जयपुर. कोरोना संकट के बीच सियासी गलियारों में केंद्रीय मंत्रिमंडल के प्रस्तावित विस्तार की चर्चा इन दिनों आम है. हालांकि, इन सियासी चर्चाओं में कितना दम है ये अलग बात है, लेकिन इस बीच प्रदेश से मोदी मंत्रिमंडल में शामिल मंत्रियों के अब तक के परफॉर्मेंस को लेकर चर्चा का दौर शुरू हो गया है. वहीं, मंत्रिमंडल से दूर रहे सांसदों के मन में भी कुछ उम्मीद जगी है.
यदि केंद्रीय मंत्रिमंडल राजस्थान के प्रतिनिधि की बात की जाए तो गजेंद्र सिंह शेखावत के रूप में कैबिनेट, जबकि अर्जुन राम मेघवाल और कैलाश चौधरी के रूप में केंद्रीय राज्य मंत्री हैं. वहीं, प्रदेश से आने वाले तीनों मंत्रियों के परफॉर्मेंस की यदि बात की जाए तो शेखावत के पास जलशक्ति मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी है जो खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी है. शेखावत का अब तक का कामकाज भी ठीक रहा है. ऐसे में यदि केंद्रीय मंत्रिमंडल में बदलाव हुआ भी तो शेखावत पर इसका कोई असर नहीं पड़ने की संभावना है.
वहीं, दूसरे मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की बात की जाए तो मोदी सरकार पहले कार्यकाल में भी वो मंत्री रह चुके हैं और मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में भी उन्हें जिम्मेदारी दी गई है. क्योंकि राजनीति के अलावा मेघवाल को प्रशासनिक अनुभव भी अच्छा है. जबकि तीसरे मंत्री कैलाश चौधरी को पहली बार सांसद बनने का मौका मिला और पहली बार ही मोदी मंत्रिमंडल में जगह मिली, लेकिन शेखावत और मेघवाल की तुलना में यदि चौधरी के सियासी कद की बात की जाए तो इन दोनों नेताओं से कम है. मतलब यदि भविष्य में कुछ बदलाव हुआ भी तो संकट चौधरी के पद पर आ सकता है. हालांकि, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत प्रस्तावित फेरबदल के कयासों को मीडिया की देन बताते हैं.
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राजस्थान में जनजाति वोटों की संख्या अच्छी खासी है, लेकिन केंद्रीय टीम में राजस्थान से जाट, राजपूत और अनुसूचित जाति को ही प्रतिनिधित्व मिल पाया है. वहीं, ओम बिरला को लोकसभा अध्यक्ष बनाकर और वैश्य समाज को भी खुश किया गया है. इसी तरह सतीश पूनिया को पार्टी प्रदेश अध्यक्ष बनाकर जाट समाज को भाजपा ने खुद से जोड़ा. ऐसे में अब अनुसूचित जनजाति समाज से किसी को राजस्थान के नाते केंद्र में जगह मिलने की संभावना है.
राजस्थान से सांसद अर्जुन लाल मीणा, जसकौर मीणा और किरोड़ी लाल मीणा जनजाति से आते हैं, जिसमें किरोड़ी लाल मीणा प्रभावशाली नेता माने जाते हैं. वहीं, जाट मंत्रियों में फेरबदल किया गया तो संभवत: हनुमान बेनीवाल की भी लॉटरी लग सकती है. हालांकि, किरोड़ी लाल मीणा इसे प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार बताते है. बहरहाल इस समय वैश्विक महामारी कोरोना का संकट काल चल रहा है और इस दौरान मंत्रिमंडल में विस्तार सहित अन्य सियासी गतिविधियों की उम्मीद कम ही है.