जयपुर. सीएम गहलोत मंगलवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में सांभर झील क्षेत्र में पक्षियों को बचाने के लिए वृहद स्तर पर चल रहे राहत कार्यों की समीक्षा कर रहे थे. मुख्यमंत्री ने बैठक के दौरान ही जयपुर, नागौर और अजमेर जिला कलक्टरों से वीडियो कांफ्रेंस कर उनके जिलों में किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा की. उन्होंने कहा कि पक्षियों की मृत्यु होना गंभीर चिंता का विषय है. इनको बचाने के लिए किसी तरह की कमी नहीं रखी जाए.
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पूर्व में हुई घटनाओं का कराएं अध्ययन
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पूर्व में पक्षियों की एकाएक मौत की घटनाओं और उन्हें रोकने के लिए किए गए उपायों का अध्ययन और विश्लेषण कराएं. जिसके आधार पर भविष्य में ऐसी घटनाओं को प्रभावी रूप से रोका जा सके. वहीं मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार अपने स्तर पर राहत कार्यों में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही. यह अच्छी बात है कि अधिकारी केन्द्र सरकार से तथा पक्षी विज्ञान के क्षेत्र में कार्यरत सभी संस्थानों की भी मदद ले रहे हैं.
तत्परता से जुटी है एसडीआरएफ, पशुपालन, वन विभाग और स्वयंसेवकों की टीम
बैठक में बताया गया कि पशुपालन विभाग के 100 चिकित्सकों और नर्सिंगकर्मियों की 20 टीमें पक्षियों को बचाने के लिए जयपुर जिले के सांभर झील क्षेत्र में कार्य कर रही हैं साथ ही मृत पक्षियों का वैज्ञानिक निस्तारण किया जा रहा है. वन विभाग के करीब 100 कार्मिक, एसडीआरएफ की टीम तथा स्वयंसेवी संगठनों के स्वयंसेवक पूरी तत्परता के साथ पक्षियों को बचाने में जुटे हुए हैं. करीब 600 पक्षियों को रेस्क्यू कर उन्हें उपचार दिया गया है. इनमें से काफी पक्षियों की स्थिति में सुधार है. इसके साथ ही पशुपालन मंत्री लालचन्द कटारिया, वन और पर्यावरण राज्यमंत्री सुखराम विश्नोई ने भी प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर वहां की स्थितियों का गहन जायजा लिया है.
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राहत कार्यों से स्थिति नियंत्रण में
अधिकारियों ने बताया कि मृत पक्षियों के निस्तारण और सतत राहत कार्यों से पक्षियों के मरने की संख्या अब काफी कम हो चुकी है. भारतीय वन्यजीव संस्थान, सालीम अली सेंटर फॉर ऑर्निथोलॉजी एंड नेचुरल हिस्ट्री और बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के विशेषज्ञों की भी मदद ली जा रही है. वहीं पानी की गुणवत्ता की जांच के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा सांभर साल्ट्स लि. द्वारा नमूने लिए गए हैं. राजस्थान एग्रीकल्चरल एंड वेटरिनरी यूनिवर्सिटी बीकानेर ने पक्षियों में बॉट्यूलिज्म रोग की संभावना व्यक्त की है. इंडियन वेटेरिनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट बरेली को भी बीमारी की पुष्टि के लिए नमूने भेजे गए हैं. बता दें कि बैठक में जलदाय मंत्री बीडी कल्ला, पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया, उद्योग मंत्री परसादीलाल मीणा, उद्योग विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल, वन और पर्यावरण विभाग की प्रमुख सचिव श्रेया गुहा, पशुपालन निदेशक सहित विभाग के अन्य अधिकारी मौजूद थे.