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ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉजी और न्यूरो टच से होगी हृदय और मधुमेह रोग की जांच, चिकित्सा अधिकारियों को दी गई ट्रेनिंग - Lords Education and Health Society

राज्य के प्राथमिक स्वास्थ्य एवं सब सेन्टर्स पर भी अब हृदय, श्वास और मधुमेह रोग की समस्याओं की स्क्रीनिंग होगी. इसके लिए विश फाउंडेशन ने राजस्थान के 14 जिलों के 21 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और उप केंद्रों पर डॉजी और न्यूरो टच डिवाइस के जरिये इस प्रणाली का उपयोग शुरू कर दिया है.

One day medical training camp in Jaipur, Jaipur latest news
जयपुर में डॉजी और न्यूरो टच जैसे उपकरणों का प्रशिक्षण दिया गया
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Published : Dec 19, 2020, 11:09 PM IST

जयपुर. जयपुर के एक होटल में डॉजी और न्यूरो टच जैसे उपकरणों का प्रशिक्षण देने के लिए शनिवार को एक दिवसीय प्रशिक्षण कैंप आयोजित किया गया. लॉर्ड्स एजुकेशन एंड हेल्थ सोसायटी (एलईएचएस-विश) और वाधवानी इनीशिएटिव फॉर सस्टेनेबल हेल्थ केयर (डब्ल्यूआईएसएच) के तहत आयोजित इस कार्यक्रम में प्राथमिक सेवा केंद्रों के 19 चिकित्सा अधिकारी शामिल हुए. इन्हें न्यूरो टच (परिधीय न्यूरोपैथी के लिए स्क्रीनिंग) और डॉजी (कार्डियक एन्ड रेस्पिरेटरी हेल्थ मॉनिटर) के क्रियान्वयन के लिए प्रशिक्षित किया गया. इंटरनेट से संचालित इन दोनों डिवाइस की खासियत यह है कि इन्हें जीएनएम भी ऑपरेट कर सकेंगे.

जयपुर में डॉजी और न्यूरो टच जैसे उपकरणों का प्रशिक्षण दिया गया

विश फाउंडेशन के स्टेट डायरेक्टर बिस्वा रंजन पटनायक ने बताया कि राजस्थान के 14 जिलों में पीपीपी मॉडल पर आधारित 21 उप केंद्रों और प्राथमिक सेवा केंद्रों पर इन अत्याधुनिक उपकरणों के जरिए स्क्रीनिंग शुरू कर दी गई है. उन्होंने बताया कि यह जांच फ़िलहाल केंद्र सरकार के बायो टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंट काउंसिल (बिरक) के दिशा निर्देश में की जा रही है. इसके बाद विश फाउंडेशन इसकी रिपोर्ट केंद्र और राज्य सरकार को साझा करेंगी. जिसके बाद देश और प्रदेश के समस्त सरकारी चिकित्सालयों में इन डिवाइस के माध्यम से जांच संभव हो पाएगी.

विश फाउंडेशन की सीईओ राजेश रंजन सिंह ने कहा कि राजस्थान के ग्रामीण लोगों की जांच अत्याधुनिक उपकरणों से की जा रही है. डायबिटिक पेरीफेरल न्यूरोपैथी की जांच अब अत्याधुनिक न्यूरो टच उपकरण से संभव होगी. इससे इस बीमारी का प्राथमिक स्तर पर ही पता लगाकर उसका समुचित इलाज संभव हो जाए. इसी तरह डॉजी उपकरण के जरिए हृदय एवं श्वास संबंधी रोगों का प्राथमिक स्तर पर पता लगाकर समय पर उपचार किया जा सकता है.

पढ़ें- IMPACT: अब राज्य वित्त पोषित कौशल विकास योजनाओं में दिव्यांगों की 5 फीसदी सीटें रहेंगी आरक्षित

बीआईआरएसी के अनुसार देशभर में 30% लोग मधुमेह से पीड़ित और पेरीफेरल न्यूरोपैथी से प्रभावित है. इसके साथ ही 40% लोग मधुमेह से पीड़ित पेरिफेरल धमनी रोग और पेरिफेरल संवहनी रोग से प्रभावित है. इसलिए हर 30 सेकेंड में दुनिया में मधुमेह के कारण एक व्यक्ति अपना पैर गवां देता है.

बिस्वा रंजन पटनायक ने बताया कि न्यूरो टच (परिधीय न्यूरोपैथी के लिए स्क्रीनिंग) मधुमेह रोगियों में पेरीफेरल यूरोपैथी के लक्षणों की जांच करने में यह उपकरण रामबाण सिध्द होगा. पेरीफेरल न्यूरोपैथी की जांच के लिए इसमें मोनोफिलामेंट, कोल्ड सेंनसेशन, वाइब्रेशन परसेप्शन हॉट सेनसेशन और आईआर थर्मामीटर इत्यादि का परीक्षण किया जा सकेगा.

