जयपुर. प्रदेश में राज्य सरकार की ओर से पटाखों पर लगे प्रतिबंध को हटाने के लिए रविवार को राजस्थान फायर वर्क्स डीलर्स एंड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन की ओर से प्रदर्शन किया गया. इस प्रदर्शन में सैकड़ों पटाखा व्यवसायी शामिल हुए.
इस दौरान एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि पटाखों से बैन हटाने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर है, जिसकी सुनवाई सोमवार को होगी. वहां से राहत नहीं मिलती है तो सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जाएगी. यदि फिर भी बैन नहीं हटता है तो पटाखा व्यवसायी उग्र आंदोलन करेंगे.
राजस्थान फायर वर्क्स डीलर्स एंड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के सदस्य रविवार को अल्बर्ट हॉल पर जमा हुए. उन्होंने बैन के विरोध में नारे लिखी तख्तियां भी हाथों में ली हुई थीं. उनका कहना था कि पटाखों से केवल 1 से 4 फीसदी प्रदूषण होता है, जबकि 96 फीसदी प्रदूषण वाहनों, औद्योगिक इकाइयों, थर्मल प्लांट और अन्य साधनों से होता है. इसके बावजूद सरकार का केवल उस 4 प्रतिशत पर ही ध्यान है, लेकिन 96 फीसदी प्रदूषण की ओर ध्यान नहीं है. पदाधिकारियों ने कहा कि प्रदेश में पटाखा कारोबार से जुड़े हुए करीब 20 लाख लोग हैं. इस तरह से बैन लगने पर 20 लाख लोगों के परिवारों पर आर्थिक संकट पैदा हो गया है.
एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष जहीर अहमद ने बताया कि दिवाली के चलते व्यवसायियों ने पटाखों का स्टॉक पहले ही मंगवा लिया था. इस तरह से दिवाली से 20 दिन पहले पटाखों पर बैन लगाना अन्यायपूर्ण है. उन्होंने कहा कि पहले कोरोना, उसके बाद लॉकडाउन और फिर शादियों में लोगों की पाबंदी से उनका कारोबार पहले ही बहुत प्रभावित हो चुका है और अब पटाखों पर बिक्री और पटाखे छुड़ाने पर जुर्माना लगाने से उनकी हालत बदतर हो चुकी है. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में भी विभिन्न परीक्षणों के बाद यह सुनिश्चित हो चुका है कि पटाखों से प्रदूषण मात्र 4 फीसदी होता है और वह भी एक-दो दिन में समाप्त हो जाता है.
जहीर अहमद ने कहा कि सरकार के पटाखों पर बैन लगाने से लाखों लोगों के घर से रोशनी चली गई है. उन्होंने कहा कि यदि दो-चार हजार लोग रेलवे ट्रैक पर बैठ जाते हैं, तो सरकार उनकी मान मनुहार करने पहुंच जाती है, लेकिन 20 लाख लोगों की ओर सरकार का ध्यान नहीं है. यह सरकार की भेदभाव वाली नीति है. उन्होंने मांग की कि सरकार बिक्री के लाइसेंस जारी करे, इसका जीएसटी भी जमा कराया जा चुका है.
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संकट आने पर जिस तरह से सरकार मुआवजा देती है, उसी तरह से पटाखा व्यवसायियों और उनसे जुड़े मजदूरों को भी सरकार को मुआवजा देना चाहिए. पटाखा व्यवसायियों के पास करोड़ों का स्टॉक जमा हो चुका है और आज भी पटाखों की आवक लगातार जारी है. सरकार की बहन के बाद यह पटाखे किसी को बेच भी नहीं सकती और 1 साल बाद पटाखों का यह स्टॉक मिट्टी में तब्दील हो जाएगा.