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गणेश चतुर्थी: भूल से भी नहीं करें तुलसी का प्रयोग और ना करें चांद के दर्शन

22 अगस्त शनिवार को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा. इस शुभ अवसर पर लोग अपने घरों में गणेश जी की मूर्ति को विराजमान करते हैं और उनकी पूजा करते हैं. लेकिन गणेश जी पूजा के समय लोगों को तुलसी का उपयोग नहीं करना चाहिए. साथ ही गणेश चतुर्थी पर चांद के दर्शन भी नहीं करने चाहिए.

राजस्थान न्यूज, jaipur news
गणेश चतुर्थी पर ना करें तुलसी का उपयोग और ना ही चांद के दर्शन
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Published : Aug 21, 2020, 10:36 PM IST

जयपुर. हिन्दू धर्म में धार्मिक मान्यताओं के साथ तुलसी को अत्यंत शुभ माना जाता है, लेकिन यही तुलसी भगवान श्रीगणेश को अप्रिय है. इतनी अप्रिय है कि गणपति बप्पा के पूजन में इसका प्रयोग वर्जित है. साथ ही गणेश चतुर्थी पर चांद के दर्शन भी नहीं करने चाहिए.

गणेश चतुर्थी पर ना करें तुलसी का उपयोग और ना ही चांद के दर्शन

ज्योतिषविद पंडित डॉ. राजेश शर्मा के अनुसार गणेश चतुर्थी पर विशेषरूप से ध्यान रखना चाहिए की वो तुलसी का प्रयोग किसी भी पूजन-पाठ में ना करें. यहां तक की पंचामृत से गणेशजी को स्नान कराएं तो तुलसी भूल से भी नहीं डाले और ना ही गजानंद जी को अर्पित करें. इसके अलावा चतुर्दशी को हमारे यहां चांद के दर्शन को निषेध माना गया है. वहीं, गणेश चतुर्थी पर विशेष रुप से चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए और ना ही अर्घ्य देना है.

पढ़ें- गणेश चतुर्थी का शुभारंभ कल, जानिए शुभ मुहूर्त...

पौराणिक कथाओं के अनुसार बगैर तुलसी के भगवान का भोग भी स्वीकार नहीं किया जाता. हमारे आदिदेव प्रथम पूज्य श्री गणेश जी की सबसे प्रिय तुलसी मानी जाती है, लेकिन गणेश जी महाराज की पूजा के समय तुलसी नहीं रखी जाती. इसलिए चतुर्थी पर व्रत में भी तुलसी का प्रयोग नहीं किया जाता है, इसलिए किसी भी रूप में तुलसी ना लें और ना ही खाने में प्रयोग करें.

जयपुर. हिन्दू धर्म में धार्मिक मान्यताओं के साथ तुलसी को अत्यंत शुभ माना जाता है, लेकिन यही तुलसी भगवान श्रीगणेश को अप्रिय है. इतनी अप्रिय है कि गणपति बप्पा के पूजन में इसका प्रयोग वर्जित है. साथ ही गणेश चतुर्थी पर चांद के दर्शन भी नहीं करने चाहिए.

गणेश चतुर्थी पर ना करें तुलसी का उपयोग और ना ही चांद के दर्शन

ज्योतिषविद पंडित डॉ. राजेश शर्मा के अनुसार गणेश चतुर्थी पर विशेषरूप से ध्यान रखना चाहिए की वो तुलसी का प्रयोग किसी भी पूजन-पाठ में ना करें. यहां तक की पंचामृत से गणेशजी को स्नान कराएं तो तुलसी भूल से भी नहीं डाले और ना ही गजानंद जी को अर्पित करें. इसके अलावा चतुर्दशी को हमारे यहां चांद के दर्शन को निषेध माना गया है. वहीं, गणेश चतुर्थी पर विशेष रुप से चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए और ना ही अर्घ्य देना है.

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पौराणिक कथाओं के अनुसार बगैर तुलसी के भगवान का भोग भी स्वीकार नहीं किया जाता. हमारे आदिदेव प्रथम पूज्य श्री गणेश जी की सबसे प्रिय तुलसी मानी जाती है, लेकिन गणेश जी महाराज की पूजा के समय तुलसी नहीं रखी जाती. इसलिए चतुर्थी पर व्रत में भी तुलसी का प्रयोग नहीं किया जाता है, इसलिए किसी भी रूप में तुलसी ना लें और ना ही खाने में प्रयोग करें.

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