जयपुर. महाशिवरात्रि के मौके पर आज हम आपको गुलाबी नगरी के एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताते हैं जो अपने नाम के साथ ही अपनी स्थापत्य कला के लिए भी जाना जाता है. यह है वैशाली नगर स्थित झारखंड महादेव मंदिर. मंदिर परिसर में घनी हरियाली और नैसर्गिक सौंदर्य के कारण ही इस मंदिर का नाम झारखंड महादेव है.
यह मंदिर राजस्थान का एकमात्र शिव मंदिर है, जो द्रविड़ शैली (दक्षिण भारतीय शैली) में बना (Dravidian architecture in Jharkhand Mahadev) है. मंदिर के मुख्य द्वार के साथ ही भीतरी भाग भी द्रविड़ शैली में बना है. अपनी स्थापत्य कला और नैसर्गिक सौंदर्य के कारण यहां पूरे साल श्रद्धालुओं की आवाजाही रहती है. हजारों श्रद्धालु इस मंदिर में नियमित दर्शन और आरती में आते हैं. महाशिवरात्रि पर यहां मेला लगता है.
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मान्यता है कि यहां आने वाले भक्तों की हर मनोकामना बाबा भोलेनाथ पूरी करते हैं. यह मंदिर काफी पुराना है और कई संतों की तपस्या स्थली भी यह मंदिर रहा है. बताया जाता है कि जहां आज विशाल मंदिर है, वहां करीब 100 साल पहले सिर्फ एक छोटा कमरा हुआ करता था. 1918 में इसके जीर्णोद्धार का काम शुरू किया गया. लेकिन गर्भगृह पुरानी स्थिति में रखा गया. मंदिर का वर्तमान स्वरूप साल 2000 में बनाया गया है. इसके बाद यह मंदिर वर्तमान स्वरूप में आया है.
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द्रविड़ शैली में मंदिर बनाने की यह है वजह: इस मंदिर का बाहरी हिस्सा बिल्कुल साउथ के मंदिरों जैसा ही है. बताया जाता है की साल 2000 में जब इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया जा रहा था, तो इसकी जिम्मेदारी ट्रस्ट के चेयरमैन जयप्रकाश सोमानी को दी गई. वे अक्सर दक्षिण भारत में मंदिरों में दर्शन के लिए जाया करते थे. उन्हें द्रविड़ शैली के मंदिर आकर्षित करते, इसलिए इस मंदिर को भी द्रविड़ शैली में बनवाया गया. इसके लिए दक्षिण भारत के करीब 300 कारीगरों को जयपुर बुलाया गया था.