जयपुर. प्रदेशभर में मेडिकल स्टूडेंट्स की काउंसलिंग होगी. मेडिकल स्टूडेंट्स सुसाइड मामलों के बाद सूबे के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने इसके निर्देश दिए. वहीं, शिक्षाविद और काउंसलर ने भी माना की स्ट्रेस की वजह से स्टूडेंट इस तरह के कदम उठाते हैं. ऐसे में उनके काम के घंटे भी निर्धारित होने चाहिए. साथ ही बताया कि स्ट्रेस हटाने के लिए काउंसलिंग और मनोरंजन की भी व्यवस्था हो.
दरअसल, पहले जयपुर और फिर बीकानेर में मेडिकल स्टूडेंट के सुसाइड ने कई सवाल खड़े किए. खास कर मेडिकल स्टूडेंट के काम के घंटे और उन पर पड़ने वाले पर मेडिकल से लेकर सियासी गलियारों तक चर्चाएं हुई. सुसाइड जैसा कदम उठाने के पीछे असल कारण क्या रहे, ये जानने के लिए ईटीवी भारत ने शिक्षाविद और काउंसलर ओपी गुप्ता से बात की.
शिक्षाविद और काउंसलर ओपी गुप्ता ने बताया कि ह्यूमन बॉडी एक पर्टिकुलर टाइम के लिए ट्यूनअप है और उन्हें एक लेवल तक काम दिया जा सकता है. उन्होंने बताया कि ये जो 2 घटनाएं हुई हैं, स्टडी में सामने आया कि उन पर वर्क प्रेशर तो था ही, साथ ही स्ट्रेस भी था. ऐसे में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए स्टूडेंट्स की काउंसलिंग होना बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि मेडिकल स्टूडेंट के काम करने के घंटे निर्धारित होनी चाहिए. साथ ही उनकी समय-समय पर काउंसलिंग हो, इसके अलावा उन्होंने स्ट्रेस हटाने के लिए मनोरंजन की व्यवस्था करने की भी बात कही.
उधर, चिकित्सा मंत्री ने सुसाइड का कारण डिप्रेशन तो बताया, लेकिन काम के भार को उचित कारण मानने से इनकार किया. हालांकि, उन्होंने काउंसलिंग प्रोग्राम शुरू करने की बात जरूर कही. ताकि असली कारणों का पता लगाया जा सके. वहीं, उन्होंने एसएमएस मेडिकल कॉलेज की ओर से रेजिडेंट डॉक्टर्स को सप्ताह में एक दिन का अवकाश देने की पहल की सराहना की. बता दें, इसी महीने एक के बाद एक दो रेजिडेंट डॉक्टर के सुसाइड के मामले सामने आए. जिनके मुख्य कारणों का खुलासा नहीं हो पाया है. ऐसे में अब मेडिकल स्टूडेंट्स की काउंसलिंग प्रोग्राम शुरू करने की बात की जा रही है.