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टिड्डी दल के अंडे देने की आशंका को देखते हुए प्रशासन Alert - जयपुर कलेक्टर डॉ. जोगाराम

राजधानी में टिड्डी दल की रोकथाम के लिए प्रशासन अलर्ट हो गया है. सब्जी एवं चारे की फसलों को बचाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. शुक्रवार को जिला कलेक्टर ने कृषि विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की. जिसमें टिड्डी दल के अंडे देने की आशंका को देखते हुए अलर्ट रहने क निर्देश दिए गए.

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हमला रोकने के लिए रणनीति बनाने में जुटा प्रशासन
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Published : May 30, 2020, 9:53 AM IST

जयपुर. राजधानी में 10 मई से लेकर 29 मई तक टिड्डी दलों के 5 आक्रमण हो चुके हैं. पूरी रणनीति बनाकर निपटने में जिला प्रशासन और कृषि विभाग अब तक सफल रहे हैं. दिन में कई किलोमीटर लंबे स्वार्म के रात में बैठने पर औसतन 60 से 80 फीसदी तक खत्म करने में सफलता मिली है. बैठक में कृषि विभाग के अधिकारियों को टिड्डी दल पर दवाई का छिड़काव करते समय हर प्रकार की वॉटर बॉडी का ध्यान रखने और सभी निर्धारित निर्देशों का पालन करने के निर्देश दिए.

हमला रोकने के लिए रणनीति बनाने में जुटा प्रशासन

कलेक्टर जोगाराम ने टिड्डी नियंत्रण की कार्रवाई वाले क्षेत्र में ऑपरेशन अवधि में बिजली की आपूर्ति जारी रखने के लिए जयपुर विद्युत वितरण निगम के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं, ताकि स्वार्म पर स्प्रे के लिए पानी के टैंकरों को भरा जा सके. जोगाराम ने बताया कि जिले में टिड्डी दल की आहट के साथ ही मई माह के शुरू में जिला प्रशासन, जिला परिषद, कीट विज्ञानी, कृषि विभाग के अधिकारियों की जिला स्तर, उपखंड, ब्लॉक, तहसील स्तर पर समितियां गठित की गई है.

यह भी पढ़ेंः जयपुरः टिड्डियों पर ड्रोन से सर्जिकल स्ट्राइक

इसके अलावा जोबनेर कृषि महाविद्यालय और दुर्गापुरा कृषि अनुसंधान केंद्र के विशेषज्ञों की मास्टर ट्रेनर्स एवं मोटिवेटर्स की समिति भी गठित की गई है. संपूर्ण जिले को 'लोकस्ट इनवेजन एनडेंजर्ड एरिया' घोषित किया जा चुका है. टिड्डी नियंत्रण के लिए लगाई गई टीमों को स्वार्म की ट्रेकिंग एवं खात्मे के लिए ट्रैक्टर माउंटेड स्प्रेयर, पानी के टैंकर, अग्निशमन वाहन एवं अन्य वाहन भी उपलब्ध करा दिए गए हैं.

यह भी पढ़ेंः टिड्डी टेरर पर बोले हरीश चौधरी...कहा- वैज्ञानिक पहलू को ध्यान में रखकर आसमान से करेंगे पेस्टिसाइड का छिड़काव

उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों से चर्चा के बाद टिड्डियों के अंडे देने की आशंका को देखते हुए सभी संबंधित विभागों को रणनीति बनाने के निर्देश दिए. क्योंकि यह कीट अपने अल्प जीवन में जमीन में कई बार लाखों की संख्या में अंडे देता है. फिलहाल 29 मई को आया स्वार्म हवा के रुख के साथ फिर लौटने की आशंका बनी है और आने वाले दिनों में बारिश होने की स्थिति में यह चुनौतीपूर्ण हो सकती है.

10-15 दिन में अंडे देने की स्थिति में आ सकती है टिड्डियां

उप निदेशक कृषि विस्तार जिला परिषद जयपुर बीआर कड़वा ने बताया कि टिड्डी का लाइफ साइकिल 3 माह या 100 दिन ही होता है. इसमें यह तीसरे माह में कई बार अंडे देती है. जयपुर में आया स्वार्म अभी यंग है और अंडे देने की स्थिति में नहीं है. लेकिन 10-15 दिन बाद ये अंडे देने की स्थिति में आ सकते हैं, तब इनके नियंत्रण के लिए रणनीति बदलनी होगी.

28 की रात को स्वार्म का 80% खात्मा

बीआर कड़वा ने बताया कि जयपुर जिले में गुरुवार 28 मई को दोसा से टिड्डियों के एक स्वार्म ने दोबारा जमवारामगढ़ में प्रवेश कर दोपहर बाद अलवर जिले में प्रवेश किया, किंतु हवा की तेज गति के कारण पुनः स्वार्म विभिन्न टुकड़ों में बढ़ता हुआ जिले में पांच स्थानों पर सेटल हो गया. ग्राम गोरेट, ग्राम पंचायत रायपुर में 1 किलोमीटर चौड़ा और इतना ही लंबा स्वार्म, इसी पंचायत के ग्राम जारुडा में, तीसरा खरड़, चौथा बिजहार खाटाबाद में और पांचवा स्वार्म तूंगा पंचायत समिति के ग्राम गढ़ में सेटल हुआ.

