जयपुर. इंदिरा गांधी नहर परियोजना क्षेत्र में 30 मार्च से 28 मई तक इतिहास में सबसे लम्बी अवधि की नहरबंदी के दौरान जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग और जल संसाधन विभाग के बीच सतत तालमेल से प्रदेश के 10 जिलों में पेयजल प्रबंधन के लिहाज से आपसी समन्वय की एक नई मिसाल पेश की गई. दोनों विभाग के उच्च अधिकारियों ने नहर बंदी के दौरान किए गए कार्यों को सराहा.
पीएचईडी के एसीएस सुधांश पंत और डब्ल्यूआरडी के प्रमुख शासन सचिव नवीन महाजन की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से मंगलवार को आईजीएनपी की नहरबंदी के बारें में एक डी-ब्रीफिंग सेशन आयोजित किया गया. इसमें अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में आईजीएनपी के करीब 8500 किलोमीटर के नेटवर्क में आने वाले दस जिलों श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, चुरू, जैसलमेर, जोधपुर, बाड़मेर, नागौर, सीकर और झुंझुनू में नहरबंदी के दौरान टेल एंड तक पेयजल व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए माइक्रो प्लानिंग, राऊण्ड द क्लॉक मॉनिटरिंग और पेश आई चुनौतियों का समय पर समाधान निकालकर लोगों को राहत दी गई.
डी-ब्रीफिंग सेशन में पीएचईडी के एसीएस सुधांश पंत और डब्ल्यूआरडी के प्रमुख शासन सचिव नवीन महाजन ने सभी अधिकारियों के प्रयासों की सराहना की और कहा कि दोनों विभागों के स्तर पर इस नहरबंदी के दौरान जो समन्वय कायम हुआ है, उसे आगे भी इसी तरह बरकरार रखा जाए.
एसीएस पंत ने डी-ब्रीफिंग सेशन को कारगर बताते हुए कहा कि सम्बंधित जिलों में आवश्यकता के अनुसार कुछ निर्माण कार्य कराए जाने हो तो जल्द प्लानिंग कर उनको शुरू किया जा सकता है. उन्होंने अधिकारियों की ओऱ से कमोबेश सभी स्थानों पर पेयजल आपूर्ति को सुचारु बनाए रखने में कड़ी मेहनत की सराहना की. कहीं-कहीं लोगों को कुछ परेशानी का भी सामना करना पड़ा. पंत ने डब्ल्यूआरडी के अधिकारियों को इस बात के लिए बधाई दी कि इस बार की नहरबंदी के दौरान आईजीएनपी की करीब 70 किलोमीटर की लाइनिंग को समयबद्ध तरीके से एक-एक दिन का सदुपयोग करते हुए दुरुस्त किया गया.
पेयजल प्रबंधन की चुनौती निभाई
डब्ल्यूआरडी के प्रमुख शासन सचिव नवीन महाजन ने कहा कि इस बार पंजाब के पोंग डैम, रणजीत सागर और भाखड़ा डैम में पानी का स्तर तुलनात्मक रूप से कम होने बावजूद नहरबंदी के दौरान पीएचईडी के स्तर पर सक्रियता की वजह से लाइनिंग की मरम्मत के साथ-साथ पेयजल प्रबंधन की चुनौतियों को बखूबी निभाया जा सका. उन्होंने कहा कि नहरबंदी के दौरान रेग्यूलेशन विंग, आईजीएनपी और जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों को स्वायतता के साथ कार्य करने का अवसर दिया गया.
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उन्होंने पीएचईडी के अधिकारियों के साथ समन्वय कर एडवांस में 'पोंडिंग' कराई. इसके अलावा आवश्यकता पड़ने पर पंजाब और भाखड़ा व्यास प्रबंधन बोर्ड से सम्पर्क कर जिलों के लिए अतिरिक्त पानी भी रिलीज कराया गया. महाजन ने कहा कि नहरबंदी के दौरान राज्य के मुख्य सचिव और पंजाब के मुख्य सचिव तथा दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्री कार्यालयों के बीच भी बातचीत की गई.
वीसी के दौरान जल संसाधन विभाग की रेग्यूलेशन विंग के अतिरिक्त मुख्य अभियंता प्रदीप रस्तोगी ने बताया कि उन्होंने डब्ल्यूआरडी (WRD) के अधिकारियों ने पीएचईडी (PHED) के अधिकारियों से आईजीएनपी से जुड़ी पेयजल योजनाओं की अधिकतम जल संग्रहण क्षमता के बारे में अग्रिम तौर पर सूचना का संकलन और मुख्य नहर के सभी तालाबों की क्षमताओं का आंकलन कर आवश्यक व्यवस्थाएं की. इन्दिरा गांधी फीडर पर स्थित पॉन्ड में भंडारित जल का उपयोग कर जैसलमेर संभाग के ग्रामीण क्षेत्र को 1500 क्यूसेक्स पर डे पानी उपलब्ध कराने के लिए जो नहरें चल रही थी उनको न्यूनतम मांग पर संचालित किया गया.
टेल तक पानी पहुंचाने को की गई पेट्रोलिंग
जिलों में टेल एंड तक पानी पहुंचाने के लिए मुख्य नहर पर आरएसी के जवानों की ओऱ से पेट्रोलिंग की गई. नहरबंदी के दौरान जिलों में नहरों में प्रवाहित जल का प्रयोग पेयजल के अलावा अवैध रूप से अन्य कामों में नहीं हो इसका भी पूरा ध्यान रखा गया. मुख्य नहर में नुकसान को कम करने के लिये दो पॉन्ड्स को एक साथ खाली किए जाने की कार्य योजना बनाई गई. इस प्रकार के कदमों से लगभग 2000 क्यूसेक्स-डे पानी की बचत हुई जिसे जोधपुर को 5 दिन अतिरिक्त एवं बीकानेर को लगभग पांच दिन तक और पानी दिया जाना संभव हो सका.
जल व्यर्थ न बहे इसके लिए आईजीएनपी की मुख्य नहर से निकलने वाली नहरों के हेड रेग्युलेटर के गेटों को सील कर लीकेज को बन्द किया गया. इसके अलावा ऐसे हेड रेग्यूलेटर एवं डायरेक्ट आउट लेट जहां से पानी की चोरी होने की संभावना थी, उनके गेट्स को वेल्डिंग करके बन्द रखा गया. नहरबंदी के दौरान ताउते तूफान के कारण नहर प्रणालियों में जल के प्रवाह में किसी प्रकार की बाधा नहीं आए. इसके लिए अधिकारियों ने वाट्स एप के माध्यम सूचनाएं साझाकर कार्रवाई की.