डॉजी (कोडियक एंड रेस्पिरेटरी हेल्थ मॉनिटर) एक तरह का संपर्क रहित स्वास्थ्य मॉनिटर है जिसका उपयोग स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की स्क्रीनिंग के लिए किया जाता है. इसके द्वारा ब्लड और ऑक्सीजन सैचुरेशन को मापा जा सकेगा. इसमें सांस लेने की गति, हृदय गति परिवर्तनशीलता, मायोकॉर्डियल परफारमेंस मेट्रिक्स को भी इससे मॉनिटर किया जा सकेगा.



जयपुर. जयपुर के एक होटल में डॉजी और न्यूरो टच जैसे उपकरणों का प्रशिक्षण देने के लिए शनिवार को एक दिवसीय प्रशिक्षण कैंप आयोजित किया गया. लॉर्ड्स एजुकेशन एंड हेल्थ सोसायटी (एलईएचएस-विश) और वाधवानी इनीशिएटिव फॉर सस्टेनेबल हेल्थ केयर (डब्ल्यूआईएसएच) के तहत आयोजित इस कार्यक्रम में प्राथमिक सेवा केंद्रों के 19 चिकित्सा अधिकारी शामिल हुए. इन्हें न्यूरो टच (परिधीय न्यूरोपैथी के लिए स्क्रीनिंग) और डॉजी (कार्डियक एन्ड रेस्पिरेटरी हेल्थ मॉनिटर) के क्रियान्वयन के लिए प्रशिक्षित किया गया. इंटरनेट से संचालित इन दोनों डिवाइस की खासियत यह है कि इन्हें जीएनएम भी ऑपरेट कर सकेंगे.

जयपुर में डॉजी और न्यूरो टच जैसे उपकरणों का प्रशिक्षण दिया गया

विश फाउंडेशन के स्टेट डायरेक्टर बिस्वा रंजन पटनायक ने बताया कि राजस्थान के 14 जिलों में पीपीपी मॉडल पर आधारित 21 उप केंद्रों और प्राथमिक सेवा केंद्रों पर इन अत्याधुनिक उपकरणों के जरिए स्क्रीनिंग शुरू कर दी गई है. उन्होंने बताया कि यह जांच फ़िलहाल केंद्र सरकार के बायो टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंट काउंसिल (बिरक) के दिशा निर्देश में की जा रही है. इसके बाद विश फाउंडेशन इसकी रिपोर्ट केंद्र और राज्य सरकार को साझा करेंगी. जिसके बाद देश और प्रदेश के समस्त सरकारी चिकित्सालयों में इन डिवाइस के माध्यम से जांच संभव हो पाएगी.

विश फाउंडेशन की सीईओ राजेश रंजन सिंह ने कहा कि राजस्थान के ग्रामीण लोगों की जांच अत्याधुनिक उपकरणों से की जा रही है. डायबिटिक पेरीफेरल न्यूरोपैथी की जांच अब अत्याधुनिक न्यूरो टच उपकरण से संभव होगी. इससे इस बीमारी का प्राथमिक स्तर पर ही पता लगाकर उसका समुचित इलाज संभव हो जाए. इसी तरह डॉजी उपकरण के जरिए हृदय एवं श्वास संबंधी रोगों का प्राथमिक स्तर पर पता लगाकर समय पर उपचार किया जा सकता है.

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बीआईआरएसी के अनुसार देशभर में 30% लोग मधुमेह से पीड़ित और पेरीफेरल न्यूरोपैथी से प्रभावित है. इसके साथ ही 40% लोग मधुमेह से पीड़ित पेरिफेरल धमनी रोग और पेरिफेरल संवहनी रोग से प्रभावित है. इसलिए हर 30 सेकेंड में दुनिया में मधुमेह के कारण एक व्यक्ति अपना पैर गवां देता है.

बिस्वा रंजन पटनायक ने बताया कि न्यूरो टच (परिधीय न्यूरोपैथी के लिए स्क्रीनिंग) मधुमेह रोगियों में पेरीफेरल यूरोपैथी के लक्षणों की जांच करने में यह उपकरण रामबाण सिध्द होगा. पेरीफेरल न्यूरोपैथी की जांच के लिए इसमें मोनोफिलामेंट, कोल्ड सेंनसेशन, वाइब्रेशन परसेप्शन हॉट सेनसेशन और आईआर थर्मामीटर इत्यादि का परीक्षण किया जा सकेगा.

डॉजी (कोडियक एंड रेस्पिरेटरी हेल्थ मॉनिटर) एक तरह का संपर्क रहित स्वास्थ्य मॉनिटर है जिसका उपयोग स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की स्क्रीनिंग के लिए किया जाता है. इसके द्वारा ब्लड और ऑक्सीजन सैचुरेशन को मापा जा सकेगा. इसमें सांस लेने की गति, हृदय गति परिवर्तनशीलता, मायोकॉर्डियल परफारमेंस मेट्रिक्स को भी इससे मॉनिटर किया जा सकेगा.



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