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Special : पंचायत चुनावों में फिसड्डी साबित हुए सत्ताधारी कांग्रेस के विधायक, 21 में से 5 जिलों में मिला स्पष्ट बहुमत - अशोक गहलोत

8 दिसंबर को आए पंचायत चुनाव परिणामों ने कांग्रेस विधायकों के प्रदर्शन पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है. 21 जिलों में केवल 5 ही जिलों में कांग्रेस स्पष्ट बहुमत प्राप्त कर सकी. वहीं विपक्षी भाजपा 13 जिलों में जिला प्रमुख बनाने की स्थिति में है. कांग्रेस विधायकों का पंचायत चुनावों में कैसा रहा प्रदर्शन, पढ़ें विस्तृत रिपोर्ट...

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पंचायत चुनावों में कांग्रेस विधायकों का प्रदर्शन
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Published : Dec 9, 2020, 8:03 PM IST

जयपुर. राजस्थान में 21 जिलों के जिला परिषद और पंचायत समिति के नतीजे आ चुके हैं. ये नतीजे सत्ताधारी कांग्रेस के लिए चिंता का सबब बन गए हैं. इसे ऐसे समझा जा सकता है कि 21 जिलों में से भाजपा 13 जिलों में तो अपना जिला प्रमुख बनाने जा रही है. वहीं कांग्रेस को महज 5 जिलों में ही बहुमत मिला है. अभी नागौर, बाड़मेर और डूंगरपुर में यह तय नहीं है कि किसका जिला प्रमुख बनेगा लेकिन कांग्रेस सरकार के मंत्रियों का भी इन चुनावों में खराब प्रदर्शन रहा है.

पंचायत चुनावों में कांग्रेस विधायकों का प्रदर्शन

जहां प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट और गहलोत सरकार ने मंत्री रघु शर्मा, उदयलाल आंजना, सुखराम बिश्नोई और अशोक चांदना अपने जिलों में कांग्रेस को नहीं जिता सके और ना ही वह अपनी खुद की पंचायत समिति में चुनाव में जीत दिला सके. लेकिन ऐसा नहीं है कि कांग्रेस के मंत्रियों की ही कमी रही हो बल्कि कांग्रेस के ज्यादातर विधायकों की भी हालात यही है. 21 जिलों में कुल मिलाकर 106 विधानसभा सीटें हैं. इनमें से मास्टर भंवर लाल मेघवाल और कैलाश त्रिवेदी के निधन के चलते कांग्रेस के पास 48 सीटें बची हैं.

पंचायत चुनावों में कांग्रेस विधायकों का रिपोर्ट कार्ड

सीकर का रिपोर्ट कार्ड

सीकर में कुल 8 विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें से 7 विधानसभा सीटों में कांग्रेस के विधायक हैं. जिनमें दातारामगढ़ से वीरेंद्र सिंह, धोध से परसराम मोरदिया, फतेहपुर से हाकम अली, लक्ष्मणगढ़ से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा, नीमकाथाना से सुरेश मोदी, सीकर से राजेंद्र पारीक और श्रीमाधोपुर से दीपेंद्र सिंह शेखावत कांग्रेस के विधायक हैं. हालात यह है कि आठवीं सीट से विधायक महादेव खंडेला हैं जो भी कांग्रेस समर्थित विधायक हैं लेकिन सीकर के नतीजे कांग्रेस पार्टी के लिए चौकाने वाले साबित हुए हैं.

पढ़ें: चूरू: जिला परिषद में बीजेपी को बहुमत, 7 में से 4 पंचायत समितियों पर कांग्रेस का कब्जा

आठों विधायक मिलकर भी कांग्रेस को जिला परिषद नहीं जिता सके और जिला परिषद की 39 सीटों में से 20 सीटें जीतकर भाजपा ने बहुमत हासिल कर लिया है. सीकर जिले में कांग्रेस के 18 जिला परिषद सदस्य जीते हैं वहीं एक निर्दलीय ने भी जीत दर्ज की है.

दातारामगढ़ पंचायत समिति

दातारामगढ़ से कांग्रेस के विधायक वीरेंद्र सिंह विधायक हैं. दातारामगढ़ पंचायत समिति में 27 वार्ड हैं, इनमें से भाजपा ने 13 पर जीत दर्ज की है वहीं, कांग्रेस के हिस्से में 11 वार्ड आए हैं. एक सीट निर्दलीय और 2 सीट कम्युनिस्ट पार्टी के हिस्से में गई है. ऐसे में दातारामगढ़ में प्रधान कौन बनेगा इसका फैसला निर्दलीय और कम्युनिस्ट पार्टी ही करेगी.

धोद पंचायत समिति

धोद से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक परसराम मोरदिया आते हैं. लेकिन धोद की 41 सीटों में से सबसे ज्यादा 17 सीटें भाजपा ने, 13 सीटें कांग्रेस ने वहीं कम्युनिस्ट पार्टी के खाते में 6 और निर्दलीय के खाते में 5 सीटें आई हैं. ऐसे में यहां भी प्रधान उसी पार्टी का बनेगा जिसको निर्दलीय और कम्युनिस्ट पार्टी समर्थन देंगी.

फतेहपुर पंचायत समिति

फतेहपुर से कांग्रेस के हाकम अली विधायक हैं. लेकिन यहां भी कांग्रेस भाजपा से पीछे रह गई. फतेहपुर पंचायत समिति में 27 वार्ड हैं. जिनमें से 11 में भाजपा ने जीत दर्ज की है तो 10 में कांग्रेस के प्रत्याशी जीते हैं. जबकि 6 निर्दलीयों ने जीत दर्ज की है. यहां भी प्रधानी की चाबी निर्दलीय विजेताओं के हाथ में है.

लक्ष्मणगढ़ पंचायत समिति

इस पंचायत समिति पर हर किसी की नजर थी. क्योंकि लक्ष्मणगढ़ से विधायक हैं राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा लेकिन यहां भी भाजपा का प्रधान बनना लगभग तय है. क्योंकि 25 सीटों में से बहुमत के लिए जरूरी 13 सीटें बीजेपी ने जीती हैं तो वहीं कांग्रेस को 11 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा. एक सीट निर्दलीय के खाते में गई है. ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के गृह क्षेत्र में भी भाजपा ने सेंध लगा दी है.

नीम का थाना पंचायत समिति

नीम का थाना से सुरेश मोदी कांग्रेस विधायक हैं. यहां 27 सीटों में से कांग्रेस के हिस्से में 11 सीटें आई हैं जबकि भाजपा ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की है. 6 निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनाव जीतकर आए हैं. जो यह तय करेंगे कि नीमकाथाना में प्रधान कौन होगा. लेकिन यहां जोड़-तोड़ करके कांग्रेस अपना प्रधान बना सकती है.

श्रीमाधोपुर पंचायत समिति

श्रीमाधोपुर पंचायत समिति से पूर्व स्पीकर दीपेंद्र सिंह शेखावत विधायक हैं. यहां 23 सीटों में से बहुमत के लिए जरूरी 12 सीटें कांग्रेस पार्टी ने जीत ली हैं, जबकि बीजेपी के खाते में 9 सीटें गई हैं और निर्दलीय के खाते में 2, ऐसे में नतीजों के हिसाब से श्रीमाधोपुर में कांग्रेस का प्रधान बनना तय है.

खंडेला पंचायत समिति

खंडेला से पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे महादेव खंडेला विधायक हैं. हालांकि वह इस बार निर्दलीय चुनाव जीते हैं, लेकिन उनके परिजन कांग्रेस पार्टी से ही प्रत्याशी थे और महादेव खंडेला कांग्रेस के समर्थित विधायक हैं. सबसे बेहतर रिजल्ट कांग्रेस के लिए खंडेला से ही आए हैं. यहां की 39 सीटों में से कांग्रेस ने 24 सीटों पर जीत दर्ज की है. वहीं बीजेपी के खाते में 10 सीटें आई हैं और 5 निर्दलीय भी जीत कर आए हैं.

पढ़ें: पंचायत चुनाव में बेटे की हार पर अर्जुन राम मेघवाल ने साधी चुप्पी, कहा- जनता का निर्णय शिरोधार्य

ऐसे में सीकर जिले से आने वाले 7 कांग्रेस विधायकों में से केवल श्रीमाधोपुर से ही कांग्रेस का प्रधान बनेगा तो वहीं कांग्रेस समर्थित विधायक महादेव खंडेला की खंडेला पंचायत समिति से भी कांग्रेस का प्रधान बन सकता है बाकी जगह या तो भाजपा या फिर निर्दलीयों के सहयोग से जोड़-तोड़ से प्रधान बनेंगे.

