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Corona Side Effect: संक्रमित हुए लोग खो रहे सुनने की क्षमता, लगातार बढ़ रहे मामले

कोरोना संक्रमण की चपेट में लाखों लोग आ चुके हैं. हालांकि कई लोग उपचार के बाद ठीक भी हो गए हैं, लेकिन अब उनमें कोरोना साइड इफेक्ट देखने को मिल रहा है. लोग अब सुनने की क्षमता तक खोने लगे हैं.

Corona Side Effect, कोरोना साइड इफेक्ट
संक्रमित हुए लोग खो रहे सुनने की क्षमता
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Published : Aug 31, 2021, 5:15 PM IST

Updated : Aug 31, 2021, 5:35 PM IST

जयपुर. कोविड-19 संक्रमण के बाद संक्रमित हुए मरीजों में कोरोना के साइड इफेक्ट भी देखने को मिल रहे हैं. जहां संक्रमण के बाद ब्लैक फंगस यानी म्युकर माइकोसिस के मामले सबसे अधिक देखने को मिले थे तो वहीं अब कोविड-19 संक्रमण की चपेट में आ चुके लोग सुनने की क्षमता तक खोने लगे हैं. जिसे चिकित्सकीय भाषा में 'टिनाइटिस' कहते हैं. हाल ही में राजस्थान में इस तरह के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है.

पढ़ेंः तीसरी लहर का खतरा बढ़ा रहा है, कोताही बिल्कुल न बरतें: सीएम गहलोत

जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक और ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. मोहनीश ग्रोवर का कहना है कि कोविड-19 संक्रमण की चपेट में आए लोगों में सुनने की समस्या देखने को मिल रही है. जो लोगों के सुनने की नस है उस पर असर पड़ रहा है. ऐसे में देखने को मिल रहा है कि कान के अंदर ब्लड सरकुलेशन काफी कम हो रहा है. जिसके चलते लोगों में सुनाई देने की समस्या आने लगी है और कोविड-19 संक्रमण की चपेट में आ चुके लोगों में सबसे अधिक देखने को मिल रहा है.

कोरोना संक्रमित हुए लोग खो रहे सुनने की क्षमता

इसके अलावा कान की नस में खून का थक्का जमने के मामले भी देखने को मिल रहे हैं. जिसके चलते भी सुनने की क्षमता मरीजों में कम हो रही है. अब तक प्रदेश में तकरीबन 500 से अधिक इस तरह के मामले अलग-अलग अस्पतालों से सामने आ चुके हैं.

24 घंटे बाद ही सुनना हुआ बंद

डॉक्टर ग्रोवर ने बताया कि इस तरह के कई मामले एसएमएस अस्पताल में सामने आ चुके हैं. प्रदेश के अन्य जिलों में भी इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं. जहां मरीजों को सुनाई देना बंद हो गया है. उन्होंने बताया कि इनमें से कुछ केस इस तरह के सामने आए हैं. जहां मरीज को 24 घंटे बाद ही सुनाई देना बंद हो गया. इसके अलावा कुछ मरीज ऐसे भी सामने आए हैं जिनके कान में सीटी बजने जैसी आवाजें आ रही है.

पढ़ेंः CM का 'ट्वीट अटैक' : UP और MP में मारपीट की घटनाओं का दिया हवाला...कहा- राजस्थान में बर्दाश्त नहीं होगा

ऐसे में डॉक्टर ग्रोवर बताते हैं कि यदि किसी भी मरीज को इस तरह की समस्या आ रही है तो उसे जल्द से जल्द इलाज करवाने की जरूरत है क्योंकि ऐसे मरीजों के लिए 5 से 7 दिन गोल्डन विंडो होते हैं यानी यदि इस दौरान मरीज का इलाज किया जाए तो उसकी सुनने की शक्ति वापस आ सकती है, लेकिन जैसे-जैसे मरीज देरी करता है वैसे-वैसे इलाज करने में भी परेशानी आती है.

जयपुर. कोविड-19 संक्रमण के बाद संक्रमित हुए मरीजों में कोरोना के साइड इफेक्ट भी देखने को मिल रहे हैं. जहां संक्रमण के बाद ब्लैक फंगस यानी म्युकर माइकोसिस के मामले सबसे अधिक देखने को मिले थे तो वहीं अब कोविड-19 संक्रमण की चपेट में आ चुके लोग सुनने की क्षमता तक खोने लगे हैं. जिसे चिकित्सकीय भाषा में 'टिनाइटिस' कहते हैं. हाल ही में राजस्थान में इस तरह के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है.

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जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक और ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. मोहनीश ग्रोवर का कहना है कि कोविड-19 संक्रमण की चपेट में आए लोगों में सुनने की समस्या देखने को मिल रही है. जो लोगों के सुनने की नस है उस पर असर पड़ रहा है. ऐसे में देखने को मिल रहा है कि कान के अंदर ब्लड सरकुलेशन काफी कम हो रहा है. जिसके चलते लोगों में सुनाई देने की समस्या आने लगी है और कोविड-19 संक्रमण की चपेट में आ चुके लोगों में सबसे अधिक देखने को मिल रहा है.

कोरोना संक्रमित हुए लोग खो रहे सुनने की क्षमता

इसके अलावा कान की नस में खून का थक्का जमने के मामले भी देखने को मिल रहे हैं. जिसके चलते भी सुनने की क्षमता मरीजों में कम हो रही है. अब तक प्रदेश में तकरीबन 500 से अधिक इस तरह के मामले अलग-अलग अस्पतालों से सामने आ चुके हैं.

24 घंटे बाद ही सुनना हुआ बंद

डॉक्टर ग्रोवर ने बताया कि इस तरह के कई मामले एसएमएस अस्पताल में सामने आ चुके हैं. प्रदेश के अन्य जिलों में भी इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं. जहां मरीजों को सुनाई देना बंद हो गया है. उन्होंने बताया कि इनमें से कुछ केस इस तरह के सामने आए हैं. जहां मरीज को 24 घंटे बाद ही सुनाई देना बंद हो गया. इसके अलावा कुछ मरीज ऐसे भी सामने आए हैं जिनके कान में सीटी बजने जैसी आवाजें आ रही है.

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ऐसे में डॉक्टर ग्रोवर बताते हैं कि यदि किसी भी मरीज को इस तरह की समस्या आ रही है तो उसे जल्द से जल्द इलाज करवाने की जरूरत है क्योंकि ऐसे मरीजों के लिए 5 से 7 दिन गोल्डन विंडो होते हैं यानी यदि इस दौरान मरीज का इलाज किया जाए तो उसकी सुनने की शक्ति वापस आ सकती है, लेकिन जैसे-जैसे मरीज देरी करता है वैसे-वैसे इलाज करने में भी परेशानी आती है.

Last Updated : Aug 31, 2021, 5:35 PM IST
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