जयपुर. शहर में सफाई व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए नगर निगम प्रशासन ने 2017 में बीवीजी कंपनी को जिम्मेदारी सौंपी थी. लेकिन 2018 से ही कभी बीवीजी कंपनी, कभी कंपनी से जुड़े हुए वेंडर और कभी कंपनी के सफाई कर्मचारियों ने भुगतान और वेतन विसंगति को लेकर हड़ताल करना शुरू कर दिया. ये क्रम अब तक जारी है और हर बार खामियाजा शहर की आम जनता को भुगतना पड़ा है.
राजधानी के दोनों नगर निगमों में सफाई व्यवस्था को मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ा गया. ग्रेटर नगर निगम में बीजेपी जबकि हेरिटेज नगर निगम में कांग्रेस का बोर्ड बना. लेकिन दोनों ही नगर निगम डोर टू डोर कचरा संग्रहण की चरमराई व्यवस्था को सुधार नहीं पाए. दोनों निगमों की बोर्ड बैठक में कचरा संग्रहण का काम करने वाली बीवीजी कंपनी के खिलाफ पार्षदों ने सवाल खड़े किए. प्लानिंग की गई कि कंपनी को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा. लेकिन हाईकोर्ट के निर्देशों उन्हें कंपनी को सहारा दिया.
बीवीजी कंपनी को आधा भुगतान कर रहा निगम
हालांकि बीवीजी कंपनी को फिलहाल 50 से 60 फीसदी ही भुगतान हो रहा है. जानकार के मुताबिक बीवीजी कंपनी हर महीने हेरिटेज निगम को 3.5 करोड़ और ग्रेटर निगम को 4.5 करोड़ के बिल सौंपती है. लेकिन नगर प्रशासन जुर्माना लगाकर 3 से 4 करोड़ का भुगतान करती है. आधे भुगतान के बाद भी बीवीजी कंपनी निगम से जाने को तैयार नहीं है, न ही अधिकारी और जनप्रतिनिधि बीवीजी कंपनी को बाहर का रास्ता दिखा पाए हैं. लिहाजा खामियाजा जनता को ही भुगतना पड़ रहा है.
कचरा संग्रहण में कंपनी फेल
ग्रेटर नगर निगम कांग्रेस पार्षद करण शर्मा ने बताया की बीवीजी कंपनी कचरा संग्रहण करने में पूरे शहर में फेल है. बीवीजी के अलावा दूसरे विकल्प तलाशने की मांग भी की थी. लेकिन अभी तक वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो पाई है. नतीजन पूरे शहर की व्यवस्था चरमराई हुई है. वहीं हेरिटेज निगम से मेयर प्रत्याशी रही पार्षद कुसुम यादव ने बताया कि दीपावली पर घरों से निकलने वाला अतिरिक्त कचरा उठाना तो दूर की बात है, बीवीजी कंपनी रेगुलर कचरा भी नहीं उठा पा रही है.
कंपनी की मॉनीटरिंग की तैयारी
हालांकि अब निगम प्रशासन बीवीजी को नोटिस देकर सख्ती करने की बात कह रहा है. हेरिटेज नगर निगम में कंपनी पर मॉनिटरिंग की तैयारी कर रहा है. इसके लिए आईटी बेस सिस्टम तैयार किया जा रहा है. जिससे कचरा कलेक्शन करने वाली गाड़ियों पर मॉनिटरिंग की जा सके. साथ ही कंपनी को पाबंद किया जा रहा है कि कर्मचारियों को समय पर वेतन भत्ते दे. वहीं ग्रेटर नगर निगम ने कंपनी को संसाधनों में वृद्धि करने के निर्देश दिए गए हैं.
हालांकि बीवीजी कंपनी का सिस्टम फेल होने पर पहले ही 400 से ज्यादा नोटिस दिए जा चुके हैं. वर्तमान में दोनों नगर निगमों में 1500 से ज्यादा शिकायतें पेंडिंग हैं. आलम ये है कई क्षेत्रों में कचरे की गाड़ी भी नियमित नहीं पहुंचती और अब त्योहारी सीजन में ये समस्या नासूर बनती जा रही है.