टोंक का रिपोर्ट कार्ड

टोंक जिले में 4 विधानसभा सीटें आती हैं. जिनमें से देवली उनियारा, निवाई और टोंक में कांग्रेस के विधायक हैं. सबसे खास बात यह है कि टोंक से सचिन पायलट विधायक हैं, तो वहीं देवली उनियारा से हरीश मीणा और निवाई से प्रशांत बैरवा कांग्रेस के विधायक हैं. लेकिन 4 में से 3 सीट होने के बावजूद भी टोंक जिले में कांग्रेस पार्टी जिला प्रमुख नहीं बना सकी. टोंक में 25 जिला परिषद सीटों में से 15 में भाजपा ने जीत दर्ज की है और बहुमत प्राप्त कर लिया है तो वहीं कांग्रेस के खाते में महज 10 जिला परिषद की सीटें ही आई हैं.

कैसा रहा टोंक के कांग्रेसी विधायकों का प्रदर्शन

टोंक पंचायत समिति

टोंक विधानसभा से सचिन पायलट विधायक हैं. लेकिन टोंक पंचायत समिति में पायलट का कोई खास असर नहीं दिखाई दिया. पंचायत समिति की 19 सीटों में से सर्वाधिक 9 सीटें भाजपा ने जीती हैं तो वहीं कांग्रेस के खाते में 7 सीटें गई हैं. हालांकि 3 निर्दलीय विजेताओं के सहारे कांग्रेस अपना प्रधान तो बना सकती है लेकिन बहुमत में सचिन पायलट खुद अपनी विधानसभा में पीछे रह गए.

उनियारा पंचायत समिति

यहां से कांग्रेस विधायक हरीश मीणा आते हैं. जहां कुल 17 सीटों में से कांग्रेस पार्टी ने 10 सीटें जीतते हुए अपना प्रधान बनना तय कर लिया है. उनियारा पंचायत समिति से 6 जिला परिषद सदस्य बीजेपी और एक जिला परिषद सदस्य निर्दलीय चुनाव जीता है. ऐसे में हरीश मीणा अपने क्षेत्र से कांग्रेस का प्रधान बनाने में सफल हो गए हैं.

निवाई पंचायत समिति

निवाई से कांग्रेस के विधायक प्रशांत बैरवा हैं. निवाई में कुल 21 जिला परिषद की सीटें थी, जिनमें से 13 सीटों पर जीत दर्ज करते हुए भाजपा ने अपना प्रधान बनना तय कर लिया है तो वहीं कांग्रेस के खाते में महज 6 सीटें आई हैं तो निर्दलीयों के खाते में 2 सीटें, ऐसे में प्रशांत बैरवा अपनी सीट से ही प्रधान बनाने में नाकाम रहे हैं.

ऐसे में टोंक जिले से चाहे सचिन पायलट हो या प्रशांत बैरवा दोनों का प्रदर्शन पंचायत चुनावों में खराब रहा. केवल हरीश मीणा अपनी पंचायत समिति में कांग्रेस का प्रधान बनवाने में सफल रहे.

अजमेर का रिपोर्ट कार्ड

अजमेर में कुल 8 विधानसभा आती हैं. जिनमें से दो विधायक कांग्रेस के हैं. जिनमें स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा केकड़ी से विधायक हैं तो राकेश पारीक मसूदा से विधायक हैं. अजमेर में 32 जिला परिषद में से भाजपा ने 21 जिला परिषद सीट से जीतते हुए अपना जिला प्रमुख तय कर लिया है. यहां से कांग्रेस के खाते में 11 जिला परिषद सीटें ही आई हैं.

केकड़ी पंचायत समिति

केकड़ी से स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा विधायक हैं. केकड़ी पंचायत समिति की 15 सीटों में 8 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है. कांग्रेस के हिस्से में 6 ही सीटें आई हैं. वहीं एक निर्दलीय ने भी चुनाव जीता है.

मसूदा पंचायत समिति

मसूदा पंचायत समिति से 19 सीटों में से भाजपा ने 10 सीटें जीतते हुए अपना प्रधान बनना तय कर लिया है. यहां से कांग्रेस को आठ और निर्दलीय को 1 सीट मिली है. ऐसे में अजमेर से स्वास्थ्य मंत्री के होते हुए कांग्रेस पार्टी जिला प्रमुख बनाने में तो नाकाम रही है तो खुद रघु शर्मा और राकेश पारीक अपनी पंचायत समिति में कांग्रेस पार्टी को चुनाव नहीं जीता सके.

पढ़ें: पंचायतीराज व जिला परिषद चुनाव के नतीजों पर भाजपा उत्साहित, पूनिया, राजे और कटारिया ने दी प्रतिक्रिया

चूरू का रिपोर्ट कार्ड

चूरू जिले में 6 विधानसभा सीटें आती हैं. जिनमें से 4 पर कांग्रेस का कब्जा है. इनमें कृष्णा पूनिया सादुलपुर से, भंवर लाल शर्मा सरदार शहर और नरेंद्र बुडानिया तारानगर से विधायक हैं, हालांकि मास्टर भंवरलाल मेघवाल सुजानगढ़ से विधायक थे लेकिन उनका निधन हो गया है. लेकिन चूरू जिला परिषद में कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत खराब रहा है और 27 में से 20 सीटें जीते हुए कांग्रेस ने अपना जिला प्रमुख बनना तय कर लिया है. कांग्रेस के खाते में केवल 7 सीटें गई हैं.

चूरू के कांग्रेस विधायकों का प्रदर्शन कैसा रहा

राजगढ़ पंचायत समिति

सादुलपुर से कृष्णा पूनिया कांग्रेस की विधायक हैं. इनकी पंचायत समिति राजगढ़ है. यहां की कुल 33 सीटें में भाजपा ने 16 सीटों पर जीत दर्ज की है. जबकि कांग्रेस के खाते में 10 सीटें आई. बसपा के 2 और 5 निर्दलीय पंचायत समिति सदस्य जीतकर आए हैं. ऐसे में यहां से भाजपा का प्रधान बनना लगभग तय है.

सरदारशहर पंचायत समिति

सरदारशहर से भंवर लाल शर्मा कांग्रेस विधायक हैं. यहां 25 में से 13 सीटें जीतते हुए कांग्रेस ने बहुमत प्राप्त कर लिया है और सरदारशहर में कांग्रेस का प्रधान बनेगा. यहां भाजपा को 11 और निर्दलीय को 1 सीट मिली है.

तारानगर पंचायत समिति

तारानगर से नरेंद्र बुडानिया विधायक हैं. यहां भी कांग्रेस का प्रधान बनना तय है. क्योंकि 19 सीटों में से 12 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. जबकि भाजपा के खाते में 5 और 2 निर्दलीय भी जिला परिषद सदस्य का चुनाव जीते हैं. ऐसे में चूरू से कांग्रेस के 3 विधायकों में से तारानगर और और सरदार शहर से कांग्रेस का प्रधान बनना तय है लेकिन कृष्णा पूनिया की पंचायत समिति से भाजपा प्रधान बनाएगी.

नागौर का रिपोर्ट कार्ड

नागौर जिले में कुल 10 विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें से 6 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं. यहां जिला प्रमुख का मुकाबला काफी रोचक है क्योंकि 47 सीटों में से 20 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है तो 18 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. लेकिन यहां जिला प्रमुख कौन होगा इसका फैसला हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी करेगी. आरएलपी के 9 जिला परिषद सदस्य नागौर से जीतकर आए हैं.

नागौर के कांग्रेसी विधायकों का रिपोर्ट कार्ड

डीडवाना से कांग्रेस के चेतन डूडी विधायक हैं. यहां 27 सीटों में से 12 पर भाजपा और 12 पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. ऐसे में डीडवाना पंचायत समिति में प्रधान का निर्णय जीते हुए दो निर्दलीय करेंगे. वहीं डेगाना से विजयपाल मिर्धा कांग्रेस के विधायक हैं, यहां 23 पंचायत समिति सीटों में से 13 में भारतीय जनता पार्टी की जीत हुई है. कांग्रेस के खाते में 7, निर्दलीय 2 और आरएलपी का 1 जिला परिषद सदस्य चुनाव जीता है.

पढ़ें: नागौर : 15 पंचायत समितियों में से 8 पर भाजपा और 4 कांग्रेस जीती, जिला प्रमुख में निर्णायक रहेगी RLP

जायल से मंजू मेघवाल कांग्रेस की विधायक हैं. यहां 33 जिला परिषद सदस्यों में से 15 कांग्रेस के सदस्य चुनाव जीते हैं तो भाजपा के खाते में केवल 7 जिला परिषद सदस्य आए हैं. हालांकि 7 निर्दलीय और 6 आरएलपी के जिला परिषद सदस्य भी जीत कर आए हैं. इस पंचायत समिति से जोड़-तोड़ से ही सही लेकिन कांग्रेस का प्रधान बनता दिखाई दे रहा है. लाडनू से मुकेश भाकर कांग्रेस के विधायक हैं. यहां 19 पंचायत समिति सदस्यों में से कांग्रेस के 11 तो भाजपा के केवल 5 पंचायत समिति सदस्य जीते हैं, तो वही तीन सदस्य निर्दलीय भी चुनाव में जीत कर आए हैं. लाडनूं पंचायत समिति में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत है ऐसे में कांग्रेस का प्रधान बनना तय है.

