जयपुर. राज्य में होमगार्ड के जवान अपने अधिकारों के लिए एक बार फिर विरोध प्रदर्शन (Demonstration Of Permanent Home Guards) कर रहे हैं. जवानों की सबसे बड़ी पीड़ा है कि उन्हें अंग्रेजों के सालों पुराने नियमों की वजह से हर पांच में नवीनीकरण की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. सालों तक जनता की रक्षा के लिए तैयार रहने के बावजूद भी उनकी नौकरी सुरक्षित नहीं है.
राजस्थान होमगार्ड एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष झलकन सिंह राठौड़ का कहना है कि राजस्थान के होमगार्ड हर विषम परिस्थितियों में राजस्थान पुलिस के जवानों के साथ दिन रात ड्यूटी करते हैं. जब पुलिस, जेल, होमगार्ड आरएसी के भर्ती नियमों में भर्ती के समय पुलिस सत्यापन एक बार होता है, उसके बाद एकमुश्त सेवाएं ली जाती है तो फिर होमगार्ड जवानों का 5 वर्ष में पुलिस सत्यापन और मेडिकल क्यों किया जाता है. पुलिस, जेल और स्थाई होमगार्ड आरएसी की भर्तियों में भी एक मुश्त सेवा का नियम है तो होमगार्ड स्वयं सेवकों को भी इन्हीं नियमों में शामिल किया जाए. ताकि नवीनीकरण प्रक्रिया को समाप्त कर सेवा अवधि एकमुश्त 58 वर्ष तक की जा सके.
10 से 15 साल नौकरी के बाद भी असुरक्षित : झलक सिंह कहते हैं कि होमगार्ड के जवान 10 से 15 साल नौकरी करने के बाद भी इस नवीनीकरण प्रक्रिया की वजह से असुरक्षित महसूस करते हैं. हर 5 साल में होमगार्ड के जवान को फिटनेस टेस्ट से गुजरना पड़ता है, अगर इस दौरान किसी भी होमगार्ड के जवान में किसी तरह की शारीरिक कमी आ जाती है, तो उसे नौकरी से अनफिट कर दिया जाता है. इससे जवान के परिवार के सामने आजीविका चलाना भी मुश्किल हो जाता है. जब पुलिस की किसी भी भर्ती में एक बार फिजिकल होने के बाद में दोबारा नहीं होता है, तो फिर होमगार्ड के जवानों का क्यों हो. इस नवीनीकरण प्रक्रिया से जवानों का अहित हो रहा है, जवानों को प्रताड़ित किया जा रहा है, और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है.
यह है प्रमुख मांगें: होमगार्ड अधिनियम 1962-63 के धारा अधिनियम में संशोधन किया जाए. नवीनीकरण प्रथा, रोटेशन प्रणाली को खत्म करके एक मुश्त 60 साल सेवा दी जाए. ईएसआई, पीएफ की सुविधा लागू करते हुए परिवार कल्याण हेतु वेलफेयर फंड से उचित अनुदान दिया जाए. ड्यूटी के दौरान मौत होने पर आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति और अनुदान राशि दी जाए.