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ओल्ड पेंशन बहाली को लेकर धरना : कर्मचारियों की दो टूक, सरकार वही चलेगी जो पुरानी पेंशन का अधिकार देगी

न्यू पेंशन स्कीम को लेकर आंदोलित कर्मचारियों ने न्यू पेंशन स्कीम एम्पलाइज फैडरेशन ऑफ राजस्थान (New Pension Scheme Employees Federation of Rajasthan) के बैनर तले धरना दिया. उन्होंने साफ किया कि सरकार वही चलेगी जो पुरानी पेंशन का अधिकार देगी.

Protest for restoration of old pension
ओल्ड पेंशन बहाली को लेकर धरना
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Published : Feb 11, 2022, 4:53 PM IST

Updated : Feb 12, 2022, 7:51 AM IST

जयपुर. न्यू पेंशन स्कीम को लेकर लंबे समय से चल रहा प्रदेश के 5 लाख कर्मचारियों का आंदोलन और तेज होने लगा है. पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर न्यू पेंशन स्कीम एम्पलाइज फैडरेशन ऑफ राजस्थान (New Pension Scheme Employees Federation of Rajasthan) के बैनर तले प्रदेशव्यापी धरना राजधानी जयपुर में दिया गया. सरकार की योजनाओं को धरातल पर उतारने वाले कर्मचारियों ने साफ कर दिया कि सरकार वही चलेगी जो पुरानी पेंशन का अधिकार देगी.

फेडरेशन के अध्यक्ष रविन्द्र शर्मा ने कहा कि नवीन पेंशन योजना में सरकार कर्मचारियों के पैसे शेयर बाजार में लगाकर सामाजिक सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रही है. जिसमें नाम मात्र पेंशन मिल रही है. पुरानी पेंशन योजना में मूल वेतन 50 प्रतिशत डीए मिलता है. जबकि न्यू पेंशन में नो पेंशन स्कीम है. यह किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं की जाएगी. महिला कर्मचारी नेता विनीता शेखावत ने कहा कि सरकार ने न्यू पेंशन स्कीम लाकर प्रदेश के कर्मचारियों के साथ कुठाराघात किया है.

ओल्ड पेंशन बहाली को लेकर धरना

यह वो कर्मचारी हैं जो सरकार की योजनाओं को धरातल पर पहुंचाते हैं. सरकार अपने विधायकों की पेंशन में तो किसी तरह की कोई कटौती नही करती है. कर्मचारियों पर ही सभी नियम लागू किए जाते हैं. शेखावत ने कहा कि सरकार अब यह समझ ले कि प्रदेश में आगे वही सरकार राज करेगी जो कर्मचारियों की पेंशन बहाली की बात करेगी. उन्होंने कहा कि विधानसभा में सरकार अपना सदन चला रही है प्रदेश के लाखों कर्मचारी सरकार से अपना अधिकार मांग रहा है.

यह भी पढ़ें- Protest In Jhunjhunu: राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत के कर्मचारियों ने भारत सरकार के आदेशों की जलाई प्रतियां, पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग

कर्मचारियों की यह है मांग

  • "राजस्थान सिविल सेवा (अंशदायी पेंशन) नियम, 2005 को निरस्त कर जनवरी 2004 के बाद नियुक्त 5 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारियों अधिकारियों के लिए राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1996" लागू की जाए.
  • संगठन एनपीएस कार्मिकों का 10 प्रतिशत एनपीएस अंशदान एनएसडीएल को भेजने की जगह हाल ही में खोले गए जीपीएफ-2004 / जीपीएफ-एसएबी खातों में जमा करवाने की मांग की है.
  • अर्धसैनिक बलों और अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों सहित केंद्र सरकार के कर्मचारियों अधिकारियों की पुरानी पेंशन बहाल किए जाने के लिए संसद में पारित पीएफआरडीए एक्ट को निरस्त करवाने के लिए आगामी विधानसभा सत्र में प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा जाए.
  • संगठन राज्य सरकार से आग्रह करता है कि वित्त विभाग की ओर से अधिसूचना जारी करवा कर निम्नानुसार तीन उच्च अधिकार समितियों का गठन किया जाए. जिसमे "राजस्थान सिविल सेवा (अंशदायी पेंशन) नियम, 2005" एनपीएस के आर्थिक और सामाजिक नफा नुकसान का परीक्षण किया जाए. साथ ही "राजस्थान सिविल सेवा (अंशदायी पेंशन) नियम, 2005 एनपीएस निरस्त कर "राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1996" लागू करने के सुझाव दें. राजस्थान सिविल सेवा (अंशदायी पेंशन) नियम, 2005" के अधीन आने वाले सेवारत और सेवानिवृत सरकारी कर्मचारियों अधिकारियों की समस्याओं के निस्तारण हो सके.
  • जब तक एनपीएस को निरस्त नहीं किया जा रहा है तब तक राज्य सरकार के अधीन नवीन भर्ती से शासकीय सेवा में आने वाले कर्मचारियों अधिकारियों को पुरानी पेंशन योजना अथवा नवीन पेंशन योजना चुनने का विकल्प देने के लिए विभिन्न संदर्भित नियमों में परिवर्तन किया जाए.