नावा से विधानसभा के उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी विधायक हैं. लेकिन नतीजों में महेंद्र चौधरी भाजपा से पिछड़ गए हैं. उनकी अपनी पंचायत समिति में 21 सदस्यों में से 14 सदस्य भाजपा के जीते हैं तो कांग्रेस के खाते में केवल 6 पंचायत समिति सदस्य आए हैं तो एक सदस्य आरएलपी का जीता है. ऐसे में महेंद्र चौधरी की पंचायत समिति से भाजपा का प्रधान बनना तय है. परबतसर से रामनिवास गावड़िया विधायक हैं. यहां पंचायत समिति के 21 सदस्यों में से 10 भाजपा और 10 कांग्रेस ने जीते हैं. ऐसे में निर्दलीय जीते हुए एक पंचायत समिति सदस्य पर यह तय करेगा कि प्रधान किसका होगा.

ऐसे में नागौर के 6 विधायकों में से लाडनूं में कांग्रेस का प्रधान सीधे बन रहा है तो वही डीडवाना, परबतसर और जायल में जोड़-तोड़ से ही प्रधान बनेगा. जबकि नावा ओर डेगाना में कांग्रेस विधायकों के क्षेत्र में भाजपा के प्रधान बनेंगे.

बांसवाड़ा रिपोर्ट कार्ड

बांसवाड़ा में 5 में से 2 विधायक कांग्रेस के हैं. जिनमें पूर्व मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय बागीदौरा और मंत्री अर्जुन बामनिया बांसवाड़ा से विधायक हैं. बांसवाड़ा के नतीजे कांग्रेस के लिए अच्छे आए हैं. यहां कांग्रेस का जिला प्रमुख बनना तय है. यहां कुल 31 सीटों में से कांग्रेस ने 20 पंचायत समिति सदस्य जीते हैं तो भाजपा के खाते में 10 पंचायत समिति सदस्य आए हैं तो एक निर्दलीय जीता है. ऐसे में बांसवाड़ा में कांग्रेस का जिला प्रमुख बनना तय है.

बागीदौरा से पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह मालवीय विधायक हैं. यहां 19 पंचायत समिति सदस्यों में से 10 कांग्रेस के सदस्य जीते हैं तो 6 भाजपा के तीन निर्दलीय ने भी पंचायत समिति का चुनाव जीता है लेकिन यहां पर प्रधान कांग्रेस पार्टी का तय है. बांसवाड़ा से मंत्री अर्जुन बामनिया विधायक हैं. यहां 23 पंचायत समिति सदस्यों में से 14 भाजपा के सदस्य जीते हैं तो कांग्रेस के खाते में केवल 9 गए हैं. ऐसे में मंत्री की पंचायत समिति में प्रधान भाजपा का बनेगा.

पढ़ें: पंचायत चुनाव में हार स्वीकार कर CM गहलोत को नैतिकता के आधार पर पद छोड़ देना चाहिए : राजेंद्र राठौड़

बांसवाड़ा से कांग्रेस के दो विधायक हैं. जिनमें से एक मंत्री अर्जुन बामणिया हैं. पंचायत समिति के नतीजों के अनुसार मंत्री अर्जुन बामणिया के क्षेत्र में भाजपा का प्रधान बनेगा तो वहीं बागीदौरा पंचायत समिति से महेंद्रजीत मालवीय कांग्रेस का प्रधान बनाने में सफल हो गए हैं.

डूंगरपुर रिपोर्ड कार्ड

डूंगरपुर जिले से 4 विधायकों में से एक विधायक कांग्रेस का है. यहां पर 27 जिला परिषद सदस्यों में से 6 पर कांग्रेस जीती है और 8 पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है. डूंगरपुर से 11 जिला परिषद सदस्य भारतीय ट्राइबल पार्टी के जीते हैं तो 2 निर्दलीय, ऐसे में डूंगरपुर में भारतीय ट्राइबल पार्टी का जिला प्रमुख बनना तय है.

डूंगरपुर जिले से एकमात्र विधायक गणेश घोघरा हैं जो यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं. उनकी खुद की पंचायत समिति की 21 सीटों में 9 सीटें कांग्रेस, 6 सीटें बीजेपी, 6 सीटें निर्दलीय के खाते में गई हैं. ऐसे में यहां प्रधान कौन होगा इसका फैसला निर्दलीय करेंगे.

बाड़मेर रिपोर्ट कार्ड

बाड़मेर में विधानसभा की 7 सीटें हैं. यहां से कांग्रेस के 6 विधायक हैं. जिसमें बायतु से मंत्री हरीश चौधरी, बाड़मेर से मेवाराम जैन, चौहटन से पदमाराम, गुडामालानी से हेमाराम चौधरी, पचपदरा से मदन प्रजापत और शिव से अमीन खान कांग्रेस विधायक हैं. लेकिन 7 में से 6 विधायक कांग्रेस के होने के बाद भी यहां कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है. बाड़मेर जिले में 37 जिला परिषद सदस्यों में से 18 कांग्रेस और 18 भाजपा के उम्मीदवार जीत कर आए हैं. ऐसे में यहां जिला प्रमुख कौन होगा यह आरएलपी तय करेगी क्योंकि उनका एक सदस्य चुनाव जीतकर आया है.

बायतु से मंत्री हरीश चौधरी विधायक हैं. बायतु की कुल 19 पंचायत समितियों में से कांग्रेस ने 15, भाजपा 2 और आरएलपी ने 2 सीटों पर जीत दर्ज की है. ऐसे में यहां आसानी से कांग्रेस का प्रधान बनना तय है. बाड़मेर से कांग्रेस के विधायक मेवाराम जैन हैं. यहां 19 पंचायत समिति सदस्यों में से 14 पंचायत समिति सदस्य कांग्रेस और 4 भाजपा, 1 निर्दलीय ने जीत दर्ज की है. लेकिन कांग्रेस के पास यहां प्रचंड बहुमत है.

चौहटन से कांग्रेस के विधायक पदमाराम हैं. जहां भाजपा अपना प्रधान बनाएगी. चौहटन विधायक पदमाराम अपने गांव में भी चुनाव हार गए हैं. गुडामालानी से हेमाराम चौधरी कांग्रेस के विधायक हैं. गुडामालानी पंचायत समिति से भाजपा का प्रधान बनेगा. बालोतरा पंचायत समिति जो पचपदरा विधायक मदन प्रजापति की विधानसभा का हिस्सा है यहां कांग्रेस का प्रधान बनेगा. शिव विधानसभा से अमीन खान कांग्रेस के विधायक हैं. यहां 19 पंचायत समिति सदस्यों में से 11 कांग्रेस के पंचायत समिति सदस्य जीते हैं तो वहीं 4 भाजपा के और 3 निर्दलीय पंचायत समिति सदस्य भी जीते हैं. ऐसे में शिव से कांग्रेस का प्रधान बनना तय है. बाड़मेर में कांग्रेस के 6 विधायकों में से चार विधायक तो अपने क्षेत्र में कांग्रेस का प्रधान बनाने में सफल हुए हैं लेकिन 2 विधायक कांग्रेस को जीत दर्ज नहीं करवा सके.

जैसलमेर का रिपोर्ट कार्ड

जैसलमेर में विधानसभा की 2 सीटें हैं. जैसलमेर और पोकरण. पोकरण से मंत्री साले मोहम्मद और जैसलमेर से रूपाराम विधायक हैं. जैसलमेर में 17 जिला परिषद सदस्यों में से कांग्रेस के 9 सदस्य जीते हैं तो भाजपा के 8 सदस्य जीते हैं. ऐसे में जैसलमेर से कांग्रेस का ही जिला प्रमुख बनेगा. जैसलमेर से कांग्रेस के रूपाराम विधायक हैं. जिनकी पंचायत समिति जैसलमेर में 15 में से 8 पर कांग्रेस के जिला परिषद सदस्य जीत कर आए हैं. वहीं भाजपा के 3 और 4 निर्दलीय सदस्यों ने चुनाव जीता है. ऐसे में जैसलमेर से भी विधायक रूपाराम कांग्रेस का प्रधान बनवाने में सफल रहे.

पढ़ें: राजस्थान पंचायत चुनाव : कांग्रेस के परंपरागत वोट पर BJP की सेंधमारी, सत्ताधारी कांग्रेस को बुरी तरह पछाड़ा

पोकरण से साले मोहम्मद विधायक हैं. जिनकी पंचायत समिति साकड़ा है. साकड़ा में 17 पंचायत समिति सदस्यों में से 6 कांग्रेस के और 6 भाजपा के सदस्य जीतकर आए हैं. यहां पर 5 निर्दलीय ही यह तय करेंगे कि प्रधान किसका होगा.

