जयपुर. ग्रेटर नगर निगम (Greater Municipal Corporation board meeting) में पहली बार आयुक्त के खिलाफ निंदा प्रस्ताव (Condemnation motion brought against commissioner) लाया गया है. इसे लेकर निगम के ब्यूरोक्रेट्स और जनप्रतिनिधियों के बीच टकराव भी देखने को मिल है. इस दौरान बिना अध्यक्ष के अनुमति के ही आयुक्त सहित सभी अधिकारी-कर्मचारी सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर चले गए. चैयरमेन जितेन्द्र श्रीमाली की ओर से आयुक्त यज्ञमित्र सिंह के खिलाफ निंदा प्रस्ताव सदन में रखा गया है. इसके जवाब में आयुक्त ने इस प्रस्ताव पर विरोध किया और सभी अधिकारी-कर्मचारियों को सदन से बाहर चलने का इशारा किया.
इसपर सभी अधिकारी-कर्मचारी आयुक्त के साथ सदन का वॉकआउट कर गए. उनके साथ कांग्रेस के 50 फीसदी पार्षदों ने भी सदन का बॉयकॉट किया. हालांकि आधे कांग्रेस पार्षद और बीजेपी पार्षदों ने इस निंदा प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित करते हुए वीडियो रिकॉर्डिंग कराई और प्रस्ताव पर हस्ताक्षर भी किए. चूंकि सदन की कार्यवाही की प्रोसीडिंग और रिकॉर्डिंग सदस्य सचिव के निर्देश पर की जाती है, ऐसे में आयुक्त के सदन छोड़ने के बाद इसकी कार्यवाही पर भी सवाल खड़े हो गए हैं.
पहली बार अधिकारियों ने किया सदन से वॉकआउट
अब तक सदन की कार्रवाई से विपक्ष का वॉकआउट होता हुआ ही देखा गया है, लेकिन ये पहली मर्तबा है जब अधिकारियों ने सदन का बहिष्कार किया हो. इसे सीधे तौर पर व्यवस्थापिका और कार्यपालिका के बीच टकराव भी माना जा रहा है. वहीं सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर ईसी हॉल में निगम के तमाम अधिकारी इकट्ठा हुए. इस दौरान मीडिया से मुखातिब हुए आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव ने कहा कि बैठक के दौरान बहुत सारे पार्षदों ने विभिन्न अधिकारियों, एसआई, सीएसआई और उपायुक्त पर व्यक्तिगत आक्षेप किए. इस संबंध में पार्षदों को कल किसी भी अधिकारी या कर्मचारी पर व्यक्तिगत आक्षेप न करने के लिए समझाया भी गया.
उन्होंने नियम 12 का हवाला देते हुए कहा कि कोई भी सदस्य किसी भी व्यक्ति या अधिकारी के ऊपर कोई आक्षेप नहीं लगा सकता. जो प्रकरण न्यायपालिका के अंतर्गत विचाराधीन है उस पर भी किसी तरह का विचार-विमर्श नहीं किया जा सकता. आयुक्त ने कहा कि उन्होंने तीन बार प्रयास किया कि पार्षद किसी भी अधिकारी पर व्यक्तिगत आक्षेप न लगाएं. बावजूद इसके पार्षद निंदा प्रस्ताव लेकर आए जो कि न तो एजेंडे का हिस्सा था और न ही नियमों के तहत प्रावधान था. ऐसी स्थिति में सभी अधिकारियों ने सर्वसम्मति से नियम विरुद्ध कार्रवाई के खिलाफ सदन का बहिष्कार किया. उन्होंने बताया कि बैठक में एडिशनल प्रस्ताव आ सकता है लेकिन उसके लिए सहमति होना आवश्यक है और सब्जेक्ट पर तैयारी की भी आवश्यकता होती है. सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किए जाने के प्रावधान पर आयुक्त ने कहा कि ऐसा कोई प्रावधान है भी या नहीं, लेकिन कोई भी सदन का सदस्य किसी भी अधिकारी की गरिमा का हनन व्यक्तिगत तौर पर सदन में नहीं कर सकता.
जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण लाया निंदा प्रस्ताव
अधिकारियों के सदन से बायकॉट पर महापौर ने कहा कि साधारण सभा की बैठक के दौरान बिना अध्यक्ष की अनुमति के जाना गलत है. इस संबंध में राज्य सरकार को भी शिकायती पत्र लिखा जाएगा. ये एक गंभीर कृत्य है. विधानसभा में भी काफी बार ब्यूरोक्रेसी पर सवाल उठते हैं, लेकिन ऐसा नजारा कभी देखने को नहीं मिला. ऐसे में आयुक्त के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाया गया और सभी उपस्थित पार्षदों ने यहां रिकॉर्डिंग करते हुए प्रस्ताव पर सहमति जताई है. वहीं आयुक्त की ओर से इस तरह प्रस्ताव पारित किया जाना मान्य नहीं बताए जाने पर महापौर ने कहा कि अधिकारी जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा करते हैं, इसी वजह से ये प्रस्ताव लाया गया. उन्होंने कहा कि जल्द बैठक बुलाकर बचे हुए प्रस्ताव पर भी चर्चा कर पारित किए जाएंगे. इस संबंध में ना सिर्फ राज्य सरकार को बल्कि केंद्र सरकार को भी लिखा जाएगा.
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इस प्रस्ताव के बाद एक बार फिर सदन में बीजेपी बनाम कांग्रेस का मुद्दा उठा जिस पर सदन की कार्यवाही को स्थगित किया गया. स्थगन के बाद बीजेपी पार्षदों ने यहां निंदा प्रस्ताव को लेकर की गई वीडियो रिकॉर्डिंग को डिलीट करने का आरोप लगाते हुए विजिलेंस अधिकारियों का घेराव किया. इस संबंध में समिति चेयरमैन प्रवीण यादव ने बताया कि सर्वसम्मति से आयुक्त के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाया गया जिसमें कांग्रेस के पार्षदों ने भी अपनी सहमति व्यक्त की. इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग की गई. उन्होंने आरोप लगाया कि इस रिकॉर्डिंग को सब इंस्पेक्टर दया राम की ओर से पेनड्राइव में लेकर डिलीट करवाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि ये सब आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव के इशारे पर हो रहा है.
राज्य सरकार नगर निगम से आयुक्त यज्ञ मित्र सिंह देव का ट्रांसफर कर चुकी है, लेकिन वो अब तक रिलीव नहीं हुए हैं. सदन के शुरू होने से पहले ये चर्चा थी कि यज्ञमित्र बैठक में शामिल नहीं होंगे और सदस्य सचिव के तौर पर अतिरिक्त आयुक्त को चार्ज सौंप सकते है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पार्षदों का आरोप है आयुक्त यज्ञ मित्र सिंह देव के इशारे पर ही सभी अधिकारियों ने सदन से वॉकआउट किया था.
इससे पहले जॉब बेसिस पर एजेंसी के माध्यम से अस्थाई श्रमिकों की आपूर्ति के लिए बोर्ड स्वीकृति के लिए आमंत्रित की गई कि निविदा की कार्योत्तर स्वीकृति प्रदान कर, सफाई व्यवस्था के लिए प्रत्येक वार्ड में 7-7 अतिरिक्त अस्थाई कुशल सफाई कर्मचारियों को लगाए जाने के प्रस्ताव को पारित किया गया. इसमें निविदा में बदलाव होने की स्थिति में अतिरिक्त सफाई कर्मचारियों की संख्या बढ़ती है, तो प्रत्येक वार्ड में समान संख्या में कर्मचारी बढ़ाए जाने पर सहमति बनी. हालांकि इस प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान भी बीजेपी और कांग्रेस के पार्षद आमने-सामने हो गए थे और हाथापाई की नौबत बन आई थी. पार्षद विकास बारेठ की ओर से कांग्रेस पार्षद कैलाश पर की गई टिप्पणी के कारण यहां हंगामा बरपा और बाद में मामले को शांत कराने के लिए महापौर ने दोनों पार्षदों को एक-एक घंटा चुप रहने के निर्देश दिए.
लगाए गंभीर आरोप
बीजेपी पार्षद महेश सैनी ने जोन उपायुक्त ममता नागर पर वार्ड के स्वीकृत सफाई कर्मचारियों को लेकर सवाल (Greater Municipal Corporation board meeting) उठाए. उन्होंने आरोप लगाते हुए पूछा कि स्वीकृत सफाई कर्मचारी कहां हैं, अपने पास रखा है या उनके पैसे खाती हैं. इस पर ममता नागर ने दो टूक जवाब देते हुए कहा कि आरोप सिद्ध करें, नहीं तो सदस्यता से इस्तीफा दें और आरोप सिद्ध होता है तो वो नौकरी छोड़ देंगी.