जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बजट पूर्व सभी वर्गों से संवाद कर रहे हैं. मंगलवार को उन्होंने प्रदेश के कर्मचारियों से चर्चा की. इस दौरान सीएम गहलोत ने कहा कि राज्य कर्मचारियों के हित में सरकार सदैव तत्पर रही है. अधिकारी-कर्मचारी राज्य सरकार का अभिन्न अंग हैं और वे सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं के निचले स्तर तक प्रभावी क्रियान्वयन में एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं. उधर वेतन कटौती से नाराज कर्मचारियों ने सरकार से कहा कि वह पहले कर्मचारियों की वेतन कटौती को बंद करें.
गहलोत ने कहा कि बजट को समावेशी और लोक कल्याणकारी स्वरूप देने की दिशा में राज्य सरकार सभी वर्गों के सुझाव ले रही है. इसी क्रम में कर्मचारी महासंघों को भी अपने महत्वपूर्ण सुझाव देने के लिए (CM Ashok Gehlot interaction with employees) आमंत्रित किया गया है. इन सुझावों के आधार पर सरकार को कर्मचारी वर्ग के हित में फैसले लेने में मदद मिलेगी.
समस्या समाधान के लिए निरंतर संवाद जरूरीः मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार और कर्मचारी संगठनों के बीच निरंतर संवाद कायम रहे तो विभिन्न समस्याओं का हल आसानी से हो सकता है. समय पर बातचीत से कई मांगों पर निर्णय लिए जा सकते हैं . उन्होंने विभिन्न कर्मचारी संगठनों को मिलकर एक समन्वय समिति बनाने का सुझाव दिया, ताकि सरकार से संवाद का एक प्लेटफॉर्म बन सके. उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के प्रतिनिधि मण्डल मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव वित्त एवं प्रमुख सचिव कार्मिक के समक्ष अपनी वाजिब मांगें रख सकते हैं. राज्य सरकार कर्मचारियों के हित में पूर्व में की गई घोषणाओं को प्राथमिकता से पूरा करने की दिशा में प्रयासरत है.
कोरोना संक्रमण में किया सराहनीय कार्यः गहलोत ने कहा कि कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपनी बात प्रभावी ढंग से रखी. राज्य सरकार का प्रयास रहेगा कि उनके सकारात्मक सुझावों को बजट में शामिल किया जा सके. उन्होंने कोविड-19 संक्रमण के दौरान अधिकारियों-कर्मचारियों की ओर से किए गए सहयोग की जमकर तारीफ की. साथ ही कहा कि ‘कोई भूखा नहीं सोए’ के हमारे ध्येय वाक्य को पूरा करने में कर्मचारियों ने सराहनीय कार्य किया.
कर्मचारियों ने रखी अपनी मांगः प्रदेश में बजट घोषणा से पूर्व कर्मचारियों की समस्याओं को जानने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वीसी के माध्यम से कर्मचारी संगठनों सुझाव लिए. वीसी में अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) की ओर से प्रदेशाध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने वेतन कटौती को विलोपित करने की मांग रखी. राठौड़ ने कहा कि मुख्य रूप से जो मांगे रखी उनमें 30 अक्टूबर 2017 के वेतन कटौती के आदेश को निरस्त करना, चयनित वेतनमान का परिलाभ 9,18 और 27 वर्ष के स्थान पर 8,16, 24 और 32 वर्ष की सेवा अवधि पूर्ण करने पर पदोन्नति पद के समान देना आदि हैं.
साथ ही वेतन विसंगतियों के परीक्षण के लिए खेमाराम चौधरी की अध्यक्षता में गठित समिति का कार्यकाल आगे नहीं बढ़ाने और वेतन विसंगति की रिपोर्ट को लागू करने के लिए बजट में प्रावधान रखने, राज्य कर्मचारियों के लिए स्पष्ट एवं पारदर्शी स्थानांतरण नीति लागू करने की मांग की है.