भीलवाड़ा का रिपोर्ट कार्ड

भीलवाड़ा में कांग्रेस के मांडल से रामलाल जाट विधायक हैं. हालांकि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 2 सीटें मिली थी लेकिन कैलाश त्रिवेदी का निधन हो गया है. भीलवाड़ा में वैसे भी कांग्रेस के विधायक नहीं हैं तो ऐसे में 37 जिला परिषद में से 24 पर जीत दर्ज करते हुए भाजपा ने अपना जिला प्रमुख बनना तय कर लिया है. हालांकि कांग्रेस को यहां केवल 13 जिला परिषद की सीटों से ही संतोष करना पड़ा.

भीलवाड़ा से कांग्रेस के केवल एक विधायक रामलाल जाट हैं. रामलाल जाट ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए 19 पंचायत समिति सदस्यों में से 12 कांग्रेस के सदस्य जीता दिए. जबकि भाजपा के केवल 7 सदस्य जीते हैं. ऐसे में भीलवाड़ा की मांडल पंचायत समिति से कांग्रेस का प्रधान बनना तय है.

जालोर का रिपोर्ट कार्ड

जालोर में विधानसभा की 5 सीटें हैं. यहां से केवल कांग्रेस के सुखराम विश्नोई ही विधायक हैं. जालोर जिला परिषद में 31 में से 19 जिला परिषद सदस्य भाजपा के जीते हैं तो 12 जिला परिषद सदस्य कांग्रेस के जीते हैं. ऐसे में जालोर जिला प्रमुख भाजपा का बनेगा.

सांचौर से विधायक सुखराम बिश्नोई हैं जो प्रदेश सरकार में मंत्री भी हैं लेकिन वह अपनी खुद की सांचौर पंचायत समिति से कांग्रेस को जीत नहीं दिला सके. 25 पंचायत समिति सदस्यों में से भाजपा के 15 पंचायत समिति सदस्य जीते हैं तो कांग्रेस के 9 सदस्य ही चुनाव जीते हैं. 1 पर निर्दलीय ने जीत दर्ज की है. ऐसे में मंत्री सुखराम बिश्नोई की पंचायत समिति से भाजपा का प्रधान बनेगा.

बूंदी का रिपोर्ट कार्ड

बूंदी की 3 विधानसभा सीटों में से एक हिंडोली से मंत्री अशोक चांदना विधायक हैं. बूंदी जिला परिषद में की 23 में से 12 सदस्य बीजेपी के जीते हैं तो 11 कांग्रेस के, ऐसे में बूंदी जिला प्रमुख भाजपा के खाते में गया है. अशोक चांदना की पंचायत समिति हिंडोली से भी कांग्रेस हार गई है. यहां 23 पंचायत समिति सदस्यों में से 13 भाजपा के जीते हैं तो 10 पंचायत समिति सदस्य ही कांग्रेस के जीते हैं.

चित्तौड़गढ़ का रिपोर्ट कार्ड

चित्तौड़गढ़ से कांग्रेस के 5 में से 2 विधायक हैं. जिनमें निंबाहेड़ा से मंत्री उदयलाल आंजना और बेगू से राजेंद्र बिधूड़ी आते हैं. चित्तौड़गढ़ जिला परिषद से भाजपा ने कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया है. यहां 25 जिला परिषद सदस्यों में से 21 भाजपा के जीते हैं तो 4 कांग्रेस के ऐसे में जिला प्रमुख चित्तौड़गढ़ में भाजपा का बनेगा. मंत्री उदयलाल आंजना के क्षेत्र में ही कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है. इसके साथ ही अपनी पंचायत समिति निंबाहेड़ा में भी उन्हें बुरी तरीके से हार का सामना करना पड़ा है. यहां 17 पंचायत समिति सदस्यों में से 14 सदस्य भाजपा के जीते हैं तो कांग्रेस के खाते में केवल 3 सीट गई है. ऐसे में मंत्री की पंचायत समिति में भी प्रधान भाजपा का बनेगा.

बेगू पंचायत समिति में भी कांग्रेस विधायक राजेंद्र बिधूड़ी को बुरी हार का सामना करना पड़ा है. यहां 15 सीटों में से 14 पर भाजपा ने जीत दर्ज की है तो कांग्रेस को महज एक सीट मिली है. ऐसे में विधायक राजेंद्र बिधूड़ी की अपनी पंचायत समिति में बुरी हार का सामना कांग्रेस को करना पड़ा है.

झुंझुनू का रिपोर्ट कार्ड

झुंझुनू जिले में 7 विधानसभा आती हैं. इनमें से 6 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. झुंझुनू विधानसभा से विजेंद्र ओला, खेतड़ी विधानसभा से जितेंद्र सिंह ,मंडावा से रीटा चौधरी, नवलगढ़ से राजकुमार शर्मा, पिलानी से जेपी चंदेलिया और उदयपुरवाटी से राजेंद्र गुड्डा कांग्रेस के विधायक हैं. लेकिन 7 में से 6 विधायक होने के बावजूद झुंझुनू में 35 जिला परिषद सदस्यों में से 20 जिला परिषद सदस्य भाजपा के जीते हैं तो वहीं कांग्रेस के खाते में 13 जिला परिषद सदस्य आए हैं. 2 निर्दलीय जिला परिषद सदस्य भी चुनाव जीते हैं. इतिहास में ऐसा पहली बार होगा कि झुंझुनू में भाजपा का जिला प्रमुख बनेगा.

झुंझुनू से कांग्रेस के विधायक विजेंद्र ओला हैं. पंचायत समिति की 21 सीटों में से 9 पर भाजपा ने चुनाव जीता है. 7 पर कांग्रेस पार्टी के पंचायत समिति सदस्य चुनाव जीते हैं तो वहीं पांच पर निर्दलीय का कब्जा है. ऐसे में निर्दलीयों का साथ जिसे मिलेगा प्रधान उसी पार्टी का होगा. खेतड़ी से कांग्रेस के विधायक जितेंद्र सिंह है. यहां 29 पंचायत समिति सदस्यों में से 17 पर भाजपा ने कब्जा किया है तो कांग्रेस के हिस्से में 10 और बीएसपी के हिस्से में 2 सीटें आई हैं. ऐसे में यहां भी भाजपा का प्रधान बनेगा.

मंडावा से कांग्रेस की विधायक रीटा चौधरी हैं. इनके क्षेत्र में आने वाली मंडावा पंचायत समिति में 15 सीटों में से कांग्रेस ने 8 सीटें जीती हैं तो वहीं भाजपा को 6 और निर्दलीय को 1 सीट मिली है. ऐसे में मंडावा में रीटा चौधरी कांग्रेस का प्रधान बनवा देंगी. नवलगढ़ से पूर्व मंत्री राजकुमार शर्मा विधायक हैं. यहां कांग्रेस ने 14 तो भाजपा ने 8 सीटें जीती हैं तो वहीं 5 सीटें निर्दलीयों के खाते में गई हैं. ऐसे में यहां कांग्रेस का प्रधान बनेगा.

पिलानी से जेपी चंदेलिया कांग्रेस के विधायक हैं. यहां 19 पंचायत समिति की सीटों में से भाजपा के हाथ 7 सीटें आई है तो कांग्रेस के हाथ में 5 सीटें वही यहां पर प्रधान कौन होगा इसका फैसला वह 7 पंचायत समिति के सदस्य करेंगे जो निर्दलीय जीत कर आए हैं. उदयपुरवाटी से राजेंद्र गुड्डा कांग्रेस के विधायक हैं. यहां कुल 27 पंचायत समिति सीटों में से 14 पर भाजपा ने जीत दर्ज की है तो वहीं कांग्रेस के हिस्से में 10 और 3 निर्दलीय पंचायत समिति सदस्य जीते हैं. ऐसे में भाजपा ने बहुमत का आंकड़ा पा लिया है.

झुंझुनू में 6 कांग्रेस विधायकों में से नवलगढ़ से राजकुमार शर्मा, मंडावा से रीटा चौधरी कांग्रेस के क्षेत्र में ही कांग्रेस का प्रधान बनेगा. वहीं उदयपुरवाटी, खेतड़ी, झुंझुनू, में भाजपा का प्रधान बनेगा. वही पिलानी से निर्दलीय तय करेंगे कि वहां प्रधान कौन सी पार्टी का होगा.

