जयपुर. फिल्म 'पानीपत' में विश्व के सिरमौर भारत भूमि के अजेय महायोद्धा महाराजा सूरजमल के अपमान को लेकर राजस्थान में आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है. जयपुर में जहां एक तरफ जाट समाज के युवाओं ने सिनेमाघर में तोड़फोड़ की. वहीं अब फिल्म के निर्माताओं के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई है. रामावतार पलसानियां ने मानसरोवर पुलिस थाने में मामला दर्ज करवाया है.
सूरजमल के चरित्र को अपमानजनक दिखाया
रामावतार पलसानियां ने कहा कि जब पानीपत फिल्म के सीक्वल को देखा था. जिसमें हिंदुओं के सरताज और जाट जाति के प्लेटो महाराजा सूरजमल के चरित्र को बहुत ही अपमानजनक तरीके से दिखाया गया था. शारीरिक रूप से जिस व्यक्ति को महाराजा सूरजमल के रोल में दिखाया गया था, वह महाराजा सूरजमल से कहीं मेल नहीं खाता. जिस भाषा का इस्तेमाल महाराजा सूरजमल के चरित्र द्वारा किया जा रहा था. वह उस समय की बोली जाने वाली ब्रजभाषा से बिल्कुल उल्टी है. साथ ही मराठा सरदार के साथ सहयोग करने का कारण जो दिखाया गया था वे भी ऐतिहासिक रूप से झूठा है. क्योंकि ऐतिहासिक प्रमाणों के मुताबिक आगरे का किला तो उस समय भी महाराजा सूरजमल के नियंत्रण में ही था.
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महापुरुष को अपमानित कर रहे पब्लिसिटी
उन्होंने कहा कि फिल्म के सीन में ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर उनकी भावनाओं का अपमान किया गया है. इस फिल्म के डायरेक्टर आशुतोष गोवरीकर, प्रोडूसर सुनीता गोवरीकर और लेखक अशोक चक्रधर द्वारा जानबूझकर एक जाति के महापुरुष को अपमानित करके फिल्म की पब्लिसिटी हासिल करने का ओछा हथकंडा है. जबकि महाराजा सूरजमल द्वारा मराठों की पराजय के बाद घायलों और महिलाओं की जो सेवा की गई थी और उनकी रक्षा के लिए जो कार्य किया गया था उसको भी जानबूझकर फिल्म में नहीं दिखाया गया. यह फिल्म पूरी तरह से मनगढंत तथ्यों पर आधारित है. इसका एकमात्र मकसद जाट जाति के सूर्य महाराजा सूरजमल का अपमान करना और समाज में वैमनस्य पैदा करना है.