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World Migrants Day : पाकिस्तान से आए हिंदू डॉक्टर और प्रोफेसर बेरोजगार, पढ़ाई-काम में रोड़ा बना LTV - HINDU MIGRANTS FROM PAKISTAN

पाकिस्तान से आए हिंदू विस्थापितों को लॉन्ग टर्म वीजा (LTV) मिलने में देरी से कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

World Migrants Day
World Migrants Day (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 3 hours ago

जोधपुर : पाकिस्तान से हिंदू विस्थापितों का भारत आना लगातार जारी है, लेकिन यहां आने के बाद उन्हें रोजगार, बच्चों की शिक्षा और आधार कार्ड की कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. आधार कार्ड के लिए लॉन्ग टर्म वीजा (LTV) जरूरी होता है, जिसके लिए इन्हें लंबा इंतजार करना पड़ता है. पाकिस्तान से आए प्रोफेशनल्स जैसे डॉक्टर, इंजीनियर और प्रोफेसर भी यहां बिना एलटीवी के काम नहीं कर पा रहे हैं. कई विस्थापितों को ट्यूशन पढ़ाकर या छोटे-मोटे कामों से गुजारा करना पड़ रहा है.

डिग्रीधारी पेशेवरों की कहानी : सिविल इंजीनियर मंजी राणा 2017 में पाकिस्तान से भारत आए थे. उन्होंने बताया कि यहां उनकी डिग्री मान्य नहीं हुई. परिवार पालने के लिए उन्हें स्कूलों में पढ़ाने और ट्यूशन का सहारा लेना पड़ा. अब जाकर उन्हें एलटीवी मिला है. राणा का कहना है कि यहां बच्चों की पढ़ाई में भी रुकावट आती है. सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे बच्चों की शिक्षा जारी रहे और उन्हें रोजगार आसानी से मिल सके.

पाक विस्थापितों को लॉन्ग टर्म वीजा मिलने में देरी से परेशानी (ETV Bharat Jodhpur)

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पहले हिंदू डॉक्टर बने, यहां बेरोजगार : पाकिस्तान के बहावलपुर के रहने वाले डॉ. शंकर कुमार गोयल, रहमियार खान स्थित मेडिकल कॉलेज में दाखिला पाने वाले पहले हिंदू छात्र थे. उन्होंने एमबीबीएस करने के बाद इंटर्नशिप भी पूरी कर ली थी. डॉ. शंकर कुमार गोयल जनवरी 2022 में अपने परिवार के साथ भारत आ गए, लेकिन अभी तक उन्हें एलटीवी नहीं मिला है. उनकी बहन की पढ़ाई रुकी हुई है और वे खुद ऑनलाइन कंसल्टेशन के जरिए गुजारा कर रहे हैं. डॉ. शंकर ने बताया कि उन्होंने नीट पीजी की परीक्षा दी है और दो काउंसलिंग भी हो चुकी हैं, लेकिन एलटीवी के बिना उन्हें दाखिला नहीं मिलेगा. उन्होंने सरकार से प्रक्रिया को तेज करने और पढ़ने वालों के लिए नियमों में छूट की मांग की है.

ट्यूशन से गुजारा : सिंध प्रांत के टंडोलिया केएसएम कॉलेज में राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर रहे कमल दास दो साल पहले परिवार के साथ भारत आए थे. पाकिस्तान में उन्हें करीब 70,000 पाकिस्तानी रुपए वेतन मिलता था, लेकिन बेहतर भविष्य की आशा में उन्होंने भारत आने का फैसला किया. कमल दास ने बताया कि अब तक उनके परिवार के केवल तीन सदस्यों को एलटीवी मिला है. वे ट्यूशन पढ़ाकर गुजारा कर रहे हैं. उनका बेटा संजय, जिसने जूलॉजी में बीएससी किया था, आधार कार्ड न होने के कारण आगे नहीं पढ़ पा रहा है.

इसे भी पढ़ें- इंतजार ख्त्म, भारतीय नागरिकता मिलने के बाद खुश नजर आए पाक विस्थापित

एलटीवी क्यों है जरूरी ? : पाकिस्तान से आने वाले विस्थापितों को शुरू में केवल 15 से 25 दिन का वीजा मिलता है. इसके बाद उन्हें लॉन्ग टर्म वीजा के लिए आवेदन करना पड़ता है, जिसकी प्रक्रिया बेहद धीमी है. गृह मंत्रालय द्वारा इसमें तेजी लाने से इन लोगों का जीवन आसान हो सकता है. एलटीवी मिलने के बाद आधार कार्ड बनाया जा सकता है, जिससे उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस, स्कूल में दाखिला, सरकारी अस्पताल में उपचार, बैंक खाता खोलने जैसी सुविधाएं मिलती हैं. एलटीवी के बिना ये लोग रोजगार के लिए संघर्ष करते हैं और अपने रिश्तेदारों के नाम पर व्यवसाय चलाने को मजबूर होते हैं.