उदयपुर का रिपोर्ट कार्ड

उदयपुर में विधानसभा की 8 सीटें आती हैं. जिनमें से 2 जगह खेरवाड़ा और वल्लभनगर में कांग्रेस के विधायक हैं. उदयपुर जिले में 46 जिला परिषद सदस्यों में से 27 पर भाजपा और 15 पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. ऐसे में उदयपुर में जिला प्रमुख भाजपा का ही बनेगा. वल्लभ नगर पंचायत समिति से कांग्रेस विधायक गजेंद्र शक्तावत हैं. यहां की 19 पंचायत समिति सीटों में से 10 पर भाजपा और 8 पर कांग्रेस जीती है तो वहीं एक निर्दलीय भी यहां से चुनाव जीता है. लेकिन विधायक गजेंद्र सिंह के क्षेत्र में प्रधान भाजपा का बनेगा. खेरवाड़ा पंचायत समिति से कांग्रेस विधायक दयाराम परमार आते हैं. यहां की 17 पंचायत समिति सीटों में से कांग्रेस ने 8 पर तो भाजपा ने 5 सीटों पर जीत दर्ज की है. ऐसे में जीतने वाले 4 निर्दलीय यहां का प्रधान तय करेंगे.

जयपुर. राजस्थान में 21 जिलों के जिला परिषद और पंचायत समिति के नतीजे आ चुके हैं. ये नतीजे सत्ताधारी कांग्रेस के लिए चिंता का सबब बन गए हैं. इसे ऐसे समझा जा सकता है कि 21 जिलों में से भाजपा 13 जिलों में तो अपना जिला प्रमुख बनाने जा रही है. वहीं कांग्रेस को महज 5 जिलों में ही बहुमत मिला है. अभी नागौर, बाड़मेर और डूंगरपुर में यह तय नहीं है कि किसका जिला प्रमुख बनेगा लेकिन कांग्रेस सरकार के मंत्रियों का भी इन चुनावों में खराब प्रदर्शन रहा है.

पंचायत चुनावों में कांग्रेस विधायकों का प्रदर्शन

जहां प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट और गहलोत सरकार ने मंत्री रघु शर्मा, उदयलाल आंजना, सुखराम बिश्नोई और अशोक चांदना अपने जिलों में कांग्रेस को नहीं जिता सके और ना ही वह अपनी खुद की पंचायत समिति में चुनाव में जीत दिला सके. लेकिन ऐसा नहीं है कि कांग्रेस के मंत्रियों की ही कमी रही हो बल्कि कांग्रेस के ज्यादातर विधायकों की भी हालात यही है. 21 जिलों में कुल मिलाकर 106 विधानसभा सीटें हैं. इनमें से मास्टर भंवर लाल मेघवाल और कैलाश त्रिवेदी के निधन के चलते कांग्रेस के पास 48 सीटें बची हैं.

पंचायत चुनावों में कांग्रेस विधायकों का रिपोर्ट कार्ड

सीकर का रिपोर्ट कार्ड

सीकर में कुल 8 विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें से 7 विधानसभा सीटों में कांग्रेस के विधायक हैं. जिनमें दातारामगढ़ से वीरेंद्र सिंह, धोध से परसराम मोरदिया, फतेहपुर से हाकम अली, लक्ष्मणगढ़ से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा, नीमकाथाना से सुरेश मोदी, सीकर से राजेंद्र पारीक और श्रीमाधोपुर से दीपेंद्र सिंह शेखावत कांग्रेस के विधायक हैं. हालात यह है कि आठवीं सीट से विधायक महादेव खंडेला हैं जो भी कांग्रेस समर्थित विधायक हैं लेकिन सीकर के नतीजे कांग्रेस पार्टी के लिए चौकाने वाले साबित हुए हैं.

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आठों विधायक मिलकर भी कांग्रेस को जिला परिषद नहीं जिता सके और जिला परिषद की 39 सीटों में से 20 सीटें जीतकर भाजपा ने बहुमत हासिल कर लिया है. सीकर जिले में कांग्रेस के 18 जिला परिषद सदस्य जीते हैं वहीं एक निर्दलीय ने भी जीत दर्ज की है.

दातारामगढ़ पंचायत समिति

दातारामगढ़ से कांग्रेस के विधायक वीरेंद्र सिंह विधायक हैं. दातारामगढ़ पंचायत समिति में 27 वार्ड हैं, इनमें से भाजपा ने 13 पर जीत दर्ज की है वहीं, कांग्रेस के हिस्से में 11 वार्ड आए हैं. एक सीट निर्दलीय और 2 सीट कम्युनिस्ट पार्टी के हिस्से में गई है. ऐसे में दातारामगढ़ में प्रधान कौन बनेगा इसका फैसला निर्दलीय और कम्युनिस्ट पार्टी ही करेगी.

धोद पंचायत समिति

धोद से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक परसराम मोरदिया आते हैं. लेकिन धोद की 41 सीटों में से सबसे ज्यादा 17 सीटें भाजपा ने, 13 सीटें कांग्रेस ने वहीं कम्युनिस्ट पार्टी के खाते में 6 और निर्दलीय के खाते में 5 सीटें आई हैं. ऐसे में यहां भी प्रधान उसी पार्टी का बनेगा जिसको निर्दलीय और कम्युनिस्ट पार्टी समर्थन देंगी.

फतेहपुर पंचायत समिति

फतेहपुर से कांग्रेस के हाकम अली विधायक हैं. लेकिन यहां भी कांग्रेस भाजपा से पीछे रह गई. फतेहपुर पंचायत समिति में 27 वार्ड हैं. जिनमें से 11 में भाजपा ने जीत दर्ज की है तो 10 में कांग्रेस के प्रत्याशी जीते हैं. जबकि 6 निर्दलीयों ने जीत दर्ज की है. यहां भी प्रधानी की चाबी निर्दलीय विजेताओं के हाथ में है.

लक्ष्मणगढ़ पंचायत समिति

इस पंचायत समिति पर हर किसी की नजर थी. क्योंकि लक्ष्मणगढ़ से विधायक हैं राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा लेकिन यहां भी भाजपा का प्रधान बनना लगभग तय है. क्योंकि 25 सीटों में से बहुमत के लिए जरूरी 13 सीटें बीजेपी ने जीती हैं तो वहीं कांग्रेस को 11 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा. एक सीट निर्दलीय के खाते में गई है. ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के गृह क्षेत्र में भी भाजपा ने सेंध लगा दी है.

नीम का थाना पंचायत समिति

नीम का थाना से सुरेश मोदी कांग्रेस विधायक हैं. यहां 27 सीटों में से कांग्रेस के हिस्से में 11 सीटें आई हैं जबकि भाजपा ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की है. 6 निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनाव जीतकर आए हैं. जो यह तय करेंगे कि नीमकाथाना में प्रधान कौन होगा. लेकिन यहां जोड़-तोड़ करके कांग्रेस अपना प्रधान बना सकती है.

श्रीमाधोपुर पंचायत समिति

श्रीमाधोपुर पंचायत समिति से पूर्व स्पीकर दीपेंद्र सिंह शेखावत विधायक हैं. यहां 23 सीटों में से बहुमत के लिए जरूरी 12 सीटें कांग्रेस पार्टी ने जीत ली हैं, जबकि बीजेपी के खाते में 9 सीटें गई हैं और निर्दलीय के खाते में 2, ऐसे में नतीजों के हिसाब से श्रीमाधोपुर में कांग्रेस का प्रधान बनना तय है.

खंडेला पंचायत समिति

खंडेला से पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे महादेव खंडेला विधायक हैं. हालांकि वह इस बार निर्दलीय चुनाव जीते हैं, लेकिन उनके परिजन कांग्रेस पार्टी से ही प्रत्याशी थे और महादेव खंडेला कांग्रेस के समर्थित विधायक हैं. सबसे बेहतर रिजल्ट कांग्रेस के लिए खंडेला से ही आए हैं. यहां की 39 सीटों में से कांग्रेस ने 24 सीटों पर जीत दर्ज की है. वहीं बीजेपी के खाते में 10 सीटें आई हैं और 5 निर्दलीय भी जीत कर आए हैं.

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ऐसे में सीकर जिले से आने वाले 7 कांग्रेस विधायकों में से केवल श्रीमाधोपुर से ही कांग्रेस का प्रधान बनेगा तो वहीं कांग्रेस समर्थित विधायक महादेव खंडेला की खंडेला पंचायत समिति से भी कांग्रेस का प्रधान बन सकता है बाकी जगह या तो भाजपा या फिर निर्दलीयों के सहयोग से जोड़-तोड़ से प्रधान बनेंगे.

टोंक का रिपोर्ट कार्ड

टोंक जिले में 4 विधानसभा सीटें आती हैं. जिनमें से देवली उनियारा, निवाई और टोंक में कांग्रेस के विधायक हैं. सबसे खास बात यह है कि टोंक से सचिन पायलट विधायक हैं, तो वहीं देवली उनियारा से हरीश मीणा और निवाई से प्रशांत बैरवा कांग्रेस के विधायक हैं. लेकिन 4 में से 3 सीट होने के बावजूद भी टोंक जिले में कांग्रेस पार्टी जिला प्रमुख नहीं बना सकी. टोंक में 25 जिला परिषद सीटों में से 15 में भाजपा ने जीत दर्ज की है और बहुमत प्राप्त कर लिया है तो वहीं कांग्रेस के खाते में महज 10 जिला परिषद की सीटें ही आई हैं.

