जयपुर. प्रदेश में अपराधों के आंकड़ों को लेकर इन दिनों सियासत चरम पर है. भाजपा नेता राजस्थान में अपराधियों के बढ़ने का हवाला देकर गहलोत सरकार को लगातार घेर रहे थे लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा नेताओं के आरोपों को बेबुनियाद करार देते हुए आंकड़ों के साथ भाजपा के लगाए आरोपों पर स्थिति स्पष्ट की है.
मुख्यमंत्री ने ट्वीट के जरिए बयान जारी कर कहा कि राजस्थान में अपराध के आंकड़ों को लेकर सोशल मीडिया में भाजपा की ओर से झूठ फैलाया जा रहा है. गहलोत ने कहा कि यही आंकड़े तथ्यों की जांच किए बिना छाप दिए जिनके कारण आमजन में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है जबकि सच्चाई पूर्णत: भिन्न है. सीएम ने कहा कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट की शुरुआत में स्पष्ट चेतावनी अंकित है कि अपराध समाज में विद्यमान विभिन्न परिस्थितियों का परिणाम है.
विभिन्न राज्यों में प्रचलित नीति एवं प्रक्रियाओं के कारण राज्यों के बीच केवल इन आकड़ों के आधार पर तुलना करने से बचना चाहिए. अपराध में वृद्धि और अपराध पंजीकरण में वृद्धि में अंतर है और कुछ लोग दोनों को एक मानने की गलती कर लेते हैं. NCRB ने माना है कि आंकड़ों में वृद्धि राज्य में जनकेन्द्रित योजनाओं व नीतियों के फलस्वरूप हो सकती है.
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सीएम ने कहा कि कांग्रेस सरकार का गठन होते ही प्रदेश में 2019 में अपराध के निर्बाध पंजीकरण (Compulsory FIR) नीति लागू की. इससे थाने में शिकायत दर्ज करवाने वाले हर व्यक्ति कि FIR दर्ज की जानी शुरू हुई जिससे हर घटना एक तार्किक निष्कर्ष (Logical Conclusion) तक पहुंच सके. पहले आमजन को FIR करवाने तक में परेशानी होती थी. कई बार तो पीड़ित की FIR तक दर्ज नहीं होती थी.
गहलोत के अनुसार निर्बाध पंजीकरण की यह नीति लागू करते समय भी हमने स्पष्ट कहा था कि इससे अपराध के आंकड़े बढ़ेंगे लेकिन न्याय सुनिश्चित होगा जिससे आमजन को राहत मिलेगी. सीएम के अनुसार FIR दर्ज होने के कारण अब हर शिकायत पर पुलिस न्यायोचित कार्रवाई सुनिश्चित करती है. पूर्व में पुलिस सामान्य शिकायत दर्ज करती थी एवं जांच कर शिकायत सही मिलने पर उसकी FIR लिखती थी। अब पहले FIR लिखकर जांच शुरू होती है. इस कारण अपराध के पंजीकरण में बढ़ोत्तरी हुई है.
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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने बयान में भाजपा नेताओं की ओर से अपराध के आंकड़ों को लेकर लगाए जा रहे आरोपों का भी आंकड़ों के साथ ही जवाब दिया. गहलोत ने कहा कि भाजपा के दावों के मुताबिक प्रदेश 2019 में महिला अत्याचार के मामलों में 41550 प्रकरणों के साथ प्रथम स्थान पर था. लेकिन NCRB के मुताबिक महिला अत्याचार के सर्वाधिक 59853 मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज हुए हैं. राजस्थान में निर्बाध पंजीकरण की नीति के बावजूद मामले उत्तर प्रदेश से कम हैं.
गहलोत के अनुसार भाजपा का दावा है कि वर्ष 2020 में 2019 की तुलना में महिला अत्याचार 50% बढ़े जबकि आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक वास्तव में वर्ष 2020 में महिला अत्याचार 16% कम हुए. जबकि वर्ष 2020 में बलात्कार में भी 11% की कमी आई है. वर्ष 2019 की तुलना में महिला अत्याचारों में जून 2021 तक 9% की कमी है. इसके साथ ही बलात्कार के प्रकरणों में भाजपा सरकार में वर्ष 2017-18 में 30-33% महिलाओं को अपनी FIR दर्ज कराने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ता था. आज यह आंकड़ा 15% से भी कम रह गया है, क्योंकि पुलिस थाने में निर्बाध पंजीकरण के कारण अविलंब FIR दर्ज होती है.
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अपराध निस्तारण के मामलों की भाजपा शासित प्रदेशों से तुलना करने को लेकर सीएम गहलोत ने बयान दिया कि किसी भी प्रदेश में अपराध को पूर्णत: नहीं रोका जा सकता है लेकिन अपराध के बाद उस पर कार्रवाई कर न्याय सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है. राजस्थान में महिला अत्याचारों के प्रकरणों का प्राथमिकता से निस्तारण किया गया जिसके कारण 2019 के अंत में मात्र 9% प्रकरण लंबित थे, जबकि भाजपा शासित बिहार में 47%, हरियाणा में 17%, उत्तर प्रदेश में 20% और मध्य प्रदेश में 16% प्रकरण लंबित रहे. यह दिखाता है कि कम अपराध पंजीकरण करने के बावजूद वहां पर प्रकरणों के निस्तारण की रफ्तार धीमी है जबकि राजस्थान में ऐसा नहीं हैं.
गहलोत के अनुसार वर्ष 2020 एवं 2021 के आंकड़ों की तुलना करना उचित नहीं है क्योंकि 2020 में करीब आधा साल आंशिक अथवा पूर्ण लॉकडाउन में गुजरा जिस कारण अपराध के आंकड़ों में कमी आई थी. इसलिए तुलनात्मक रूप से 2021 के आंकड़े ज्यादा आना स्वभाविक है.