जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि कोरोना संक्रमित कैदी जेल से बाहर जाकर अपने परिजनों और संपर्क में आने वाले दूसरे लोगों को संक्रमित कर सकता है. इसके अलावा कोरोना के मरीज को क्वॉरेंटाइन में ही रहना होता है और जेल में भी उसे क्वॉरेंटाइन ही रखा जाता है. ऐसे में उसे अंतरिम जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता. न्यायाधीश पंकज भंडारी की एकलपीठ ने यह आदेश प्रिया सेठ हनीट्रैप मामले से जुड़े आरोपी की अंतरिम जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिए.
बता दें, कि अंतरिम जमानत अर्जी में कहा गया, कि याचिकाकर्ता जेल में कोरोना संक्रमित हो गया है. ऐसे में उसे बेहतर इलाज के लिए 3 माह की अंतरिम जमानत दी जाए. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया, कि सुप्रीम कोर्ट भी जेलों में संक्रमण को देखते हुए कैदियों को पैरोल पर रिहा करने के आदेश दे चुका है. इसका विरोध करते हुए सरकारी वकील शेर सिंह महला ने कहा, कि कोरोना संक्रमित को क्वॉरेंटाइन रहना होता है. जेल प्रशासन कोरोना संक्रमित हर कैदी का उचित इलाज करवा रहा है.
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इसके अलावा अभी तक कोरोनावायरस की कोई दवा नहीं है. इसलिए यदि आरोपी को जमानत भी दी गई तो वह दूसरे किसी अस्पताल से तथाकथित बेहतर इलाज भी नहीं ले सकता. वहीं, यदि वह जेल के बाहर गया तो संक्रमण जरूर फैला सकता है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने आरोपी की अंतरिम जमानत अर्जी खारिज कर दी. गौरतलब है, कि प्रिया सेठ ने मई 2018 में दुष्यंत को हनीट्रैप में फंसाकर 10 लाख रुपए की फिरौती के लिए उसका अपहरण किया था. वहीं, बाद में प्रिया ने याचिकाकर्ता और उसके साथी लक्ष्य वालिया के साथ मिलकर दुष्यंत की हत्या कर लाश आमेर की पहाड़ियों में फेंक दी थी.