जोधपुर : पाकिस्तान से हिंदू विस्थापितों का भारत आना लगातार जारी है, लेकिन यहां आने के बाद उन्हें रोजगार, बच्चों की शिक्षा और आधार कार्ड की कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. आधार कार्ड के लिए लॉन्ग टर्म वीजा (LTV) जरूरी होता है, जिसके लिए इन्हें लंबा इंतजार करना पड़ता है. पाकिस्तान से आए प्रोफेशनल्स जैसे डॉक्टर, इंजीनियर और प्रोफेसर भी यहां बिना एलटीवी के काम नहीं कर पा रहे हैं. कई विस्थापितों को ट्यूशन पढ़ाकर या छोटे-मोटे कामों से गुजारा करना पड़ रहा है.

डिग्रीधारी पेशेवरों की कहानी : सिविल इंजीनियर मंजी राणा 2017 में पाकिस्तान से भारत आए थे. उन्होंने बताया कि यहां उनकी डिग्री मान्य नहीं हुई. परिवार पालने के लिए उन्हें स्कूलों में पढ़ाने और ट्यूशन का सहारा लेना पड़ा. अब जाकर उन्हें एलटीवी मिला है. राणा का कहना है कि यहां बच्चों की पढ़ाई में भी रुकावट आती है. सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे बच्चों की शिक्षा जारी रहे और उन्हें रोजगार आसानी से मिल सके.

पाक विस्थापितों को लॉन्ग टर्म वीजा मिलने में देरी से परेशानी (ETV Bharat Jodhpur)

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पहले हिंदू डॉक्टर बने, यहां बेरोजगार : पाकिस्तान के बहावलपुर के रहने वाले डॉ. शंकर कुमार गोयल, रहमियार खान स्थित मेडिकल कॉलेज में दाखिला पाने वाले पहले हिंदू छात्र थे. उन्होंने एमबीबीएस करने के बाद इंटर्नशिप भी पूरी कर ली थी. डॉ. शंकर कुमार गोयल जनवरी 2022 में अपने परिवार के साथ भारत आ गए, लेकिन अभी तक उन्हें एलटीवी नहीं मिला है. उनकी बहन की पढ़ाई रुकी हुई है और वे खुद ऑनलाइन कंसल्टेशन के जरिए गुजारा कर रहे हैं. डॉ. शंकर ने बताया कि उन्होंने नीट पीजी की परीक्षा दी है और दो काउंसलिंग भी हो चुकी हैं, लेकिन एलटीवी के बिना उन्हें दाखिला नहीं मिलेगा. उन्होंने सरकार से प्रक्रिया को तेज करने और पढ़ने वालों के लिए नियमों में छूट की मांग की है.

ट्यूशन से गुजारा : सिंध प्रांत के टंडोलिया केएसएम कॉलेज में राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर रहे कमल दास दो साल पहले परिवार के साथ भारत आए थे. पाकिस्तान में उन्हें करीब 70,000 पाकिस्तानी रुपए वेतन मिलता था, लेकिन बेहतर भविष्य की आशा में उन्होंने भारत आने का फैसला किया. कमल दास ने बताया कि अब तक उनके परिवार के केवल तीन सदस्यों को एलटीवी मिला है. वे ट्यूशन पढ़ाकर गुजारा कर रहे हैं. उनका बेटा संजय, जिसने जूलॉजी में बीएससी किया था, आधार कार्ड न होने के कारण आगे नहीं पढ़ पा रहा है.

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एलटीवी क्यों है जरूरी ? : पाकिस्तान से आने वाले विस्थापितों को शुरू में केवल 15 से 25 दिन का वीजा मिलता है. इसके बाद उन्हें लॉन्ग टर्म वीजा के लिए आवेदन करना पड़ता है, जिसकी प्रक्रिया बेहद धीमी है. गृह मंत्रालय द्वारा इसमें तेजी लाने से इन लोगों का जीवन आसान हो सकता है. एलटीवी मिलने के बाद आधार कार्ड बनाया जा सकता है, जिससे उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस, स्कूल में दाखिला, सरकारी अस्पताल में उपचार, बैंक खाता खोलने जैसी सुविधाएं मिलती हैं. एलटीवी के बिना ये लोग रोजगार के लिए संघर्ष करते हैं और अपने रिश्तेदारों के नाम पर व्यवसाय चलाने को मजबूर होते हैं.

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