीविका भी इसी पर टिकी रहती है, लेकिन कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन ने इस समाज के सामने आर्थिक संकट खड़ा कर दिया है. वहीं, ये संकट कितने दिन रहेगा ये भी अभी साफ नहीं है. ऐसे में प्रदेश सरकार को चाहिए की इस समाज के लिए विशेष आर्थिक पैकेज जारी करें.

पढ़ें- सोशल डिस्टेंस के साथ पटरी पर आया पाली का कपड़ा उद्योग

दरअसल, राव समाज पीढ़ी दर पीढ़ी जन्म तारीख, ननिहाल, ससुराल और जातियों का विस्तृत विवरण डिंगल और पिंगल भाषा में अपनी बहियों में लिखता है. रबी और खरीफ फसल के वक्त ये समाज देश के अलग-अलग राज्यों और जिलों में बही का वाचन करने के लिए जाते हैं, लेकिन इस बार सीजन शुरू होने के साथ लॉकडाउन हो गया.

परिवार का पालन-पोषण मुश्किल

राव समाज के बुजुर्गों का कहना है कि कोरोना वायरस का संक्रमण नहीं फैले, इसकी वजह से जब तक माहौल सही नहीं हो जाता तब तक समाज का कोई भी व्यक्ति जजमानी के लिए नहीं जाएगा. उनका कहना है कि ऐसे में इस समाज के लोगों के सामने अपने परिवार का पालन पोषण करना मुश्किल हो गया है.

पढ़ें- घटता पानी, जूझते लोग और प्रशासन के दावों के बीच हांफता हैंडपंप...कुछ ऐसी ही है आदिवासियों की जिंदगी

राव समाज जब भी जजमानी के लिए जाते हैं तो उस गांव के लोग रहवास के दौरान बड़ी खुशी और हर्ष के साथ अतिथि सेवा करते हैं. रावजी की बही में अपने परिवार के नए सदस्य का नाम दर्ज करवाने पर यजमान नजराना पेश करते हैं और उसी से राव समाज के परिवारों का भरण पोषण होता है. इतिहास और पूर्वजों की विरासत को संजोने वाला राव समाज आर्थिक संकट के गुजर रहा है. ऐसे में जरूरत है कि सरकार इस समाज की ओर ध्यान देने के साथ आर्थिक सहायता उपलब्ध कराए.

जयपुर. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण करीब 60 दिन से लगे देशव्यापी लॉकडाउन के कारण सभी उद्योग धंधे, व्यापार और अन्य आर्थिक गतिविधियां बंद हो गई है. इससे मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. इसके साथ ही परंपरागत काम करने वाले समाज भी इस महामारी के चलते आर्थिक संकट में आ गया है. इनमें से एक समाज है 'राव समाज'.

राव समाज पर कोरोना का असर

सृष्टि की उत्पत्ति और भगवान के अवतार से चंद्रवंशी और सूर्यवंशी भागों में बांटकर पीढ़ी दर पीढ़ी जन्म तारीख, ननिहाल, ससुराल और जातियों का विस्तृत विवरण डिंगल और पिंगल भाषा मे ये समाज अपनी बहियों में लिखता आ रहा है. वंशावली में सामूहिक वाचन प्रत्येक समाज के अलग-अलग बहियों में राव समाज के लोगों की ओर से आज भी किया जाता है.

बही वाचन 21वीं सदी में भी जारी

पूर्वजों के इतिहास और उत्तरोत्तर नामावली को संरक्षित रख उनके वंशजों को सुनाने की राव समाज के लोगों की ओर से बही वाचन की प्रथा 21वीं सदी में भी जारी है. राव समाज के बुजुर्ग बताते हैं कि विश्व में एकमात्र भारत ही ऐसा देश है जहां आम आदमी का इतिहास लिखा जाता है. उनका कहना है कि बांकि देशों में सिर्फ राजा महाराजा या प्रभावशाली का ही इतिहास लिखा जाता है.

इतिहास को संजोए रखता है राव समाज

बता दें कि आम आदमी के इस इतिहास को संजोए रखने का काम पूरे भारत में राव समाज की ओर से किया जाता है. इस समाज की आजीविका भी इसी पर टिकी रहती है, लेकिन कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन ने इस समाज के सामने आर्थिक संकट खड़ा कर दिया है. वहीं, ये संकट कितने दिन रहेगा ये भी अभी साफ नहीं है. ऐसे में प्रदेश सरकार को चाहिए की इस समाज के लिए विशेष आर्थिक पैकेज जारी करें.

पढ़ें- सोशल डिस्टेंस के साथ पटरी पर आया पाली का कपड़ा उद्योग

दरअसल, राव समाज पीढ़ी दर पीढ़ी जन्म तारीख, ननिहाल, ससुराल और जातियों का विस्तृत विवरण डिंगल और पिंगल भाषा में अपनी बहियों में लिखता है. रबी और खरीफ फसल के वक्त ये समाज देश के अलग-अलग राज्यों और जिलों में बही का वाचन करने के लिए जाते हैं, लेकिन इस बार सीजन शुरू होने के साथ लॉकडाउन हो गया.

परिवार का पालन-पोषण मुश्किल

राव समाज के बुजुर्गों का कहना है कि कोरोना वायरस का संक्रमण नहीं फैले, इसकी वजह से जब तक माहौल सही नहीं हो जाता तब तक समाज का कोई भी व्यक्ति जजमानी के लिए नहीं जाएगा. उनका कहना है कि ऐसे में इस समाज के लोगों के सामने अपने परिवार का पालन पोषण करना मुश्किल हो गया है.

पढ़ें- घटता पानी, जूझते लोग और प्रशासन के दावों के बीच हांफता हैंडपंप...कुछ ऐसी ही है आदिवासियों की जिंदगी

राव समाज जब भी जजमानी के लिए जाते हैं तो उस गांव के लोग रहवास के दौरान बड़ी खुशी और हर्ष के साथ अतिथि सेवा करते हैं. रावजी की बही में अपने परिवार के नए सदस्य का नाम दर्ज करवाने पर यजमान नजराना पेश करते हैं और उसी से राव समाज के परिवारों का भरण पोषण होता है. इतिहास और पूर्वजों की विरासत को संजोने वाला राव समाज आर्थिक संकट के गुजर रहा है. ऐसे में जरूरत है कि सरकार इस समाज की ओर ध्यान देने के साथ आर्थिक सहायता उपलब्ध कराए.

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