यह भी पढ़ें- केंद्रीय कर्मचारियों ने निजीकरण और न्यू पेंशन स्कीम के विरोध में किया आंदोलन

कर्मचारियों ने रखे ये तर्क

  • नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) की जगह पुरानी पेंशन योजना लागू करने से राज्य सरकार को प्रति वर्ष 6 हजार करोड़ रूपये से ज्यादा की बचत होगी.
  • नई अंशदायी पेंशन योजना शेयर बाजार आधारित होने के कारण लाखों कर्मचारियों एवं उनके परिवारों को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद वृद्धावस्था में आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम नहीं है.
  • एनपीएस में न्यूनतम पेंशन की भी कोई गारंटी नहीं है. एनपीएस में जो कर्मचारी सेवानिवृत हो रहे हैं उन्हें महज 800 से 1200 रुपए तक पेंशन मिलने के प्रकरण सामने आ रहे हैं. जिससे एनपीएस के खिलाफ प्रदेश के कार्मिकों में रोष है.
  • राजस्थान में वर्ष 2004 से पूर्व की भांतिसभी कर्मचारियों अधिकारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करना संवैधानिक रूप से पूर्णतः राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है. भारत के संविधान के भाग 11 की 7 दी अनुसूची के अनुच्छेद 245 से 255 के अनुसार सरकारी कर्मचारियों अधिकारियों के वेतन, भत्तों के साथ पेंशन राज्य सूची विषय है.
  • नेशनल पेंशन सिस्टम (National Pension System) न राज्य हित में है और न कर्मचारियों, अधिकारियों के हित में नेशनल पेंशन सिस्टम में सेवानिवृत्ति के पश्चात मिलने वाली मासिक धनराशि को पीएफआरडीए एक्ट में कहीं भी पेंशन नहीं कहा गया है. केवल एन्युटी कहा गया है.

जयपुर. न्यू पेंशन स्कीम को लेकर लंबे समय से चल रहा प्रदेश के 5 लाख कर्मचारियों का आंदोलन और तेज होने लगा है. पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर न्यू पेंशन स्कीम एम्पलाइज फैडरेशन ऑफ राजस्थान (New Pension Scheme Employees Federation of Rajasthan) के बैनर तले प्रदेशव्यापी धरना राजधानी जयपुर में दिया गया. सरकार की योजनाओं को धरातल पर उतारने वाले कर्मचारियों ने साफ कर दिया कि सरकार वही चलेगी जो पुरानी पेंशन का अधिकार देगी.

फेडरेशन के अध्यक्ष रविन्द्र शर्मा ने कहा कि नवीन पेंशन योजना में सरकार कर्मचारियों के पैसे शेयर बाजार में लगाकर सामाजिक सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रही है. जिसमें नाम मात्र पेंशन मिल रही है. पुरानी पेंशन योजना में मूल वेतन 50 प्रतिशत डीए मिलता है. जबकि न्यू पेंशन में नो पेंशन स्कीम है. यह किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं की जाएगी. महिला कर्मचारी नेता विनीता शेखावत ने कहा कि सरकार ने न्यू पेंशन स्कीम लाकर प्रदेश के कर्मचारियों के साथ कुठाराघात किया है.

