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दारासिंह एनकाउंटर प्रकरण: कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने FIR दर्ज किए बिना परिवाद को लौटाया

दारा सिंह एनकाउंटर प्रकरण में दारा की विधवा पर दवाब डालकर उसके अदालत में बयान बदलवाने के मामले में बनीपार्क थाना पुलिस ने एफआईआर दर्ज किए बिना परिवाद को अदालत में लौटा दिया है. अदालत ने पुलिस की ओर से पेश आपत्तियों पर परिवादी से 15 जनवरी को जवाब देने को कहा है.

Dara Singh encounter case,  दारासिंह एनकाउंटर प्रकरण
जयपुर कोर्ट
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Published : Jan 10, 2020, 9:01 PM IST

Updated : Jan 10, 2020, 11:10 PM IST

जयपुर. दारा सिंह एनकाउंटर प्रकरण में दारा की विधवा पर दवाब डालकर उसके अदालत में बयान बदलवाने के मामले में बनीपार्क थाना पुलिस ने एफआईआर दर्ज किए बिना परिवाद को अदालत में लौटा दिया है. अदालत ने पुलिस की ओर से पेश आपत्तियों पर परिवादी से 15 जनवरी को जवाब देने को कहा है.

पुलिस की ओर से महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-17 को परिवाद लौटाते हुए कहा गया कि परिवादी ने 2 न्यायाधीशों के नाम घटनाक्रम में बताए हैं, लेकिन उन्हें आरोपियों की सूची में शामिल नहीं किया है. जिसके कारण अदालत की ओर से आदेश देते समय इस बिन्दु पर विचार नहीं हुआ. वहीं, परिवाद की ओर से बताई गई घटना न्यायिक प्रकरण में चली कार्रवाई से संबंधित है. इस निर्णय के पूर्ववर्ती घटनाक्रम के संबंध में कोई परिवाद पोषणीय प्रतीत नहीं होता.

पढ़ें- दारा एनकाउंटर में बरी हुए आरोपी पर फिर से केस दर्ज करने के आदेश, जाने दारा एनकाउंटर की पूरी कहानी...

वहीं, अदालत आदेश के बाद घटनाक्रम अवैध लेनदेन से संबंधित है, जो अनुसंधान योग्य बिन्दु नहीं है. इसके अलावा परिवादी ने अदालत में पेश होकर पूर्व में कोई परिवाद पेश नहीं किया है. यदि इस संबंध में परिवादी की ओर से अदालत में कोई शपथ पत्र पेश किया गया है तो वह झूठा है. ऐसे में यह निर्धारित किया जाना उचित है कि क्या यह एफआईआर विधि अनुसार पोषणीय है या नहीं? पुलिस की ओर से कहा गया कि इन बिन्दुओं पर विचार कर आदेश दिए जाए.

गौरतलब है कि अदालत ने गत 8 जनवरी को दारा सिंह के बेटे अमित बेनीवाल के परिवाद पर सुनवाई करते हुए पूर्व मंत्री राजेन्द्र राठौड़ और राजाराम मील सहित 23 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश दिए थे. परिवादी की ओर से आरोप लगाया गया कि आरोपियों ने दवाब डालकर उसकी मां सुशीला देवी के अदालत में बयान बदलवाए और अदालत से सभी आरोपियों को बरी कराया.

जयपुर. दारा सिंह एनकाउंटर प्रकरण में दारा की विधवा पर दवाब डालकर उसके अदालत में बयान बदलवाने के मामले में बनीपार्क थाना पुलिस ने एफआईआर दर्ज किए बिना परिवाद को अदालत में लौटा दिया है. अदालत ने पुलिस की ओर से पेश आपत्तियों पर परिवादी से 15 जनवरी को जवाब देने को कहा है.

पुलिस की ओर से महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-17 को परिवाद लौटाते हुए कहा गया कि परिवादी ने 2 न्यायाधीशों के नाम घटनाक्रम में बताए हैं, लेकिन उन्हें आरोपियों की सूची में शामिल नहीं किया है. जिसके कारण अदालत की ओर से आदेश देते समय इस बिन्दु पर विचार नहीं हुआ. वहीं, परिवाद की ओर से बताई गई घटना न्यायिक प्रकरण में चली कार्रवाई से संबंधित है. इस निर्णय के पूर्ववर्ती घटनाक्रम के संबंध में कोई परिवाद पोषणीय प्रतीत नहीं होता.