कैसा रहा टोंक के कांग्रेसी विधायकों का प्रदर्शन

टोंक पंचायत समिति

टोंक विधानसभा से सचिन पायलट विधायक हैं. लेकिन टोंक पंचायत समिति में पायलट का कोई खास असर नहीं दिखाई दिया. पंचायत समिति की 19 सीटों में से सर्वाधिक 9 सीटें भाजपा ने जीती हैं तो वहीं कांग्रेस के खाते में 7 सीटें गई हैं. हालांकि 3 निर्दलीय विजेताओं के सहारे कांग्रेस अपना प्रधान तो बना सकती है लेकिन बहुमत में सचिन पायलट खुद अपनी विधानसभा में पीछे रह गए.

उनियारा पंचायत समिति

यहां से कांग्रेस विधायक हरीश मीणा आते हैं. जहां कुल 17 सीटों में से कांग्रेस पार्टी ने 10 सीटें जीतते हुए अपना प्रधान बनना तय कर लिया है. उनियारा पंचायत समिति से 6 जिला परिषद सदस्य बीजेपी और एक जिला परिषद सदस्य निर्दलीय चुनाव जीता है. ऐसे में हरीश मीणा अपने क्षेत्र से कांग्रेस का प्रधान बनाने में सफल हो गए हैं.

निवाई पंचायत समिति

निवाई से कांग्रेस के विधायक प्रशांत बैरवा हैं. निवाई में कुल 21 जिला परिषद की सीटें थी, जिनमें से 13 सीटों पर जीत दर्ज करते हुए भाजपा ने अपना प्रधान बनना तय कर लिया है तो वहीं कांग्रेस के खाते में महज 6 सीटें आई हैं तो निर्दलीयों के खाते में 2 सीटें, ऐसे में प्रशांत बैरवा अपनी सीट से ही प्रधान बनाने में नाकाम रहे हैं.

ऐसे में टोंक जिले से चाहे सचिन पायलट हो या प्रशांत बैरवा दोनों का प्रदर्शन पंचायत चुनावों में खराब रहा. केवल हरीश मीणा अपनी पंचायत समिति में कांग्रेस का प्रधान बनवाने में सफल रहे.

अजमेर का रिपोर्ट कार्ड

अजमेर में कुल 8 विधानसभा आती हैं. जिनमें से दो विधायक कांग्रेस के हैं. जिनमें स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा केकड़ी से विधायक हैं तो राकेश पारीक मसूदा से विधायक हैं. अजमेर में 32 जिला परिषद में से भाजपा ने 21 जिला परिषद सीट से जीतते हुए अपना जिला प्रमुख तय कर लिया है. यहां से कांग्रेस के खाते में 11 जिला परिषद सीटें ही आई हैं.

केकड़ी पंचायत समिति

केकड़ी से स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा विधायक हैं. केकड़ी पंचायत समिति की 15 सीटों में 8 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है. कांग्रेस के हिस्से में 6 ही सीटें आई हैं. वहीं एक निर्दलीय ने भी चुनाव जीता है.

मसूदा पंचायत समिति

मसूदा पंचायत समिति से 19 सीटों में से भाजपा ने 10 सीटें जीतते हुए अपना प्रधान बनना तय कर लिया है. यहां से कांग्रेस को आठ और निर्दलीय को 1 सीट मिली है. ऐसे में अजमेर से स्वास्थ्य मंत्री के होते हुए कांग्रेस पार्टी जिला प्रमुख बनाने में तो नाकाम रही है तो खुद रघु शर्मा और राकेश पारीक अपनी पंचायत समिति में कांग्रेस पार्टी को चुनाव नहीं जीता सके.

पढ़ें: पंचायतीराज व जिला परिषद चुनाव के नतीजों पर भाजपा उत्साहित, पूनिया, राजे और कटारिया ने दी प्रतिक्रिया

चूरू का रिपोर्ट कार्ड

चूरू जिले में 6 विधानसभा सीटें आती हैं. जिनमें से 4 पर कांग्रेस का कब्जा है. इनमें कृष्णा पूनिया सादुलपुर से, भंवर लाल शर्मा सरदार शहर और नरेंद्र बुडानिया तारानगर से विधायक हैं, हालांकि मास्टर भंवरलाल मेघवाल सुजानगढ़ से विधायक थे लेकिन उनका निधन हो गया है. लेकिन चूरू जिला परिषद में कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत खराब रहा है और 27 में से 20 सीटें जीते हुए कांग्रेस ने अपना जिला प्रमुख बनना तय कर लिया है. कांग्रेस के खाते में केवल 7 सीटें गई हैं.

चूरू के कांग्रेस विधायकों का प्रदर्शन कैसा रहा

राजगढ़ पंचायत समिति

सादुलपुर से कृष्णा पूनिया कांग्रेस की विधायक हैं. इनकी पंचायत समिति राजगढ़ है. यहां की कुल 33 सीटें में भाजपा ने 16 सीटों पर जीत दर्ज की है. जबकि कांग्रेस के खाते में 10 सीटें आई. बसपा के 2 और 5 निर्दलीय पंचायत समिति सदस्य जीतकर आए हैं. ऐसे में यहां से भाजपा का प्रधान बनना लगभग तय है.

सरदारशहर पंचायत समिति

सरदारशहर से भंवर लाल शर्मा कांग्रेस विधायक हैं. यहां 25 में से 13 सीटें जीतते हुए कांग्रेस ने बहुमत प्राप्त कर लिया है और सरदारशहर में कांग्रेस का प्रधान बनेगा. यहां भाजपा को 11 और निर्दलीय को 1 सीट मिली है.

तारानगर पंचायत समिति

तारानगर से नरेंद्र बुडानिया विधायक हैं. यहां भी कांग्रेस का प्रधान बनना तय है. क्योंकि 19 सीटों में से 12 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. जबकि भाजपा के खाते में 5 और 2 निर्दलीय भी जिला परिषद सदस्य का चुनाव जीते हैं. ऐसे में चूरू से कांग्रेस के 3 विधायकों में से तारानगर और और सरदार शहर से कांग्रेस का प्रधान बनना तय है लेकिन कृष्णा पूनिया की पंचायत समिति से भाजपा प्रधान बनाएगी.

नागौर का रिपोर्ट कार्ड

नागौर जिले में कुल 10 विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें से 6 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं. यहां जिला प्रमुख का मुकाबला काफी रोचक है क्योंकि 47 सीटों में से 20 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है तो 18 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. लेकिन यहां जिला प्रमुख कौन होगा इसका फैसला हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी करेगी. आरएलपी के 9 जिला परिषद सदस्य नागौर से जीतकर आए हैं.

नागौर के कांग्रेसी विधायकों का रिपोर्ट कार्ड

डीडवाना से कांग्रेस के चेतन डूडी विधायक हैं. यहां 27 सीटों में से 12 पर भाजपा और 12 पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. ऐसे में डीडवाना पंचायत समिति में प्रधान का निर्णय जीते हुए दो निर्दलीय करेंगे. वहीं डेगाना से विजयपाल मिर्धा कांग्रेस के विधायक हैं, यहां 23 पंचायत समिति सीटों में से 13 में भारतीय जनता पार्टी की जीत हुई है. कांग्रेस के खाते में 7, निर्दलीय 2 और आरएलपी का 1 जिला परिषद सदस्य चुनाव जीता है.

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जायल से मंजू मेघवाल कांग्रेस की विधायक हैं. यहां 33 जिला परिषद सदस्यों में से 15 कांग्रेस के सदस्य चुनाव जीते हैं तो भाजपा के खाते में केवल 7 जिला परिषद सदस्य आए हैं. हालांकि 7 निर्दलीय और 6 आरएलपी के जिला परिषद सदस्य भी जीत कर आए हैं. इस पंचायत समिति से जोड़-तोड़ से ही सही लेकिन कांग्रेस का प्रधान बनता दिखाई दे रहा है. लाडनू से मुकेश भाकर कांग्रेस के विधायक हैं. यहां 19 पंचायत समिति सदस्यों में से कांग्रेस के 11 तो भाजपा के केवल 5 पंचायत समिति सदस्य जीते हैं, तो वही तीन सदस्य निर्दलीय भी चुनाव में जीत कर आए हैं. लाडनूं पंचायत समिति में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत है ऐसे में कांग्रेस का प्रधान बनना तय है.

