जयपुर. स्पीकर जोशी उच्च शिक्षा मंत्री से यहां तक कह दिया कि आईटी का जमाना आ गया है. बावजूद इसके अगर फैकल्टी नहीं है, तो वेबीनार के माध्यम से भी हम क्लास दिलवा सकते हैं. नये सिरे में आईटी का प्रयोग कम, स्टाफ में ज्यादा प्रयोग कर सके, इस पर ध्यान देना चाहिए. कॉलेज खोल देना और फैकल्टी नहीं रखें, तो ऐसे में आईटी के माध्यम से जो फैकल्टी हमारे पास उपलब्ध है. उसका बेस्ट उपयोग लेकर वेबीनार के माध्यम से क्लास लेंगे, तो इफेक्टिव ढंग से टीचिंग कर सकेंगे.
इस संबंध में भी विभाग को चर्चा करके निर्णय लेना चाहिए. 918 वैकेंसी पूरी करने के बावजूद भी स्टाफ की संख्या पूरी नहीं होगी और शिवाना कॉलेज एक उदाहरण है कि 2015 में कॉलेज खोला और अब तक फैकल्टी नहीं है. ऐसे में अपेक्षा है कि आईटी के माध्यम से कम स्टाफ में कैसे क्वालिटी ऑफ एजुकेशन दी जा सके. दरअसल, सवाल जवाब में भंवर सिंह भाटी ने माना कि उच्च शिक्षा विभाग में 50 फीसदी पद खाली हैं. ऐसे में रेस योजना शुरू कि गयी है, उनको हम रिक्त पदों में लगा रहे हैं और विद्यार्थियों का कोर्स पूरा करवा रहे हैं. आरपीएससी के तहत 918 पद भरे जाने हैं. राजस्थान के गवर्नमेंट कॉलेज में जहां भी पद खाली हैं, उन पदों पर जो युवा है जो पढ़ा सकते हैं. उन्हें गेस्ट फैकल्टी के तौर पर लेना तय किया है, जो अप्रैल के बाद इस प्रक्रिया में आ जाएंगे.
वहीं, ऐसे ही हालात संस्कृत महाविद्यालय के पदों को लेकर लगे सवाल में भी सामने आया. जब पुलिस वालों में सतीश पूनिया ने कहा कि संस्कृत शिक्षा के 75% पद खाली हैं. पिछले बार भी जब सवाल लगाया था, तो मुझे जवाब मिला था यह प्रक्रियाधीन है. यह प्रक्रिया कब तक हो जाएगी पूरी, इस पर मंत्री सुभाष गर्ग ने जवाब दिया कि 75 प्रतिशत पद रिक्त नहीं है. प्रोफेसर 7 पद स्वीकृत है और सातों भरे हुए हैं. व्याख्याता 188 में से 90 भरे हुए 98 खाली हैं. अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी है तीन भरे हुए एक खाली है. सहायक प्रशासनिक अधिकारी 28 में से 20 भरे हुए हैं. यूडीसी में 379 पद स्वीकृत है, उनमें से 206 पद भरे हुए हैं और जो 173 खाली है, इनको शीघ्र ही ही भर ले जाएंगे.
स्कूलों में रीट की परीक्षा होने के बाद पद भर दिए जाएंगे. इस पर फिर स्पीकर सीपी जोशी ने कहा यही हालात रहे तो लगता है कि कॉलेज एजुकेशन संस्कृत का कॉलेप्स हो चुका है. लगभग, इसको देखें. सीपी जोशी ने कहा कि मेरे खुद के वहां पर कॉलेज में पद खाली हैं. कॉलेज में अगर पद खाली रहेंगे, तो संस्कृत के प्रति रुचि खत्म हो जाएगी. जैसे कॉलेज एजुकेशन ने किया है टीचर्स को टेंपरेरी लगाया है. कुछ ना कुछ व्यवस्था करके उन कॉलेज में टीचिंग का काम होना चाहिए. यह पद जो खाली हैं. यही कहते हैं कि संस्कृत के सारे कॉलेज कोलैप्स हो जाएंगे. इस पर मंत्री ने जवाब दिया कि हम इस पर काम कर रहे हैं.