पढ़ें- दारा एनकाउंटर में बरी हुए आरोपी पर फिर से केस दर्ज करने के आदेश, जाने दारा एनकाउंटर की पूरी कहानी...

वहीं, अदालत आदेश के बाद घटनाक्रम अवैध लेनदेन से संबंधित है, जो अनुसंधान योग्य बिन्दु नहीं है. इसके अलावा परिवादी ने अदालत में पेश होकर पूर्व में कोई परिवाद पेश नहीं किया है. यदि इस संबंध में परिवादी की ओर से अदालत में कोई शपथ पत्र पेश किया गया है तो वह झूठा है. ऐसे में यह निर्धारित किया जाना उचित है कि क्या यह एफआईआर विधि अनुसार पोषणीय है या नहीं? पुलिस की ओर से कहा गया कि इन बिन्दुओं पर विचार कर आदेश दिए जाए.

गौरतलब है कि अदालत ने गत 8 जनवरी को दारा सिंह के बेटे अमित बेनीवाल के परिवाद पर सुनवाई करते हुए पूर्व मंत्री राजेन्द्र राठौड़ और राजाराम मील सहित 23 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश दिए थे. परिवादी की ओर से आरोप लगाया गया कि आरोपियों ने दवाब डालकर उसकी मां सुशीला देवी के अदालत में बयान बदलवाए और अदालत से सभी आरोपियों को बरी कराया.

Intro:जयपुर। दारा सिंह एनकाउंटर प्रकरण में दारा की विधवा पर दवाब डालकर उसके अदालत में बयान बदलवाने के मामले में बनीपार्क थाना पुलिस ने एफआईआर दर्ज किए बिना परिवाद को अदालत में लौटा दिया है। अदालत ने पुलिस की ओर से पेश आपत्तियों पर परिवादी से 15 जनवरी को जवाब देने को कहा है।Body:पुलिस की ओर से महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-17 को परिवाद लौटाते हुए कहा गया कि परिवादी ने दो न्यायाधीशों के नाम घटनाक्रम में बताए हैं, लेकिन उन्हें आरोपियों की सूची में शामिल नहीं किया है। जिसके कारण अदालत की ओर से आदेश देते समय इस बिन्दु पर विचार नहीं हुआ। वहीं परिवाद जो बताई गई घटना न्यायिक प्रकरण में चली कार्रवाई से संबंधित है। इस निर्णय के पूर्ववर्ती घटनाक्रम के संबंध में कोई परिवाद पोषणीय प्रतीत नहीं होता। वहीं अदालत आदेश के बाद घटनाक्रम अवैध लेनदेन से संबंधित है, जो अनुसंधान योग्य बिन्दु नहीं है। इसके अलावा परिवादी ने अदालत में पेश होकर पूर्व में कोई परिवाद पेश नहीं किया है। यदि इस संबंध में परिवादी की ओर से अदालत में कोई शपथ पत्र पेश किया गया है तो वह झूठा है। ऐसे में यह निर्धारित किया जाना उचित है कि क्या यह एफआईआर विधि अनुसार पोषणीय है या नहीं? पुलिस की ओर से कहा गया कि इन बिन्दुओं पर विचार कर आदेश दिए जाए।
गौरतलब है कि अदालत ने गत 8 जनवरी को दारा सिंह के बेटे अमित बेनीवाल के परिवाद पर सुनवाई करते हुए पूर्व मंत्री राजेन्द्र राठौड और राजाराम मील सहित 23 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश दिए थे। परिवादी की ओर से आरोप लगाया गया कि आरोपियों ने दवाब डालकर उसकी मां सुशीला देवी के अदालत में बयान बदलवाए और अदालत से सभी आरोपियों को बरी कराया।
Conclusion:
Last Updated : Jan 10, 2020, 11:10 PM IST
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