जयपुर. देश-विदेश के प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट और पद्मश्री डॉ. अशोक पानगड़िया का लंबे उपचार के बाद शुक्रवार को निधन हो गया. पानगड़िया के निधन की खबर के बाद सभी वर्ग में शोक की लहर दौड़ गई. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राज्यपाल कलराज मिश्र, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी सहित राजनीतिक हस्तियों ने संवेदना जताई है.
सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि डॉ. अशोक पानगड़िया का निधन चिकित्सा जगत एवं प्रदेश के लिए बड़ी क्षति है. ईश्वर से प्रार्थना है शोकाकुल परिजनों एवं डॉ. पानगड़िया के मित्रों को यह आघात सहने की शक्ति प्रदान करें एवं दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें. डॉ. अशोक पनगड़िया का निधन मुझे व मेरे परिवार को व्यक्तिगत क्षति हुई है, मेरे उनसे पारिवारिक रिश्ते रहे हैं. लम्बे समय तक उन्हें भुलाना सम्भव नहीं होगा.
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने डॉ. पनगड़िया के साथ फोटो शेर करते हुए लिखा कि अपने सेवाभावी स्वभाव एवं चिकित्सा क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए पहचान बनाने वाले न्यूरोलॉजिस्ट, पद्मश्री डॉ. अशोक पानगड़िया जी के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है. मैं ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शान्ति व शोक-संतप्त परिजनों को धैर्य प्रदान करने की कामना करती हूं.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा कि देश के प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट पद्मश्री डॉ. अशोक पानगड़िया जी के निधन पर उनके परिजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं. डॉ. पनगड़िया जी का निधन चिकित्सा जगत एवं समाज के लिए अपूरणीय क्षति है. ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति एवं शोकाकुल परिवार को संबल प्रदान करे. ॐ शान्ति.
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने भी पानगड़िया के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा सुप्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट और पद्मश्री डॉ. अशोक पानगड़िया जी के निधन का दुखद समाचार प्राप्त हुआ है. चिकित्सा क्षेत्र के गौरव रहे डॉ. पानगड़िया जी ने जीवनपर्यन्त अपने चिकित्सकीय ज्ञान, कौशल एवं अनुभव से हजारों अनमोल जिंदगियों को नया जीवनदान देने का काम किया था.
दरअसल डॉ. अशोक पानगड़िया पोस्ट काेविड बीमारी से झूझ रहे थे और लंबे समय से उनका वेंटिलेटर पर इलाज चल रहा था. उनकी स्थिति ज्यादा खराब होने के बाद दोपहर करीब 2.30 बजे उन्हें जयपुर स्थित ईएचसीसी अस्पताल से उनके निवास पर वेंटिलेटर सपोर्ट पर ही लाया गया था, लेकिन करीब सवा घंटे बाद डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया.
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पनगड़िया के करीबी सूत्रों की मानें तो कोरोना के कारण उनके फेंफड़े (लंग्स) डेमेज हो चुके थे. 48 दिनों तक कोरोना से लड़ने के बाद आखिरकार डॉ. पानगड़िया जीवन की जंग हार गए. उनके इलाज के लिए देश-विदेश के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम लगी हुई थी, जिसमें टॉप मोस्ट नेफ्रोलॉजिस्ट, पल्मनोलॉजिस्ट, फिजीशियन शामिल हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत स्वयं भी उनकी तबियत पर लगातार नजर बनाए रखे हैं.
डॉ. पनगड़िया को 24 अप्रैल को काेविड के लक्षण महसूस होने लगे थे, तब वे जेएलएन मार्ग स्थिति एक निजी लैब गए और वहां एचआरसीटी करवाई. सिटी स्कैन की रिपोर्ट में उनका स्कोर 17 आया था, जिसके बाद वे 25 अप्रैल को खुद जयपुर के आरयूएचएस अस्पताल में भर्ती हुए थे. इसके बाद उनकी तबीयत खराब होने के बाद जवाहर सर्किल जयपुर के पास स्थित ईएचसीसी अस्पताल शिफ्ट कर दिया था.
पानगड़िया के करीबी की मानें तो उन्होंने इस बीमारी से करीब 10-12 दिन पहले कोविशील्ड की दूसरी डोज एसएमएस अस्पताल जाकर लगवाई थी. वैक्सीन लगने के बाद कुछ दिन बाद उन्हें कोविड के लक्षण महसूस हुए और उन्होंने जब जांच करवाई तो कोरोना की पुष्टि हुई.
न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. पानगड़िया को 1992 में राजस्थान सरकार की ओर से मेरिट अवॉर्ड मिला. वे SMS में न्यूरोलॉजी के विभागाध्यक्ष रहे. 2006 से 2010 तक प्रिंसिपल रहे. 2002 में उन्हें मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने डॉ. बीसी रॉय अवॉर्ड दिया. 2014 में उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया. उनके 90 से ज्यादा पेपर जर्नल में छप चुके हैं. उनकी मेडिकल और सोशल सहभागिता के चलते उन्हें यूनेस्को अवॉर्ड भी मिल चुका है. उन्हें कई लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड भी प्राप्त हुए हैं.