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माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की किताबों में महाराणा प्रताप पर विवादास्पद लेख, देखें- इसी मुद्दे पर ईटीवी भारत की डिबेट

राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार द्वारा स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव किए जाने का विवाद गरमाता जा रहा है. इस विवाद को लेकर विपक्षी पार्टी भाजपा भी सरकार को घेरने की तैयारी में जुट गई है. विवाद की शुरुआत राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 10वीं कक्षा के सामाजिक विज्ञान के पाठ्यक्रम में बदलाव करने से हुई. बदलाव के तहत महाराणा प्रताप को एक कमजोर शासक बताया गया है. इस बारे में ईटीवी भारत की टीम ने इतिहासकारों के साथ ही भाजपा और कांग्रेस नेताओं से जानने का प्रयास किया कि पाठ्यक्रम में किया बदलाव सही है या गलत. देखें इसी मुद्दे पर स्पेशल डिबेट...

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माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की किताबों में लिखे लेख पर विवाद तेज
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Published : Jun 24, 2020, 8:56 PM IST

Updated : Jun 24, 2020, 10:18 PM IST

जयपुर. राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड इस बार दसवीं कक्षा में नई किताब राजस्थान का इतिहास और संस्कृति पढ़ाएगा, लेकिन स्कूल खुलने से पहले इस किताब के बाजार में आने के साथ ही विवाद खड़े हो गए हैं. इस किताब में महाराणा उदय सिंह को बनवीर का हत्यारा बताया गया है. किताब के पहले अध्याय में राजस्थान के प्रमुख राजपूत वंश का परिचय दिया गया है. जिसमें पेज नंबर 11 पर लिखा है कि 1537 ई में उदय सिंह का राज्याभिषेक हुआ.

महाराणा प्रताप पर विवादित लेख को लेकर विशेष डिबेट (भाग-1)

जिसके बाद 1540 ई में मावली के युद्ध में उदय सिंह ने मालदेव के सहयोग से बनवीर की हत्या कर मेवाड़ की पैतृक सत्ता प्राप्त की थी. 1559 में उदयपुर में नगर बसाकर राजधानी बनाया. वहीं पेज नंबर 12 पर हल्दीघाटी के नामकरण को लेकर अजीबो-गरीब तर्क लिखा गया है. डॉ. महेंद्र भानावत की किताब अजूबा भारत के हवाले से लिखा गया है कि हल्दीघाटी नाम हल्दी रंगी मिट्टी के कारण नहीं पड़ा, ऐसी मिट्टी यहां है भी कहां. यहां तो लाल, पीली और काली 3 रंगों वाली मिट्टी है. फिर हल्दीघाटी नाम क्यों दिया गया. इसका एकमात्र कारण ये है कि यहां हल्दी चढ़ी कई नव विवाहिताएं पुरुष वेश में लड़ मरीं थी.

महाराणा प्रताप पर विवादित लेख को लेकर विशेष डिबेट (भाग-2)

इसके अलावा इसी पेज पर हकीम खान सूर के सामने मुगल सेना का नेतृत्वकर्ता जगन्नाथ कच्छावाहा को बताया है. जबकि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 12वीं कक्षा की किताब 'भारत का इतिहास' में लिखा गया है कि मुगल सेना का नेतृत्व राजा मान सिंह ने किया था. ऐसे में एक ही बोर्ड में दो अलग-अलग किताबों में अलग-अलग तथ्य लिखे गए हैं.

महाराणा प्रताप पर विवादित लेख को लेकर विशेष डिबेट (भाग-3)
इससे पहले पिछले वर्ष ही माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान किताब में हल्दी घाटी युद्ध में प्रताप की हार बताते हुए, कारणों का उल्लेख किया गया था. जिसमें प्रताप की रणनीति में पारंपरिक युद्ध तकनीक को पहला कारण बताते हुए, 4 मुख्य कारण बताए गए थे. उसमें लिखा था कि सेनानायक में प्रतिकूल परिस्थितियों में जिस धैर्य, संयम और योजना की आवश्यकता होनी चाहिए, प्रताप में उसका अभाव था. हालांकि नई किताबों में इसे हटा कर बदलाव किया गया है. फिलहाल, उदय सिंह और हल्दी घाटी युद्ध को लेकर दिए गए तथ्य विवाद का कारण बन गए हैं.
महाराणा प्रताप पर विवादित लेख को लेकर विशेष डिबेट (भाग-4)

यह भी पढ़ें : राजस्थान में Corona के 182 नए मामले, संक्रमितों का आंकड़ा पहुंचा 15,809 पर...अब तक 372 की मौत

हल्दीघाटी का युद्ध

हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून 1576 को मेवाड़ के महाराणा प्रताप का समर्थन करने वाले घुड़सवारों और धनुर्धारियों और मुगल सम्राट अकबर की सेना के बीच लड़ा गया था. जिसका नेतृत्व आमेर के राजा मान सिंह प्रथम ने किया था. लड़ाई का स्थल राजस्थान के गोगुन्दा के पास हल्दीघाटी में एक संकरा पहाड़ी दर्रा था.

