जयपुर. दौसा जिले में डॉक्टर की खुदकुशी से सब आहत हैं. सोशल प्लेटफॉर्म से लेकर सड़क पर पीड़ित परिवार को जस्टिस दिलाने की बात उठ रही है. चिकित्सक दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं राजनैतिक गलियारों से भी निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कर रहे हैं. उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौर पहले ही इस पूरे मामले में कांग्रेस सरकार को घेर चुके हैं तो आज पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी निष्पक्ष जांच की मांग ट्वीट कर उठाई है. चौतरफा बढ़ते दबाव के बीच चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा की टिप्पणी सामने आई है. जो प्रदेश की पुलिस को कटघरे में खड़ी करती (Health Minister says Strict action will be taken against the Culprits) है. उन्होंने भी इस बात को स्वीकारा है कि पुलिस ने जानबूझकर धारा 302 में मुकदमा दर्ज किया जिससे ये दुखद घटना घटी.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश 302 में मुकदमा दर्ज नही होता: चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने अपनी बात को प्रूव करने के SC के निर्देशों का हवाला दिया है. घटना पर दुख जाहिर करते हुए कहा है- कि बहुत दुखद घटना है. इतनी दुखद है कि कुछ कह नहीं सकते...जो घटना चक्र हुआ उसमें डॉक्टर के खिलाफ कभी भी 302 का मुकदमा दर्ज नहीं हो सकता. सुप्रीम कोर्ट का आदेश है. बावजूद इसके पुलिस अधिकारियों ने जानबूझकर मुकदमा दर्ज किया. इसके कारण ये घटना घटी.
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पुलिस की रही लापरवाही: चिकित्सा मंत्री ने कहा कि जिस तरीके से एक डॉक्टर के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ और वह इस मुकदमे से अवसाद में चली गई और खुदकुशी जैसा कदम उठाया. निश्चित रूप से इसमें पुलिस की लापरवाही रही और इसकी जांच हो रही है. पुलिस की इस लापरवाही के कारण ही एक अच्छी डॉक्टर ने खुदकुशी कर ली. मीणा ने कहा कि डॉक्टर ने अपने पत्र में लिखा है कि मेरी शहादत ही मेरी बेगुनाही है. जो दुखद है जिन्होंने भी गलती की सजा मिलनी चाहिए. चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने इसी व्यक्तिगत क्षति माना है और पीड़ित परिवार से मिलने की इच्छा जताई है.
दौसा पुलिस अधीक्षक पर गाज गिर सकती है : घटना की जानकारी आने के साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस पूरे मामले की जांच के लिए कमिश्नर की अध्यक्षता में जांच कमेटी बना दी है. कमेटी की रिपोर्ट आने के साथ ही दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. सूत्रों की मानें तो दौसा पुलिस अधीक्षक पर गाज गिर सकती है. कार्मिक विभाग कभी भी इस पूरे मामले को देखते हुए एसपी के सस्पेंशन ऑर्डर जारी कर सकता है.