जयपुर. कोरोना संक्रमण कॉल में लॉकडाउन से लोगों के काम धंधे ठप हो गए हैं. प्रवासी श्रमिक बड़ी तादाद में राजस्थान लौटे हैं. ऐसे में राजस्थान में मनरेगा सभी के लिए संजीवनी बना हुआ है. इस समय 48 लाख लोगों को मनरेगा में काम राजस्थान में मिला हुआ है, जो देश में सबसे ज्यादा है.
मनरेगा से प्रवासी श्रमिक ही नहीं, लॉकडाउन के चलते बेरोजगार हुए लोगों को भी राहत मिल रही है, साथ ही दिव्यांग भी इससे लाभान्वित हो रहे हैं. हालांकि मनरेगा में ज्यादातर वो काम होते हैं, जिसमें शारीरिक क्षमता का होना आवश्यक है. लेकिन उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के निर्देश पर दिव्यांगों के लिए खास गाइडलाइन बनाई गई है, ताकि उन्हें भी मनरेगा से लाभ मिल सके.
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मस्टररोल इंचार्ज के काम में दिव्यांगों के लिए रिजर्वेशन किया जाना हो, या मनरेगा में काम कर रहे कर्मियों को पानी पिलाने का या नर्सरी के लिए काम. ऐसे करीब 25 एक्टिविटीज को दिव्यांगों के लिए रिजर्व किया गया है. पिछले साल 18,319 दिव्यांग काम कर रहे थे, जबकि 2 महीने अप्रैल और मई में ही 6,633 दिव्यांगो को मनरेगा में काम मिल चुका है. मार्च तक यह आंकड़ा पिछले साल से कहीं ज्यादा होगा.
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कोरोना काल में जहां आम आदमी रोजगार की समस्या से जूझ रहा है. उनके बीच में जिस तरह से दिव्यांगों को मनरेगा में विशेष रियायतें देकर काम दिया जा रहा है. उनसे उनके लिए बड़ी राहत हो रही है. दिव्यांगों को सरकारी योजनाओं को लेकर शिकायत तो रहती है, लेकिन इसके साथ ही वो यह भी कहते नजर आते हैं कि मनरेगा नहीं होता तो उन्हें एक वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती. ऐसे में कम संख्या में ही सही, लेकिन दिव्यांगों के लिए मनरेगा एक संजीवनी साबित हो रही है.