जयपुर. मुख्य सचिव ने अधिकारियों से कहा कि पीपीपी मोड पर अस्पतालों का निर्माण, पहले से मौजूद अस्पतालों का अपग्रेडेशन, सीटी स्कैन व एमआरआई मशीनों का पीपीपी मोड पर संचालन, शैक्षणिक संस्थानों में कोचिंग सुविधा व अलग से महिला टॉएलेट का निर्माण, स्पोर्ट्स फैसिलिटी, रोडवेज टर्मिनल, पब्लिक लाइब्रेरी, क्लब्स, सैनिटेशन, वाटर सप्लाई, कोल्ड स्टोरेज, हॉस्टल्स, स्मार्ट मीटर आदि के निर्माण जैसे कार्यों को इस योजना के तहत शामिल किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इस योजना की प्रथम उपयोजना के तहत केंद्र सरकार सामाजिक क्षेत्रों जैसे अपशिष्ट जल शोधन, जलापूर्ति, ठोस कचरा प्रबंधन, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्रों में कुल परियोजना लागत का अधिकतम 30 प्रतिशत उपलब्ध कराएगी और राज्य सरकार अथवा प्रायोजक केंद्रीय मंत्रालय अथवा वैधानिक निकाय कुल परियोजना लागत की अतिरिक्त 30 प्रतिशत सहायता उपलब्ध करा सकते हैं.
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निरंजन आर्य ने बताया कि इस श्रेणी के तहत पात्र परियोजनाओं की कम से कम 100 प्रतिशत संचालन लागत पुनः प्राप्त होनी चाहिए. इसके अतिरिक्त वीजीएफ की द्वितीय उपयोजना के तहत सामाजिक क्षेत्र में स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़े पायलेट प्रोजेक्ट्स को सहायता दी जाएगी, जहां कम से कम 50 प्रतिशत संचालन लागत की पुनः प्राप्ति हो. उन्होंने बताया कि इन परियोजनाओं में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा मिलकर पहले पांच वर्षों में पूंजी लागत का 80 प्रतिशत और संचालन एवं रख-रखाव लागत का 50 प्रतिशत हिस्सा उपलब्ध कराया जाएगा. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा इस परियोजना में कुल परियोजना लागत का अधिकतम 40 प्रतिशत हिस्सा उपलब्ध कराया जाएगा.
इस अवसर पर आयोजना विभाग के शासन सचिव नवीन जैन उपस्थित थे. बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव, जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी सुधांश पंत, प्रमुख शासन सचिव वित्त विभाग अखिल अरोड़ा, प्रमुख शासन सचिव स्कूल शिक्षा अपर्णा अरोड़ा, प्रमुख शासन सचिव नगरीय विकास एवं आवासन विभाग भास्कर सावंत, प्रमुख शासन सूचना प्रोद्योगिकी एवं संचार विभाग अजिताभ शर्मा, प्रमुख शासन सचिव ऊर्जा विभाग दिनेश कुमार एवं अन्य विभागों के अधिकारियों ने वीसी के माध्यम से हिस्सा लिया.