जयपुर. केन्द्र सरकार की ओर से हाईकोर्ट में जवाब पेश कर कहा गया कि फसल बीमा को लेकर आपदा राहत कोष व पीएम फसल बीमा योजना के तहत खराबे के अलग-अलग पैमाने हैं.
वहीं राज्य सरकार का कहना है कि कृषि विभाग अनुमानित खराबा निकालता है और राजस्व विभाग मौका रिपोर्ट के आधार पर हकीकत बताता है. हाईकोर्ट ने दोनों सरकारों के जवाब पर याचिकाकर्ता रामपाल जाट को अपना पक्ष रखने को कहा है.
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केन्द्र सरकार की ओर से जवाब में कहा गया कि पीएम फसल बीमा योजना के तहत राज्य सरकार विभिन्न जगह कार्यरत प्रशिक्षित अधिकारियों के माध्यम से फसल के बारे में खराबे की जानकारी जुटाती है और इसका फार्मुला भी तय है. इसके अलावा आपदा राहत कोष के तहत राज्य सरकार मौसम से जुडे पहलुओं और फील्ड रिपोर्ट के आधार पर नुकसान का आंकलन करती है.
वहीं लोन नहीं लेने वाले किसानों के लिए फसल बीमा अनिवार्य नहीं है. दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि कृषि विभाग अनुमानित खराबा निकलता है और राजस्व विभाग मौके से रिपोर्ट लेकर वास्तविक खराबा निकालता है. याचिका में फसल बीमा का उचित मुआवजा नहीं देने और इसकी गणना में खामियां रखने का मुद्दा उठाया गया है.