महाराणा प्रताप पर विवादित लेख को लेकर विशेष डिबेट (भाग-5)

जयपुर. राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड इस बार दसवीं कक्षा में नई किताब राजस्थान का इतिहास और संस्कृति पढ़ाएगा, लेकिन स्कूल खुलने से पहले इस किताब के बाजार में आने के साथ ही विवाद खड़े हो गए हैं. इस किताब में महाराणा उदय सिंह को बनवीर का हत्यारा बताया गया है. किताब के पहले अध्याय में राजस्थान के प्रमुख राजपूत वंश का परिचय दिया गया है. जिसमें पेज नंबर 11 पर लिखा है कि 1537 ई में उदय सिंह का राज्याभिषेक हुआ.

महाराणा प्रताप पर विवादित लेख को लेकर विशेष डिबेट (भाग-1)

जिसके बाद 1540 ई में मावली के युद्ध में उदय सिंह ने मालदेव के सहयोग से बनवीर की हत्या कर मेवाड़ की पैतृक सत्ता प्राप्त की थी. 1559 में उदयपुर में नगर बसाकर राजधानी बनाया. वहीं पेज नंबर 12 पर हल्दीघाटी के नामकरण को लेकर अजीबो-गरीब तर्क लिखा गया है. डॉ. महेंद्र भानावत की किताब अजूबा भारत के हवाले से लिखा गया है कि हल्दीघाटी नाम हल्दी रंगी मिट्टी के कारण नहीं पड़ा, ऐसी मिट्टी यहां है भी कहां. यहां तो लाल, पीली और काली 3 रंगों वाली मिट्टी है. फिर हल्दीघाटी नाम क्यों दिया गया. इसका एकमात्र कारण ये है कि यहां हल्दी चढ़ी कई नव विवाहिताएं पुरुष वेश में लड़ मरीं थी.

महाराणा प्रताप पर विवादित लेख को लेकर विशेष डिबेट (भाग-2)

इसके अलावा इसी पेज पर हकीम खान सूर के सामने मुगल सेना का नेतृत्वकर्ता जगन्नाथ कच्छावाहा को बताया है. जबकि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 12वीं कक्षा की किताब 'भारत का इतिहास' में लिखा गया है कि मुगल सेना का नेतृत्व राजा मान सिंह ने किया था. ऐसे में एक ही बोर्ड में दो अलग-अलग किताबों में अलग-अलग तथ्य लिखे गए हैं.

महाराणा प्रताप पर विवादित लेख को लेकर विशेष डिबेट (भाग-3)
इससे पहले पिछले वर्ष ही माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान किताब में हल्दी घाटी युद्ध में प्रताप की हार बताते हुए, कारणों का उल्लेख किया गया था. जिसमें प्रताप की रणनीति में पारंपरिक युद्ध तकनीक को पहला कारण बताते हुए, 4 मुख्य कारण बताए गए थे. उसमें लिखा था कि सेनानायक में प्रतिकूल परिस्थितियों में जिस धैर्य, संयम और योजना की आवश्यकता होनी चाहिए, प्रताप में उसका अभाव था. हालांकि नई किताबों में इसे हटा कर बदलाव किया गया है. फिलहाल, उदय सिंह और हल्दी घाटी युद्ध को लेकर दिए गए तथ्य विवाद का कारण बन गए हैं.
महाराणा प्रताप पर विवादित लेख को लेकर विशेष डिबेट (भाग-4)

यह भी पढ़ें : राजस्थान में Corona के 182 नए मामले, संक्रमितों का आंकड़ा पहुंचा 15,809 पर...अब तक 372 की मौत

हल्दीघाटी का युद्ध

हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून 1576 को मेवाड़ के महाराणा प्रताप का समर्थन करने वाले घुड़सवारों और धनुर्धारियों और मुगल सम्राट अकबर की सेना के बीच लड़ा गया था. जिसका नेतृत्व आमेर के राजा मान सिंह प्रथम ने किया था. लड़ाई का स्थल राजस्थान के गोगुन्दा के पास हल्दीघाटी में एक संकरा पहाड़ी दर्रा था.

महाराणा प्रताप पर विवादित लेख को लेकर विशेष डिबेट (भाग-5)
Last Updated : Jun 24, 2020, 10:18 PM IST
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