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Corona Effect: लॉकडाउन से दूध पर संकट, औने-पौने दाम पर खरीदा जा रहा पशुपालकों से MILK

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Published : Apr 15, 2020, 9:03 PM IST

कोरोना वायरस का असर अब दूध का व्यवसाय करने वाले पशुपालकों पर भी दिख रहा है. हालत ये है कि अब पशुपालकों से कम दामों में दूध खरीदा जा रहा है. ऐसे में जिन किसानों ने लोन लेकर दूध का व्यवसाय शुरु किया है उनके लिए बैंक की किश्त भरना भी मुश्किल हो रहा है साथ ही पशुओं के लिए चारा और परिवार के लिए रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

Dairy business stalled, पशुपालक परेशान
लॉकडाउन से दूध पर संकट.

जयपुर. राजधानी जयपुर की दूदू पंचायत समिति क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पशुपालन और डेयरी का कारोबार होता है. यहां से हर दिन बड़ी मात्रा में जयपुर शहर के लिए दूध सप्लाई किया जाता है. सरस के अलावा पायस और लोटस जैसी प्राइवेट डेयरी भी यहां के पशुपालकों से दूध खरीदती है. लेकिन देश में लॉक डाउन के बाद से यहां के पशुपालकों के लिए संकट खड़ा हो गया है. डेयरी कारोबार से जुड़े इन पशुपालकों के मुताबिक कुल उत्पादन के आधार पर डेयरी दूध नहीं खरीद रही है.

लॉकडाउन से दूध पर संकट

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एक दर्जन ग्राम पंचायतें 15 हजार लीटर से ज़्यादा का दूध निर्यात करती हैं. ऐसे में बैंक से लिए लोन और पशुपालकों के खाने-पीने की चिंता भी उन्हें सताने लगी है. ईटीवी भारत से बात करते हुए स्थानीय पशुपालकों ने कहा, कि दूध का उत्पादन तो पहले जैसा ही है लेकिन दूध की बिक्री अब कम हो गई है. मवेशियों को यह दूध पिलाने के साथ-साथ घर के इस्तेमाल के बावजूद भी काफी दूध व्यर्थ हो जाता है.

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पशुपालकों के मुताबिक ज्यादातर लोगों ने सरकारी ऋण के आधार पर यह डेयरी स्थापित की है ऐसे में दूध नहीं बिक पाने के कारण इस बार उनके लिए लोन की किस्त देना भी मुश्किल हो रहा है.

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इन पशुपालकों के लिए जहां आर्थिक परिस्थितियां विपरीत हो चली है वहीं पशुओं को अब चारा पानी उपलब्ध करा पानी भी मुश्किल हो गया है. पशुपालकों के मुताबिक लॉक डाउन की वजह से खल चारा बेचने वाली दुकाने भी ज्यादातक बंद है. वहीं शहरों से आने वाली सप्लाई भी नहीं हो पा रही है. दूध के सही दाम नहीं मिलने की वजह से पशुपालकों के सामने रोजी रोटी का संकट मंडरा रहा है.

जयपुर. राजधानी जयपुर की दूदू पंचायत समिति क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पशुपालन और डेयरी का कारोबार होता है. यहां से हर दिन बड़ी मात्रा में जयपुर शहर के लिए दूध सप्लाई किया जाता है. सरस के अलावा पायस और लोटस जैसी प्राइवेट डेयरी भी यहां के पशुपालकों से दूध खरीदती है. लेकिन देश में लॉक डाउन के बाद से यहां के पशुपालकों के लिए संकट खड़ा हो गया है. डेयरी कारोबार से जुड़े इन पशुपालकों के मुताबिक कुल उत्पादन के आधार पर डेयरी दूध नहीं खरीद रही है.

लॉकडाउन से दूध पर संकट

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एक दर्जन ग्राम पंचायतें 15 हजार लीटर से ज़्यादा का दूध निर्यात करती हैं. ऐसे में बैंक से लिए लोन और पशुपालकों के खाने-पीने की चिंता भी उन्हें सताने लगी है. ईटीवी भारत से बात करते हुए स्थानीय पशुपालकों ने कहा, कि दूध का उत्पादन तो पहले जैसा ही है लेकिन दूध की बिक्री अब कम हो गई है. मवेशियों को यह दूध पिलाने के साथ-साथ घर के इस्तेमाल के बावजूद भी काफी दूध व्यर्थ हो जाता है.

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पशुपालकों के मुताबिक ज्यादातर लोगों ने सरकारी ऋण के आधार पर यह डेयरी स्थापित की है ऐसे में दूध नहीं बिक पाने के कारण इस बार उनके लिए लोन की किस्त देना भी मुश्किल हो रहा है.

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इन पशुपालकों के लिए जहां आर्थिक परिस्थितियां विपरीत हो चली है वहीं पशुओं को अब चारा पानी उपलब्ध करा पानी भी मुश्किल हो गया है. पशुपालकों के मुताबिक लॉक डाउन की वजह से खल चारा बेचने वाली दुकाने भी ज्यादातक बंद है. वहीं शहरों से आने वाली सप्लाई भी नहीं हो पा रही है. दूध के सही दाम नहीं मिलने की वजह से पशुपालकों के सामने रोजी रोटी का संकट मंडरा रहा है.

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