जयपुर. राजधानी में बीते 1 माह से शहीद स्मारक पर कोविड स्वास्थ्य सहायक धरने पर बैठे हैं. इसके बावजूद मांग पूरी नहीं होने की स्थिति में आज कोविड स्वास्थ्य सहायकों ने मुख्यमंत्री को अपने खून से 1 हजार पोस्टल कार्ड लिख कर भेजे हैं. स्वास्थ्य सहायकों का कहना है कि कोविड-19 के समय जब हर कोई कोरोना वायरस से भयभीत था, उस समय राज्य सरकार ने हमें शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सहायकों के रूप में नियुक्त किया था. हमने बिना जान की परवाह किए कोविड-19 की लड़ाई में आगे खड़े होकर मरीजों की जान बचाई और आज सरकार हमें नौकरियों से निकाल रही है.
बता दें कि कोरोना के समय राज्य सरकार ने अस्थाई तौर पर कोविड स्वास्थ्य सहायकों की (Covid Health Advisor on Protest in Jaipur) भर्ती की थी. मेरिट के आधार पर इन स्वास्थ्य सहायकों का चयन किया गया था. कोरोना वायरस की दूसरी लहर का असर शहरों से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिला था, इसी कारण राज्य सरकार ने इन 28,000 स्वास्थ्य सहायकों की नियुक्ति अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में की थी. जिससे वायरस को ग्रामीण क्षेत्र में पैर पसारने से रोका जा सके. काफी हद तक सरकार इसमें सफल भी रही.
ड्यूटी के दौरान गई जान, पर नहीं मिला मुआवजा: कोरोना के समय ड्यूटी के दौरान सैकड़ों स्वास्थ्य (Covid health assistants wrote 1000 postal cards written with blood) सहायकों की मृत्यु भी हुई. इसका न तो कोई मुआवजा दिया गया और न ही कोई आर्थिक मदद. इन स्वास्थ्य सहायकों का कहना है कि बीते 28 दिन से शहीद स्मारक पर हमारा धरना चल रहा हैस, परंतु अभी तक सरकार का कोई डेलिगेशन हमसे वार्ता के लिए नहीं आया है. न ही सरकार ने हमसे बात करने की कोशिश की है.
स्वास्थ्य सहायकों का कहना है कि हमने 10 महीने लगातार काम किया उसके बावजूद भी राज्य सरकार ने अब तक 6 माह का वेतन रोक रखा है. वेतन के नाम पर हमें केवल ₹7900 दिए जाते थे, जो कि किसी मनरेगा मजदूर से भी कम है. हम डिग्री धारक बेरोजगार आज सड़क पर बैठे हैं, हमारी सुध लेने वाला कोई नहीं. लेकिन अगर सरकार ने हमें संविदा कर्मियों के कैडर 2022 में शामिल नहीं किया तो सरकार को आगामी चुनाव में भी इसका हर्जाना भुगतना पड़ेगा.
28,000 स्वास्थ्य कर्मियों को एक साथ किया था पदमुक्त: सरकार ने इन 28 हजार स्वास्थ्य सहायकों को अस्थाई तौर पर भर्ती किया गया था. इसको लेकर सरकार ने नियम भी तय किए थे. सरकार का कहना है कि नियमों के तहत इन्होंने जब तक काम किया, जब तक वेतन दिया गया. अब जब कोविड खत्म हो चुका है तो सरकार इन्हें कैसे वेतन दे. आंदोलन को देखते हुए सरकार के अधिकारियों का कहना है कि बात करके रास्ता निकाला जा रहा है