जयपुर. राजधानी में 14 अगस्त की भीषण बारिश से यूं तो कई जगह काफी नुकसान हुआ, लेकिन इस भीषण बरसात में प्रदेश के इतिहास को भी मटियामेट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. इतिहास के पन्नों और शिलालेखों से अटा पड़ा अल्बर्ट हॉल का तहखाना भीषण बारिश के पानी से सराबोर हो गया. अल्बर्ट हॉल के बेसमेंट में 6 फीट तक भरे इस बरसात का पानी को अब निकाल दिया गया है. रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है, लेकिन बरसात ने बदइंतजामी और अदूरदर्शिता के चलते इतिहास को झकझोर कर रख दिया है.
रामनिवास बाग के बीचोबीच स्थित अल्बर्ट हॉल एक केंद्रीय संग्रहालय भर है, लेकिन इसमें जो इतिहास संजोया गया है. वह इतना दुर्लभ है कि उसमें 30 ईसवी पूर्व से लेकर आधुनिक भारत तक की दुर्लभ तस्वीर, शिल्प, दस्तावेज, सिक्के और ऐसी अनुपम और दुर्लभ सामग्री संकलित है. जिसकी कोई कीमत नहीं लगाई जा सकती.
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यहां पर मिस्र की तूतू नामक महिला की मृत देह इजिप्ट के प्राचीन नगर पैनोपोलिस में अखमीन से प्राप्त हुई थी. ममी 322 से 30 ईसवी पूर्व के टोलोमाइक युग की बताई जाती है. यह महिला खेम नामक देव के उपासक पुरोहितों के परिवार की सदस्य थी. मृत्यु के पश्चात इस महिला की देह को विशेष रसायनों के लेप लगाकर ममी में तब्दील कर दिया गया था. इस ममी को इजिप्ट से जयपुर के रामनिवास बाग स्थित अल्बर्ट हॉल में लाया गया था. तभी से यह यहां आने वाले सैलानियों की उत्सुकता का केंद्र रही है.
पुरातत्व विभाग समय-समय पर ममी की हालत जानने के लिए विशेषज्ञ बुलाता रहा है. इसके अलावा विभिन्न सभ्यताओं के खुदाई में मिले सिक्के, टेराकोटा, दुर्लभ पेंटिंग, कास्ट शिल्प, पाषाण शिल्प सहित विभिन्न राजा महाराजाओं की पोशाक, उनके हथियार विभिन्न राजघरानों के इतिहास से जुड़े दस्तावेज सहित हजारों की तादाद में ऐसी सामग्री यहां संकलित हैं, जिसकी कीमत नहीं लगाई जा सकती.
14 अगस्त को आई तूफानी बारिश ने इस इतिहास को मिटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. चारों ओर से पानी का तेज बहाव अल्बर्ट हॉल की तरफ बढ़ा और उसके बेसमेंट को पानी से सराबोर कर दिया. 6 से 7 फीट तक पानी अल्बर्ट हॉल के बेसमेंट में भर गया. जहां ममी सहित बहुमूल्य पूरा सामग्री रखी हुई थी. पानी का प्रभाव इतना तेज था कि पुरातत्व विभाग के कर्मचारी इससे पहले खुद समझ पाते, पूरे बेसमेंट में पानी ही पानी हो गया.
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अल्बर्ट हॉल के बेसमेंट में भरे पानी को पिछले तीन-चार दिन से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर निकाला गया. मड पंप के जरिए पानी को बाहर फेंका गया. इसके बाद बेसमेंट से तमाम पूरा सामग्री को बाहर निकालने का काम शुरू किया गया, जो अभी तक चल रहा है. 90 फीसदी तक सामग्री को बाहर निकाल लिया गया. ममी को भी बेसमेंट में कांच तोड़कर बाहर निकाला गया. हालांकि ममी में किसी तरह का नुकसान हुआ है, इसका आकलन विशेषज्ञ ही कर पाएंगे. लेकिन देश और प्रदेश के इतिहास से जुड़े तमाम ऐतिहासिक दस्तावेज इस पानी में धूल और घुल गए. तमाम पेंटिंग्स, टेराकोटा, ऐतिहासिक दस्तावेज, विभागीय दस्तावेज और फाइल बाहर सुखाए जा रहे हैं.
इस मामले में अल्बर्ट हॉल के अधीक्षक राकेश छोलक का कहना है कि नुकसान का आकलन दो रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा होने के बाद पता चलेगा, लेकिन कंप्यूटर लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान बरसात के पानी से खराब हुए हैं. इनकी कीमत डेढ़ से 2 करोड़ रुपये है, लेकिन ज्यादा नुकसान ऐतिहासिक दस्तावेज और पुरा सामग्री को भी हुआ है, जिसकी कीमत नहीं लगाई जा सकती.14 अगस्त की भीषण बारिश ने आपदा प्रबंधन की खामियों की पोल खोल कर रख दी.