ETV Bharat / state

अधिकरण में तीन दिन में सूचीबद्ध हों नई अपीलें, 50 साल पुराने कानून में भी बदलाव की जरूरत- हाईकोर्ट - RAJASTHAN HIGH COURT

राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण में तीन दिन में सूचीबद्ध हों नई अपीलें.

CIVIL SERVICES APPELLATE TRIBUNAL,  NEW APPEALS LISTED IN THREE DAYS
राजस्थान हाईकोर्ट का आदेश. (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 17, 2025, 9:35 PM IST

जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण में सरकारी कर्मचारियों के प्रकरणों से जुड़ी अपीलों की सुनवाई में लचर व्यवस्था के मामले में अधिकरण के चेयरमैन को कहा है कि नई अपीलों को सुनवाई के लिए तीन दिन में सूचीबद्ध किया जाए. वहीं, अधिकरण का मौजूदा कानून 50 साल पुराना हो गया है, इसलिए एजी, सीएस व विधि सचिव की कमेटी इस कानून में बदलाव को देखे. वहीं, अधिकरण के अधीन रोडवेज और बिजली कंपनी सहित स्वायत्तशासी संस्थाओं के कर्मचारियों से जुडे़ मामलों को भी लाया जाए. जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश सोमवार को मोहम्मद काशिफ की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. अदालत ने मौखिक रूप से यह भी कहा कि अधिकरण में न्यायिक अधिकारी को चेयरमैन होना चाहिए.

सुनवाई के दौरान अदालती आदेश की पालना में अधिकरण चेयरमैन व न्यायिक सदस्य वीसी के जरिए और रजिस्ट्रार व्यक्तिगत तौर पर पेश हुए. अदालत ने उनसे पूछा कि क्या आप केसों की सुनवाई सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक ही करते हैं. इस पर उन्होंने कहा कि सुबह 11 बजे से 3 बजे तक केसों की सुनवाई करते हैं. इस पर अदालत ने उनसे कहा कि राज्य सरकार का जो तय समय है, उसके अनुसार काम क्यों नहीं करते. इसका जवाब देते हुए चेयरमैन ने कहा कि तीन बजे बाद सुनवाई किए गए केसों में फैसले लिखवाते हैं. इस पर अदालत ने उनसे पूछा कि अधिकरण में केसों की कितनी पेंडेंसी है, नए केसों का सुनवाई के लिए करीब एक महीने में नंबर आता है.

पढ़ेंः हाईकोर्ट ने अधिकरण की कार्यप्रणाली के चलते मुकदमों में देरी पर चेयरमैन और रजिस्ट्रार को किया तलब

इस पर राज्य सरकार के महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि हाईकोर्ट में भी केसों की पेंडेंसी ज्यादा है. ये अधिकरण में पेंडिंग केसों में सुनवाई करते हैं. फिलहाल ट्रांसफर खुलने के चलते ही रेट में केस बढे़ हैं. इस मामले में कानून को चुनौती नहीं दी गई है और यह मामला ट्रांसफर से जुड़ा हुआ है. इस दौरान अधिवक्ताओं ने अधिकरण की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि दैनिक तौर पर 50-60 केसों में ही सुनवाई हो पाती है. ट्रांसफर केस तो अधिकरण में अब आए है, बाकी समय तो रेट का स्टाफ फ्री ही रहता है. पूरी साल उन पर केसों का कोई दबाव नहीं होता. अदालत ने सभी पक्षकारों को सुनकर राज्य सरकार व रेट को कहा कि नई अपीलों को सुनवाई के लिए तीन दिन में सूचीबद्ध किया जाए और सुनवाई भी समयानुसार हो.

जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण में सरकारी कर्मचारियों के प्रकरणों से जुड़ी अपीलों की सुनवाई में लचर व्यवस्था के मामले में अधिकरण के चेयरमैन को कहा है कि नई अपीलों को सुनवाई के लिए तीन दिन में सूचीबद्ध किया जाए. वहीं, अधिकरण का मौजूदा कानून 50 साल पुराना हो गया है, इसलिए एजी, सीएस व विधि सचिव की कमेटी इस कानून में बदलाव को देखे. वहीं, अधिकरण के अधीन रोडवेज और बिजली कंपनी सहित स्वायत्तशासी संस्थाओं के कर्मचारियों से जुडे़ मामलों को भी लाया जाए. जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश सोमवार को मोहम्मद काशिफ की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. अदालत ने मौखिक रूप से यह भी कहा कि अधिकरण में न्यायिक अधिकारी को चेयरमैन होना चाहिए.

सुनवाई के दौरान अदालती आदेश की पालना में अधिकरण चेयरमैन व न्यायिक सदस्य वीसी के जरिए और रजिस्ट्रार व्यक्तिगत तौर पर पेश हुए. अदालत ने उनसे पूछा कि क्या आप केसों की सुनवाई सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक ही करते हैं. इस पर उन्होंने कहा कि सुबह 11 बजे से 3 बजे तक केसों की सुनवाई करते हैं. इस पर अदालत ने उनसे कहा कि राज्य सरकार का जो तय समय है, उसके अनुसार काम क्यों नहीं करते. इसका जवाब देते हुए चेयरमैन ने कहा कि तीन बजे बाद सुनवाई किए गए केसों में फैसले लिखवाते हैं. इस पर अदालत ने उनसे पूछा कि अधिकरण में केसों की कितनी पेंडेंसी है, नए केसों का सुनवाई के लिए करीब एक महीने में नंबर आता है.

पढ़ेंः हाईकोर्ट ने अधिकरण की कार्यप्रणाली के चलते मुकदमों में देरी पर चेयरमैन और रजिस्ट्रार को किया तलब

इस पर राज्य सरकार के महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि हाईकोर्ट में भी केसों की पेंडेंसी ज्यादा है. ये अधिकरण में पेंडिंग केसों में सुनवाई करते हैं. फिलहाल ट्रांसफर खुलने के चलते ही रेट में केस बढे़ हैं. इस मामले में कानून को चुनौती नहीं दी गई है और यह मामला ट्रांसफर से जुड़ा हुआ है. इस दौरान अधिवक्ताओं ने अधिकरण की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि दैनिक तौर पर 50-60 केसों में ही सुनवाई हो पाती है. ट्रांसफर केस तो अधिकरण में अब आए है, बाकी समय तो रेट का स्टाफ फ्री ही रहता है. पूरी साल उन पर केसों का कोई दबाव नहीं होता. अदालत ने सभी पक्षकारों को सुनकर राज्य सरकार व रेट को कहा कि नई अपीलों को सुनवाई के लिए तीन दिन में सूचीबद्ध किया जाए और सुनवाई भी समयानुसार हो.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.