नावा से विधानसभा के उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी विधायक हैं. लेकिन नतीजों में महेंद्र चौधरी भाजपा से पिछड़ गए हैं. उनकी अपनी पंचायत समिति में 21 सदस्यों में से 14 सदस्य भाजपा के जीते हैं तो कांग्रेस के खाते में केवल 6 पंचायत समिति सदस्य आए हैं तो एक सदस्य आरएलपी का जीता है. ऐसे में महेंद्र चौधरी की पंचायत समिति से भाजपा का प्रधान बनना तय है. परबतसर से रामनिवास गावड़िया विधायक हैं. यहां पंचायत समिति के 21 सदस्यों में से 10 भाजपा और 10 कांग्रेस ने जीते हैं. ऐसे में निर्दलीय जीते हुए एक पंचायत समिति सदस्य पर यह तय करेगा कि प्रधान किसका होगा.

ऐसे में नागौर के 6 विधायकों में से लाडनूं में कांग्रेस का प्रधान सीधे बन रहा है तो वही डीडवाना, परबतसर और जायल में जोड़-तोड़ से ही प्रधान बनेगा. जबकि नावा ओर डेगाना में कांग्रेस विधायकों के क्षेत्र में भाजपा के प्रधान बनेंगे.

बांसवाड़ा रिपोर्ट कार्ड

बांसवाड़ा में 5 में से 2 विधायक कांग्रेस के हैं. जिनमें पूर्व मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय बागीदौरा और मंत्री अर्जुन बामनिया बांसवाड़ा से विधायक हैं. बांसवाड़ा के नतीजे कांग्रेस के लिए अच्छे आए हैं. यहां कांग्रेस का जिला प्रमुख बनना तय है. यहां कुल 31 सीटों में से कांग्रेस ने 20 पंचायत समिति सदस्य जीते हैं तो भाजपा के खाते में 10 पंचायत समिति सदस्य आए हैं तो एक निर्दलीय जीता है. ऐसे में बांसवाड़ा में कांग्रेस का जिला प्रमुख बनना तय है.

बागीदौरा से पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह मालवीय विधायक हैं. यहां 19 पंचायत समिति सदस्यों में से 10 कांग्रेस के सदस्य जीते हैं तो 6 भाजपा के तीन निर्दलीय ने भी पंचायत समिति का चुनाव जीता है लेकिन यहां पर प्रधान कांग्रेस पार्टी का तय है. बांसवाड़ा से मंत्री अर्जुन बामनिया विधायक हैं. यहां 23 पंचायत समिति सदस्यों में से 14 भाजपा के सदस्य जीते हैं तो कांग्रेस के खाते में केवल 9 गए हैं. ऐसे में मंत्री की पंचायत समिति में प्रधान भाजपा का बनेगा.

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बांसवाड़ा से कांग्रेस के दो विधायक हैं. जिनमें से एक मंत्री अर्जुन बामणिया हैं. पंचायत समिति के नतीजों के अनुसार मंत्री अर्जुन बामणिया के क्षेत्र में भाजपा का प्रधान बनेगा तो वहीं बागीदौरा पंचायत समिति से महेंद्रजीत मालवीय कांग्रेस का प्रधान बनाने में सफल हो गए हैं.

डूंगरपुर रिपोर्ड कार्ड

डूंगरपुर जिले से 4 विधायकों में से एक विधायक कांग्रेस का है. यहां पर 27 जिला परिषद सदस्यों में से 6 पर कांग्रेस जीती है और 8 पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है. डूंगरपुर से 11 जिला परिषद सदस्य भारतीय ट्राइबल पार्टी के जीते हैं तो 2 निर्दलीय, ऐसे में डूंगरपुर में भारतीय ट्राइबल पार्टी का जिला प्रमुख बनना तय है.

डूंगरपुर जिले से एकमात्र विधायक गणेश घोघरा हैं जो यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं. उनकी खुद की पंचायत समिति की 21 सीटों में 9 सीटें कांग्रेस, 6 सीटें बीजेपी, 6 सीटें निर्दलीय के खाते में गई हैं. ऐसे में यहां प्रधान कौन होगा इसका फैसला निर्दलीय करेंगे.

बाड़मेर रिपोर्ट कार्ड

बाड़मेर में विधानसभा की 7 सीटें हैं. यहां से कांग्रेस के 6 विधायक हैं. जिसमें बायतु से मंत्री हरीश चौधरी, बाड़मेर से मेवाराम जैन, चौहटन से पदमाराम, गुडामालानी से हेमाराम चौधरी, पचपदरा से मदन प्रजापत और शिव से अमीन खान कांग्रेस विधायक हैं. लेकिन 7 में से 6 विधायक कांग्रेस के होने के बाद भी यहां कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है. बाड़मेर जिले में 37 जिला परिषद सदस्यों में से 18 कांग्रेस और 18 भाजपा के उम्मीदवार जीत कर आए हैं. ऐसे में यहां जिला प्रमुख कौन होगा यह आरएलपी तय करेगी क्योंकि उनका एक सदस्य चुनाव जीतकर आया है.

बायतु से मंत्री हरीश चौधरी विधायक हैं. बायतु की कुल 19 पंचायत समितियों में से कांग्रेस ने 15, भाजपा 2 और आरएलपी ने 2 सीटों पर जीत दर्ज की है. ऐसे में यहां आसानी से कांग्रेस का प्रधान बनना तय है. बाड़मेर से कांग्रेस के विधायक मेवाराम जैन हैं. यहां 19 पंचायत समिति सदस्यों में से 14 पंचायत समिति सदस्य कांग्रेस और 4 भाजपा, 1 निर्दलीय ने जीत दर्ज की है. लेकिन कांग्रेस के पास यहां प्रचंड बहुमत है.

चौहटन से कांग्रेस के विधायक पदमाराम हैं. जहां भाजपा अपना प्रधान बनाएगी. चौहटन विधायक पदमाराम अपने गांव में भी चुनाव हार गए हैं. गुडामालानी से हेमाराम चौधरी कांग्रेस के विधायक हैं. गुडामालानी पंचायत समिति से भाजपा का प्रधान बनेगा. बालोतरा पंचायत समिति जो पचपदरा विधायक मदन प्रजापति की विधानसभा का हिस्सा है यहां कांग्रेस का प्रधान बनेगा. शिव विधानसभा से अमीन खान कांग्रेस के विधायक हैं. यहां 19 पंचायत समिति सदस्यों में से 11 कांग्रेस के पंचायत समिति सदस्य जीते हैं तो वहीं 4 भाजपा के और 3 निर्दलीय पंचायत समिति सदस्य भी जीते हैं. ऐसे में शिव से कांग्रेस का प्रधान बनना तय है. बाड़मेर में कांग्रेस के 6 विधायकों में से चार विधायक तो अपने क्षेत्र में कांग्रेस का प्रधान बनाने में सफल हुए हैं लेकिन 2 विधायक कांग्रेस को जीत दर्ज नहीं करवा सके.

जैसलमेर का रिपोर्ट कार्ड

जैसलमेर में विधानसभा की 2 सीटें हैं. जैसलमेर और पोकरण. पोकरण से मंत्री साले मोहम्मद और जैसलमेर से रूपाराम विधायक हैं. जैसलमेर में 17 जिला परिषद सदस्यों में से कांग्रेस के 9 सदस्य जीते हैं तो भाजपा के 8 सदस्य जीते हैं. ऐसे में जैसलमेर से कांग्रेस का ही जिला प्रमुख बनेगा. जैसलमेर से कांग्रेस के रूपाराम विधायक हैं. जिनकी पंचायत समिति जैसलमेर में 15 में से 8 पर कांग्रेस के जिला परिषद सदस्य जीत कर आए हैं. वहीं भाजपा के 3 और 4 निर्दलीय सदस्यों ने चुनाव जीता है. ऐसे में जैसलमेर से भी विधायक रूपाराम कांग्रेस का प्रधान बनवाने में सफल रहे.

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पोकरण से साले मोहम्मद विधायक हैं. जिनकी पंचायत समिति साकड़ा है. साकड़ा में 17 पंचायत समिति सदस्यों में से 6 कांग्रेस के और 6 भाजपा के सदस्य जीतकर आए हैं. यहां पर 5 निर्दलीय ही यह तय करेंगे कि प्रधान किसका होगा.

भीलवाड़ा का रिपोर्ट कार्ड

भीलवाड़ा में कांग्रेस के मांडल से रामलाल जाट विधायक हैं. हालांकि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 2 सीटें मिली थी लेकिन कैलाश त्रिवेदी का निधन हो गया है. भीलवाड़ा में वैसे भी कांग्रेस के विधायक नहीं हैं तो ऐसे में 37 जिला परिषद में से 24 पर जीत दर्ज करते हुए भाजपा ने अपना जिला प्रमुख बनना तय कर लिया है. हालांकि कांग्रेस को यहां केवल 13 जिला परिषद की सीटों से ही संतोष करना पड़ा.