उन्होंने बताया कि 28 मई को रात 1 बजे अभियान शुरू किया गया. इसमें 16 ट्रैक्टर माउंटेड स्प्रे, तीन फायर बिग्रेड के वाहनों का उपयोग कर कीटनाशी 'लेम्डा साइलोथ्रीन पांच प्रतिशत' और क्लोरोपाईरी फोस पचास प्रतिशत के प्रयोग से 80 फीसदी से अधिक का खात्मा किया गया.

जयपुर. राजधानी में 10 मई से लेकर 29 मई तक टिड्डी दलों के 5 आक्रमण हो चुके हैं. पूरी रणनीति बनाकर निपटने में जिला प्रशासन और कृषि विभाग अब तक सफल रहे हैं. दिन में कई किलोमीटर लंबे स्वार्म के रात में बैठने पर औसतन 60 से 80 फीसदी तक खत्म करने में सफलता मिली है. बैठक में कृषि विभाग के अधिकारियों को टिड्डी दल पर दवाई का छिड़काव करते समय हर प्रकार की वॉटर बॉडी का ध्यान रखने और सभी निर्धारित निर्देशों का पालन करने के निर्देश दिए.

हमला रोकने के लिए रणनीति बनाने में जुटा प्रशासन

कलेक्टर जोगाराम ने टिड्डी नियंत्रण की कार्रवाई वाले क्षेत्र में ऑपरेशन अवधि में बिजली की आपूर्ति जारी रखने के लिए जयपुर विद्युत वितरण निगम के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं, ताकि स्वार्म पर स्प्रे के लिए पानी के टैंकरों को भरा जा सके. जोगाराम ने बताया कि जिले में टिड्डी दल की आहट के साथ ही मई माह के शुरू में जिला प्रशासन, जिला परिषद, कीट विज्ञानी, कृषि विभाग के अधिकारियों की जिला स्तर, उपखंड, ब्लॉक, तहसील स्तर पर समितियां गठित की गई है.

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इसके अलावा जोबनेर कृषि महाविद्यालय और दुर्गापुरा कृषि अनुसंधान केंद्र के विशेषज्ञों की मास्टर ट्रेनर्स एवं मोटिवेटर्स की समिति भी गठित की गई है. संपूर्ण जिले को 'लोकस्ट इनवेजन एनडेंजर्ड एरिया' घोषित किया जा चुका है. टिड्डी नियंत्रण के लिए लगाई गई टीमों को स्वार्म की ट्रेकिंग एवं खात्मे के लिए ट्रैक्टर माउंटेड स्प्रेयर, पानी के टैंकर, अग्निशमन वाहन एवं अन्य वाहन भी उपलब्ध करा दिए गए हैं.

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उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों से चर्चा के बाद टिड्डियों के अंडे देने की आशंका को देखते हुए सभी संबंधित विभागों को रणनीति बनाने के निर्देश दिए. क्योंकि यह कीट अपने अल्प जीवन में जमीन में कई बार लाखों की संख्या में अंडे देता है. फिलहाल 29 मई को आया स्वार्म हवा के रुख के साथ फिर लौटने की आशंका बनी है और आने वाले दिनों में बारिश होने की स्थिति में यह चुनौतीपूर्ण हो सकती है.

10-15 दिन में अंडे देने की स्थिति में आ सकती है टिड्डियां

उप निदेशक कृषि विस्तार जिला परिषद जयपुर बीआर कड़वा ने बताया कि टिड्डी का लाइफ साइकिल 3 माह या 100 दिन ही होता है. इसमें यह तीसरे माह में कई बार अंडे देती है. जयपुर में आया स्वार्म अभी यंग है और अंडे देने की स्थिति में नहीं है. लेकिन 10-15 दिन बाद ये अंडे देने की स्थिति में आ सकते हैं, तब इनके नियंत्रण के लिए रणनीति बदलनी होगी.

28 की रात को स्वार्म का 80% खात्मा

बीआर कड़वा ने बताया कि जयपुर जिले में गुरुवार 28 मई को दोसा से टिड्डियों के एक स्वार्म ने दोबारा जमवारामगढ़ में प्रवेश कर दोपहर बाद अलवर जिले में प्रवेश किया, किंतु हवा की तेज गति के कारण पुनः स्वार्म विभिन्न टुकड़ों में बढ़ता हुआ जिले में पांच स्थानों पर सेटल हो गया. ग्राम गोरेट, ग्राम पंचायत रायपुर में 1 किलोमीटर चौड़ा और इतना ही लंबा स्वार्म, इसी पंचायत के ग्राम जारुडा में, तीसरा खरड़, चौथा बिजहार खाटाबाद में और पांचवा स्वार्म तूंगा पंचायत समिति के ग्राम गढ़ में सेटल हुआ.

उन्होंने बताया कि 28 मई को रात 1 बजे अभियान शुरू किया गया. इसमें 16 ट्रैक्टर माउंटेड स्प्रे, तीन फायर बिग्रेड के वाहनों का उपयोग कर कीटनाशी 'लेम्डा साइलोथ्रीन पांच प्रतिशत' और क्लोरोपाईरी फोस पचास प्रतिशत के प्रयोग से 80 फीसदी से अधिक का खात्मा किया गया.

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