ओल्ड पेंशन बहाली को लेकर धरना

यह वो कर्मचारी हैं जो सरकार की योजनाओं को धरातल पर पहुंचाते हैं. सरकार अपने विधायकों की पेंशन में तो किसी तरह की कोई कटौती नही करती है. कर्मचारियों पर ही सभी नियम लागू किए जाते हैं. शेखावत ने कहा कि सरकार अब यह समझ ले कि प्रदेश में आगे वही सरकार राज करेगी जो कर्मचारियों की पेंशन बहाली की बात करेगी. उन्होंने कहा कि विधानसभा में सरकार अपना सदन चला रही है प्रदेश के लाखों कर्मचारी सरकार से अपना अधिकार मांग रहा है.

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कर्मचारियों की यह है मांग

  • "राजस्थान सिविल सेवा (अंशदायी पेंशन) नियम, 2005 को निरस्त कर जनवरी 2004 के बाद नियुक्त 5 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारियों अधिकारियों के लिए राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1996" लागू की जाए.
  • संगठन एनपीएस कार्मिकों का 10 प्रतिशत एनपीएस अंशदान एनएसडीएल को भेजने की जगह हाल ही में खोले गए जीपीएफ-2004 / जीपीएफ-एसएबी खातों में जमा करवाने की मांग की है.
  • अर्धसैनिक बलों और अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों सहित केंद्र सरकार के कर्मचारियों अधिकारियों की पुरानी पेंशन बहाल किए जाने के लिए संसद में पारित पीएफआरडीए एक्ट को निरस्त करवाने के लिए आगामी विधानसभा सत्र में प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा जाए.
  • संगठन राज्य सरकार से आग्रह करता है कि वित्त विभाग की ओर से अधिसूचना जारी करवा कर निम्नानुसार तीन उच्च अधिकार समितियों का गठन किया जाए. जिसमे "राजस्थान सिविल सेवा (अंशदायी पेंशन) नियम, 2005" एनपीएस के आर्थिक और सामाजिक नफा नुकसान का परीक्षण किया जाए. साथ ही "राजस्थान सिविल सेवा (अंशदायी पेंशन) नियम, 2005 एनपीएस निरस्त कर "राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1996" लागू करने के सुझाव दें. राजस्थान सिविल सेवा (अंशदायी पेंशन) नियम, 2005" के अधीन आने वाले सेवारत और सेवानिवृत सरकारी कर्मचारियों अधिकारियों की समस्याओं के निस्तारण हो सके.
  • जब तक एनपीएस को निरस्त नहीं किया जा रहा है तब तक राज्य सरकार के अधीन नवीन भर्ती से शासकीय सेवा में आने वाले कर्मचारियों अधिकारियों को पुरानी पेंशन योजना अथवा नवीन पेंशन योजना चुनने का विकल्प देने के लिए विभिन्न संदर्भित नियमों में परिवर्तन किया जाए.

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कर्मचारियों ने रखे ये तर्क

  • नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) की जगह पुरानी पेंशन योजना लागू करने से राज्य सरकार को प्रति वर्ष 6 हजार करोड़ रूपये से ज्यादा की बचत होगी.
  • नई अंशदायी पेंशन योजना शेयर बाजार आधारित होने के कारण लाखों कर्मचारियों एवं उनके परिवारों को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद वृद्धावस्था में आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम नहीं है.
  • एनपीएस में न्यूनतम पेंशन की भी कोई गारंटी नहीं है. एनपीएस में जो कर्मचारी सेवानिवृत हो रहे हैं उन्हें महज 800 से 1200 रुपए तक पेंशन मिलने के प्रकरण सामने आ रहे हैं. जिससे एनपीएस के खिलाफ प्रदेश के कार्मिकों में रोष है.
  • राजस्थान में वर्ष 2004 से पूर्व की भांतिसभी कर्मचारियों अधिकारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करना संवैधानिक रूप से पूर्णतः राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है. भारत के संविधान के भाग 11 की 7 दी अनुसूची के अनुच्छेद 245 से 255 के अनुसार सरकारी कर्मचारियों अधिकारियों के वेतन, भत्तों के साथ पेंशन राज्य सूची विषय है.
  • नेशनल पेंशन सिस्टम (National Pension System) न राज्य हित में है और न कर्मचारियों, अधिकारियों के हित में नेशनल पेंशन सिस्टम में सेवानिवृत्ति के पश्चात मिलने वाली मासिक धनराशि को पीएफआरडीए एक्ट में कहीं भी पेंशन नहीं कहा गया है. केवल एन्युटी कहा गया है.
Last Updated : Feb 12, 2022, 7:51 AM IST
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