भीलवाड़ा से कांग्रेस के केवल एक विधायक रामलाल जाट हैं. रामलाल जाट ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए 19 पंचायत समिति सदस्यों में से 12 कांग्रेस के सदस्य जीता दिए. जबकि भाजपा के केवल 7 सदस्य जीते हैं. ऐसे में भीलवाड़ा की मांडल पंचायत समिति से कांग्रेस का प्रधान बनना तय है.

जालोर का रिपोर्ट कार्ड

जालोर में विधानसभा की 5 सीटें हैं. यहां से केवल कांग्रेस के सुखराम विश्नोई ही विधायक हैं. जालोर जिला परिषद में 31 में से 19 जिला परिषद सदस्य भाजपा के जीते हैं तो 12 जिला परिषद सदस्य कांग्रेस के जीते हैं. ऐसे में जालोर जिला प्रमुख भाजपा का बनेगा.

सांचौर से विधायक सुखराम बिश्नोई हैं जो प्रदेश सरकार में मंत्री भी हैं लेकिन वह अपनी खुद की सांचौर पंचायत समिति से कांग्रेस को जीत नहीं दिला सके. 25 पंचायत समिति सदस्यों में से भाजपा के 15 पंचायत समिति सदस्य जीते हैं तो कांग्रेस के 9 सदस्य ही चुनाव जीते हैं. 1 पर निर्दलीय ने जीत दर्ज की है. ऐसे में मंत्री सुखराम बिश्नोई की पंचायत समिति से भाजपा का प्रधान बनेगा.

बूंदी का रिपोर्ट कार्ड

बूंदी की 3 विधानसभा सीटों में से एक हिंडोली से मंत्री अशोक चांदना विधायक हैं. बूंदी जिला परिषद में की 23 में से 12 सदस्य बीजेपी के जीते हैं तो 11 कांग्रेस के, ऐसे में बूंदी जिला प्रमुख भाजपा के खाते में गया है. अशोक चांदना की पंचायत समिति हिंडोली से भी कांग्रेस हार गई है. यहां 23 पंचायत समिति सदस्यों में से 13 भाजपा के जीते हैं तो 10 पंचायत समिति सदस्य ही कांग्रेस के जीते हैं.

चित्तौड़गढ़ का रिपोर्ट कार्ड

चित्तौड़गढ़ से कांग्रेस के 5 में से 2 विधायक हैं. जिनमें निंबाहेड़ा से मंत्री उदयलाल आंजना और बेगू से राजेंद्र बिधूड़ी आते हैं. चित्तौड़गढ़ जिला परिषद से भाजपा ने कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया है. यहां 25 जिला परिषद सदस्यों में से 21 भाजपा के जीते हैं तो 4 कांग्रेस के ऐसे में जिला प्रमुख चित्तौड़गढ़ में भाजपा का बनेगा. मंत्री उदयलाल आंजना के क्षेत्र में ही कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है. इसके साथ ही अपनी पंचायत समिति निंबाहेड़ा में भी उन्हें बुरी तरीके से हार का सामना करना पड़ा है. यहां 17 पंचायत समिति सदस्यों में से 14 सदस्य भाजपा के जीते हैं तो कांग्रेस के खाते में केवल 3 सीट गई है. ऐसे में मंत्री की पंचायत समिति में भी प्रधान भाजपा का बनेगा.

बेगू पंचायत समिति में भी कांग्रेस विधायक राजेंद्र बिधूड़ी को बुरी हार का सामना करना पड़ा है. यहां 15 सीटों में से 14 पर भाजपा ने जीत दर्ज की है तो कांग्रेस को महज एक सीट मिली है. ऐसे में विधायक राजेंद्र बिधूड़ी की अपनी पंचायत समिति में बुरी हार का सामना कांग्रेस को करना पड़ा है.

झुंझुनू का रिपोर्ट कार्ड

झुंझुनू जिले में 7 विधानसभा आती हैं. इनमें से 6 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. झुंझुनू विधानसभा से विजेंद्र ओला, खेतड़ी विधानसभा से जितेंद्र सिंह ,मंडावा से रीटा चौधरी, नवलगढ़ से राजकुमार शर्मा, पिलानी से जेपी चंदेलिया और उदयपुरवाटी से राजेंद्र गुड्डा कांग्रेस के विधायक हैं. लेकिन 7 में से 6 विधायक होने के बावजूद झुंझुनू में 35 जिला परिषद सदस्यों में से 20 जिला परिषद सदस्य भाजपा के जीते हैं तो वहीं कांग्रेस के खाते में 13 जिला परिषद सदस्य आए हैं. 2 निर्दलीय जिला परिषद सदस्य भी चुनाव जीते हैं. इतिहास में ऐसा पहली बार होगा कि झुंझुनू में भाजपा का जिला प्रमुख बनेगा.

झुंझुनू से कांग्रेस के विधायक विजेंद्र ओला हैं. पंचायत समिति की 21 सीटों में से 9 पर भाजपा ने चुनाव जीता है. 7 पर कांग्रेस पार्टी के पंचायत समिति सदस्य चुनाव जीते हैं तो वहीं पांच पर निर्दलीय का कब्जा है. ऐसे में निर्दलीयों का साथ जिसे मिलेगा प्रधान उसी पार्टी का होगा. खेतड़ी से कांग्रेस के विधायक जितेंद्र सिंह है. यहां 29 पंचायत समिति सदस्यों में से 17 पर भाजपा ने कब्जा किया है तो कांग्रेस के हिस्से में 10 और बीएसपी के हिस्से में 2 सीटें आई हैं. ऐसे में यहां भी भाजपा का प्रधान बनेगा.

मंडावा से कांग्रेस की विधायक रीटा चौधरी हैं. इनके क्षेत्र में आने वाली मंडावा पंचायत समिति में 15 सीटों में से कांग्रेस ने 8 सीटें जीती हैं तो वहीं भाजपा को 6 और निर्दलीय को 1 सीट मिली है. ऐसे में मंडावा में रीटा चौधरी कांग्रेस का प्रधान बनवा देंगी. नवलगढ़ से पूर्व मंत्री राजकुमार शर्मा विधायक हैं. यहां कांग्रेस ने 14 तो भाजपा ने 8 सीटें जीती हैं तो वहीं 5 सीटें निर्दलीयों के खाते में गई हैं. ऐसे में यहां कांग्रेस का प्रधान बनेगा.

पिलानी से जेपी चंदेलिया कांग्रेस के विधायक हैं. यहां 19 पंचायत समिति की सीटों में से भाजपा के हाथ 7 सीटें आई है तो कांग्रेस के हाथ में 5 सीटें वही यहां पर प्रधान कौन होगा इसका फैसला वह 7 पंचायत समिति के सदस्य करेंगे जो निर्दलीय जीत कर आए हैं. उदयपुरवाटी से राजेंद्र गुड्डा कांग्रेस के विधायक हैं. यहां कुल 27 पंचायत समिति सीटों में से 14 पर भाजपा ने जीत दर्ज की है तो वहीं कांग्रेस के हिस्से में 10 और 3 निर्दलीय पंचायत समिति सदस्य जीते हैं. ऐसे में भाजपा ने बहुमत का आंकड़ा पा लिया है.

झुंझुनू में 6 कांग्रेस विधायकों में से नवलगढ़ से राजकुमार शर्मा, मंडावा से रीटा चौधरी कांग्रेस के क्षेत्र में ही कांग्रेस का प्रधान बनेगा. वहीं उदयपुरवाटी, खेतड़ी, झुंझुनू, में भाजपा का प्रधान बनेगा. वही पिलानी से निर्दलीय तय करेंगे कि वहां प्रधान कौन सी पार्टी का होगा.

उदयपुर का रिपोर्ट कार्ड

उदयपुर में विधानसभा की 8 सीटें आती हैं. जिनमें से 2 जगह खेरवाड़ा और वल्लभनगर में कांग्रेस के विधायक हैं. उदयपुर जिले में 46 जिला परिषद सदस्यों में से 27 पर भाजपा और 15 पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. ऐसे में उदयपुर में जिला प्रमुख भाजपा का ही बनेगा. वल्लभ नगर पंचायत समिति से कांग्रेस विधायक गजेंद्र शक्तावत हैं. यहां की 19 पंचायत समिति सीटों में से 10 पर भाजपा और 8 पर कांग्रेस जीती है तो वहीं एक निर्दलीय भी यहां से चुनाव जीता है. लेकिन विधायक गजेंद्र सिंह के क्षेत्र में प्रधान भाजपा का बनेगा. खेरवाड़ा पंचायत समिति से कांग्रेस विधायक दयाराम परमार आते हैं. यहां की 17 पंचायत समिति सीटों में से कांग्रेस ने 8 पर तो भाजपा ने 5 सीटों पर जीत दर्ज की है. ऐसे में जीतने वाले 4 निर्दलीय यहां का प्रधान तय करेंगे.

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