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कोरोना संकट में भी सियासी आरोप-प्रत्यारोप जारी, अब राठौड़ ने गहलोत सरकार पर लगाया ये गंभीर आरोप

कोरोना के संकट के दौरान भी राजस्थान में सियासी आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने सरकार पर गलत नीतियों से प्रवासी श्रमिकों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है.

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राजस्थान में प्रवासी मजूदरों पर राजनीति
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Published : May 10, 2020, 8:29 AM IST

जयपुर. कोरोना के संकट काल के दौरान भी राजस्थान में सियासी आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. एक बार फिर प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने सरकार पर गलत नीतियों से प्रवासी श्रमिकों को प्रताड़ना का आरोप लगाया है. राजेंद्र राठौड़ ने एक बयान जारी कर कहा कि सरकार की गलत और असमंजस पूर्ण नीति के कारण भ्रमित प्रवासी श्रमिक और मजदूर अब पैदल और निजी वाहनों से ही राजस्थान में अपने गंतव्य तक पहुंचने में जुटे हैं, जिसके कारण भूखे प्यासे इन मजदूरों को शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना झेलना पड़ रहा है.

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राठौड़ ने कहा कि दूसरे प्रदेशों से राजस्थान आने वाले मजदूरों को अनुमति का अधिकार जिला कलेक्टर से लेकर अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह विभाग को देना और अपने गृह राज्य की एनओसी लेने जैसी कठिन और व्यावहारिक शर्त लगाई गई है. जिसके कारण श्रमिक और मजदूर वर्ग को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. राजेन्द्र ने यह भी कहा कि आज भी 16 लाख से अधिक प्रवासी श्रमिक राज्य सरकार के आग्रह पर अपना ऑनलाइन पंजीयन करवा कर अपने घर वापसी का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन उन्हें राहत के बजाए परेशानियां ही मिल रही है.

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गौरतलब है कि 6 मई को प्रदेश सरकार ने सुरक्षा की दृष्टि से प्रदेश की सभी सीमाएं सील कर दी थी, लेकिन भाजपा नेताओं के विरोध के बाद सरकार के स्तर पर ये भी साफ कर दिया गया था कि किसी भी प्रवासी राजस्थानी को प्रदेश में आने से नहीं रोक जा रहा है, लेकिन सुरक्षा के लिहाज से कुछ एतिहात बरता जाना और नियमों की पालना करना जरूरी है.

जयपुर. कोरोना के संकट काल के दौरान भी राजस्थान में सियासी आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. एक बार फिर प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने सरकार पर गलत नीतियों से प्रवासी श्रमिकों को प्रताड़ना का आरोप लगाया है. राजेंद्र राठौड़ ने एक बयान जारी कर कहा कि सरकार की गलत और असमंजस पूर्ण नीति के कारण भ्रमित प्रवासी श्रमिक और मजदूर अब पैदल और निजी वाहनों से ही राजस्थान में अपने गंतव्य तक पहुंचने में जुटे हैं, जिसके कारण भूखे प्यासे इन मजदूरों को शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना झेलना पड़ रहा है.

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राठौड़ ने कहा कि दूसरे प्रदेशों से राजस्थान आने वाले मजदूरों को अनुमति का अधिकार जिला कलेक्टर से लेकर अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह विभाग को देना और अपने गृह राज्य की एनओसी लेने जैसी कठिन और व्यावहारिक शर्त लगाई गई है. जिसके कारण श्रमिक और मजदूर वर्ग को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. राजेन्द्र ने यह भी कहा कि आज भी 16 लाख से अधिक प्रवासी श्रमिक राज्य सरकार के आग्रह पर अपना ऑनलाइन पंजीयन करवा कर अपने घर वापसी का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन उन्हें राहत के बजाए परेशानियां ही मिल रही है.

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गौरतलब है कि 6 मई को प्रदेश सरकार ने सुरक्षा की दृष्टि से प्रदेश की सभी सीमाएं सील कर दी थी, लेकिन भाजपा नेताओं के विरोध के बाद सरकार के स्तर पर ये भी साफ कर दिया गया था कि किसी भी प्रवासी राजस्थानी को प्रदेश में आने से नहीं रोक जा रहा है, लेकिन सुरक्षा के लिहाज से कुछ एतिहात बरता जाना और नियमों की पालना करना जरूरी है.

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