जयपुर. राजस्थान में दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के मामले बढ़ते जा रहे हैं. डीजीपी एमएल लाठर ने दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के प्रकरणों को केस ऑफिसर स्कीम में शामिल करके प्राथमिकता से निस्तारण करने के निर्देश दिए हैं.
एमएल लाठर ने पुलिस अधिकारियों को मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के विरुद्ध घटित अपराधों के आर्थिक, सामाजिक और भौगोलिक कारणों की विस्तार से समीक्षा कर इन अपराधों की पुनरावृति को रोकने के व्यापक प्रयास करने के निर्देश दिए हैं.
शुक्रवार को पुलिस मुख्यालय में आयोजित क्राइम मीटिंग की अध्यक्षता के दौरान डीजीपी ने दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के प्रकरणों को चिन्हित कर इन केसों को ऑफिसर स्कीम में शामिल कर प्राथमिकता से इनका निस्तारण करवाने के निर्देश दिए. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रदेशभर के पुलिस अधिकारियों से आपराधिक घटनाओं के संबंध में त्वरित कार्रवाई करने और इन घटनाओं को रोकने के संबंध में आवश्यक कदम उठाने के निर्देश भी दिए.
डीजीपी ने एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज प्रकरणों में क्राइम इन्वेस्टिगेशन करने के साथ ही समस्या के सभी पहलुओं को समझकर एसटी-एससी के विरुद्ध होने वाले अपराधों की रोकथाम पर बल दिया. डीजीपी ने कहा कि इस संबंध में सभी पुलिस अधीक्षकों को 1 जनवरी 2019 से 30 जून 2021 तक दर्ज सभी मामलों का व्यापक अध्ययन करने के लिए प्रश्नावली बनाकर भेजी गई है. उन्होंने पुलिस अधीक्षकों को इन्हें भर कर भिजवाने के निर्देश दिए. पीड़ित व्यक्ति का बैंक विवरण समाज कल्याण विभाग की वेबसाइट पर अपलोड करने के भी निर्देश दिए ताकि शीघ्रता से उन्हें आर्थिक मदद मिल सके.
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डीजीपी ने दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के मामलों का त्वरित निस्तारण करवाकर कानून की सख्ती का संदेश देने की आवश्यकता बताई. उन्होंने समाज के कुछ वर्गों में प्रचलित वेश्यावृत्ति की समस्या का समाधान करने में स्वयंसेवी संस्थाओं का सहयोग लेने का भी आग्रह किया. डीजीपी ने कहा कि इनके सहयोग से वेश्यावृत्ति में लिप्त महिलाओं को समाज की मुख्यधारा में लाया जा सकता है.
डीजीपी ने आदिवासी क्षेत्रों में मानव तस्करी की चर्चा करते हुए इन पर कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए. बच्चों को नौकरी के नाम पर प्रलोभन देकर या गुमराह कर ले जाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए. झगड़े जैसे आपराधिक घटनाओं की रोकथाम के लिए पुरानी रंजिश या मनमुटाव जैसे मामलों में बीट या थाना स्तर पर इंटेलिजेंस के माध्यम से जानकारी लेकर कार्रवाई करने पर जोर दिया गया. डीजीपी ने कहा कि प्रभावी रोकथाम के लिए सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से समझाइश करें और नहीं मानने पर पाबंदी की कार्रवाई करें.
संदिग्ध आचरण या अपराधियों से मिलीभगत करने वाले पुलिसकर्मियों की पहचान कर सतत प्रक्रिया के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई करने के भी निर्देश डीजीपी ने दिए. उन्होंने कहा कि ऐसे पुलिसकर्मियों के विरूद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाए.
सभी जिला मुख्यालय पर कार्यरत अतिरिक्त पुलिस अधीक्षकों को पुलिसकर्मियों के कल्याण के लिए अधिकारी के रूप में तैनात करने के निर्देश दिए गए हैं. कल्याण अधिकारी राज्य सरकार और राजस्थान पुलिस की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन करवाना सुनिश्चित करेंगे. कोविड-19 के दौरान मृत पुलिसकर्मियों के आश्रितों को शीघ्र परिलाभ दिलवाने के साथ ही अन्य मामलों में सक्रिय सहयोग करेंगे.