जयपुर. एसीबी मुख्यालय में गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग की एक महिला ड्रग इंस्पेक्टर सीमा मीणा के खिलाफ 50 हजार रुपए की घूस मांगने का मामला दर्ज किया गया (ACB Action In Jaipur) है. एसीबी डीजी बीएल सोनी ने बताया कि 22 फरवरी को एक निजी अस्पताल के प्रतिनिधि ने एसीबी मुख्यालय में उपस्थित होकर यह शिकायत की थी कि उनके हॉस्पिटल में फार्मेसी स्टोर खोला जाना है और उसका लाइसेंस जारी करने की एवज में ड्रग इंस्पेक्टर सीमा मीणा 20 हजार रुपए की डिमांड कर रही (Complain against Lady Drug Inspector) है. इसके साथ ही ड्रग इंस्पेक्टर सीमा मीणा ने 6 माह की ऑडिट करने के दौरान 5 लाख रुपए का सामान जब्त कर लिया और जून में फिर से कार्रवाई की धमकी देकर 60 हजार रुपए मांगे.
वॉइस रिकॉर्डर में कैद हुई 50 हजार रुपए की मांग: ड्रग इंस्पेक्टर सीमा मीणा द्वारा लगातार परिवादी को रिश्वत मांग कर परेशान किया जाने लगा (Lady Drug Inspector demanding Bribe), जिस पर एसीबी ने परिवादी के साथ वॉइस रिकॉर्डर भेजा. जिस पर ड्रग इंस्पेक्टर सीमा मीणा ने पहली बार में दस्तावेज की मांग की और दूसरी बार सेठी कॉलोनी सीएमओ ऑफिस स्थित औषधि नियंत्रक कार्यालय में बुलाकर पहले पीड़ित का मोबाइल स्विच ऑफ करवाया फिर मेडिकल स्टोर का लाइसेंस जारी करने के लिए 50 हजार रुपए की रिश्वत मांगी. परिवादी ने रिश्वत की मांग करने की रिकॉर्डिंग लाकर एसीबी मुख्यालय को सौंप दी. हालांकि एसीबी टीम सीमा मीणा के खिलाफ कार्रवाई करती उससे पहले ही एसीबी ने विभाग के दूसरे ड्रग इंस्पेक्टर के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उसे पकड़ लिया. जिसके चलते ड्रग इंस्पेक्टर सीमा मीणा सचेत हो गई और उसने परिवादी का फोन रिसीव करना बंद कर दिया. हालांकि सीमा मीणा की 50 हजार रुपए की रिश्वत की मांग की वॉइस रिकॉर्डिंग पास में होने के चलते अब एसीबी ने सीमा मीणा के खिलाफ घूस मांगे जाने का मुकदमा दर्ज कर जांच करना शुरू किया है.
ड्रग इंस्पेक्टर सिंधु कुमारी से पूछताछ में खुले थे कई राज: एसीबी ने मार्च महीने में एक महिला ड्रग इंस्पेक्टर सिंधु कुमारी को 5 हजार रुपए रिश्वत राशि लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था. यह रिश्वत राशि मेडिकल स्टोर का इंस्पेक्शन करने और इंस्पेक्शन रिपोर्ट में कोई भी कमी नहीं निकालने की एवज में ली गई थी. जब सिंधु कुमारी से पूछताछ की गई थी तो उसमें इस बात का खुलासा हुआ था कि ड्रग इंस्पेक्टर उसके क्षेत्र में आने वाली तमाम मेडिकल दुकानों पर कार्रवाई नहीं करने की एवज में 5 हजार रुपए की 'मंथली' लेते हैं. 'मंथली' नहीं देने पर मेडिकल शॉप संचालक को गलत रिपोर्ट भेजने की धमकी देते हैं. एक ड्रग कंट्रोलर ऑफिसर के अधीन 400 दुकानें आती है, जांच रिपोर्ट सही देने की एवज में मेडिकल दुकान से 5 हजार और डिस्ट्रीब्यूटर से 40 हजार रुपए प्रति वर्ष लिए जाते हैं.