जयपुर. राजस्थान में बीते 24 दिनों से हाई वोल्टेज पॉलिटिकल ड्रामा चल रहा है. दिन-ब-दिन इस खेल में परिस्थितियां बदलती जा रही है. बुधवार को बसपा विधायकों के कांग्रेस पार्टी में विलय को लेकर पेश की गई याचिका में स्पीकर सीपी जोशी को नोटिस जारी किया गया है. दोनों खेमे एक-दूसरे पर जमकर आरोप प्रत्यारोप भी कर रहे हैं.
जहां गहलोत खेमे के विधायक अब बागी तेवर दिखा रहे हैं तो वहीं, विधायकों के वापस आने पर उन्हें गले लगाने की बात करते दिख रहे हैं. मंगलवार को भी विधायक वेद सोलंकी, हेमाराम चौधरी और इंद्राज गुर्जर ने अपने बयानों में साफ कर दिया कि उनका विरोध कांग्रेस पार्टी से नहीं है बल्कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से है.
बहरहाल इस पूरे मामले में विधायक भंवरलाल शर्मा और विश्वेंद्र सिंह को छोड़कर सभी 17 विधायकों से न तो पार्टी की ओर से कोई कारण पूछा जा रहा है और ना ही उनके संगठन में पदों के साथ छेड़छाड़ की जा रही है. हालांकि प्रदेश अध्यक्ष के पद पर गोविंद सिंह डोटासरा की नियुक्ति हो गई है तो बाकी पूरी कार्यकारिणी को भंग कर दिया गया है. जिससे सचिन पायलट समेत सभी विधायकों के प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पदों से स्वतः ही हट गए हैं, लेकिन इसके बावजूद भी सभी विधायक कांग्रेस पार्टी के प्राथमिक सदस्य होने के साथ ही ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य हैं.
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दरअसल यह परंपरा रही है की पार्टी से अगर कोई बगावत करता है तो पार्टी विरोधी काम करने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित किया जाता है, लेकिन इस बार इतना लंबा बगावत का दौर चलने के बावजूद भी बागी विधायकों के खिलाफ पार्टी की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है. वहीं, बागी विधायक अब भी एआईसीसी और पीसीसी के मेंबर बने हुए हैं.
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कांग्रेस पार्टी में एआईसीसी और पीसीसी सदस्यों को खासा अहम माना जाता है और पार्टी के प्रमुख कार्यक्रमों में इन्हें विशेष तौर पर आमंत्रित किया जाता है. यहां तक की कांग्रेस में संगठन और सरकार के बीच तालमेल बनाने के लिए बनाई गई कोआर्डिनेशन कमेटी को भी अब तक भंग नहीं किया गया है. जिसमें सचिन पायलट और दीपेंद्र सिंह शेखावत भी सदस्य हैं.