जयपुर. प्रसार (पब्लिक रिलेशन एंड अलाइड सर्विस एसोसिएशन ऑफ राजस्थान) की ओर से शनिवार को मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन दिया गया. ज्ञापन के माध्यम से सूचना एंड जनसंपर्क विभाग के कार्मिकों को फ्रंटलाइन वर्कर मानने और सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के कार्यालयों को अन्य आवश्यक सेवा के कार्यालयों की तरह खुले रहने के लिए अनुमत श्रेणी में रखने की मांग की गई.
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ज्ञापन के जरिये बताया गया कि प्रदेश में पिछले 1 साल से अधिक समय से राज्य सरकार द्वारा कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ी जा रही जंग में सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग सरकार के अन्य संबंधित विभागों चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, पुलिस तथा जिला प्रशासन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग कर रहा है. इस महामारी से जूझने में सर्वाधिक महत्वपूर्ण काम आमजन तक सूचनाओं, दिशा-निर्देशों तथा हेल्थ प्रोटोकॉल की जानकारी पहुंचाना रहा. इस काम को सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के अधिकारियों एवं कार्मिकों ने कड़ी मेहनत के साथ दिन-रात एक कर अंजाम दिया.
प्रसार के अध्यक्ष मोतीलाल वर्मा ने बताया कि जनसम्पर्क सेवा से जुड़े अधिकारियों के साथ-साथ अन्य कार्मिक एवं संविदाकर्मी भी अपने दायित्वों के निर्वहन में पीछे नहीं रहे और राज्य सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं, दिशा-निर्देशों एवं सूचनाओं की आमजन के बीच पहुंच सुनिश्चित कर प्रदेशवासियों को सचेत एवं जागरूक किया. इस क्रम में प्रचार-प्रसार के लिए लगातार फील्ड में कार्यरत रहने तथा बड़ी संख्या में पत्रकारों सहित अन्य लोगों के साथ संपर्क में आने के चलते विभाग के कई अधिकारी एवं कार्मिक कोरोना वायरस से पीड़ित हुए कई अधिकारियों एवं कार्मिकों के तो परिजनों तक को उनके कारण संक्रमण की पीड़ा झेलनी पड़ी. इस दौरान कुछ साथी अकाल मौत के शिकार भी हो गए.
महासचिव वीर सेन ने बताया कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान भी जनसम्पर्क विभाग लगातार प्रचार-प्रसार और जन जागरूकता की अपनी भूमिका बड़ी शिद्दत के साथ निभा रहा है. इस दौर में 40 से अधिक अधिकारी एवं अन्य कार्मिक कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. इनमें से अधिकतर संक्रमित होते हुए राज्य कार्य के दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं. कुछ अधिकारियों के परिजन भी उनके कारण से संक्रमण के शिकार हुए हैं. ऐसे में, राज्य सरकार द्वारा कई राजकीय सेवाओं को अतिआवश्यक सेवाओं तथा इन सेवाओं के कार्मिकों को फ्रंटलाइन वर्कर के रूप में परिभाषित करने की सूची में सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग को शामिल नहीं करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.
ज्ञापन के जरिये जानकारी दी गयी कि जनसम्पर्क सेवाओं से जुड़े कार्मिकों को फ्रंटलाइन वर्कर के रूप में चिन्हित नहीं करने से विभाग के अधिकारियों और कार्मिकों में रोष है. गौरतलब है कि 18 अप्रैल और 23 अप्रैल को राज्य सरकार के गृह विभाग द्वारा प्रदेशभर में लागू किए गए प्रतिबंधात्मक आदेशों में कई विभागों को कार्यालय खोलने एवं गतिविधियां संचालित रखने के लिए अनुमत किया गया है. जिसमें सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग शामिल नहीं है.
ऐसे में जिला स्तर तक जनसम्पर्क कार्यालयों को राज्य सरकार की योजनाओं और दिशा-निर्देशों के प्रचार-प्रसार के महत्वपूर्ण काम को सुव्यवस्थित तरीके से अंजाम देने के लिए बिना अधिकारिक अनुमति के खोलना पड़ रहा है. साथ ही, कार्मिकों को कार्यालय आने-जाने के समय भी परेशानी का सामना करना पड़ता है. ज्ञापन के जरिये मांग की गई कि सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के कार्मिकों को विभिन्न अतिआवश्यक राजकीय सेवाओं के कार्मिकों की तरह फ्रंटलाइन वर्कर के रूप में सूचीबद्ध करवाया जाए और सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के कार्यालयों को अन्य आवश्यक सेवा के कार्यालयों की तरह खुले रहने के लिए अनुमत श्रेणी में रखने की मांग की गई.