जयपुर. बीवीजी कंपनी (BVG Company) के बकाया 276 करोड़ के भुगतान के बदले 20 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने के आरोप में न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे पूर्व मेयर सौम्या गुर्जर (Somya Gurjar) के पति राजाराम गुर्जर (Rajaram Gurjar) और कंपनी के प्रतिनिधि ओमकार सप्रे ने अपना वॉयस सैंपल (Voice Sample) देने से इनकार कर दिया है. मामले में एसीबी (ACB) ने अदालत में प्रार्थना पत्र पेश कर सैंपल की अनुमति मांगी थी.
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सुनवाई के दौरान राजाराम गुर्जर (Rajaram Gurjar) और ओमकार सप्रे (Omkar Sapre) को न्यायिक अभिरक्षा से एसीएमएम क्रम-2 अदालत में पेश किया गया. आरोपी पक्ष की ओर से एसीबी (ACB) के प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए कहा गया कि प्रकरण भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज हुआ है. ऐसे में सामान्य न्यायालय को एसीबी के प्रार्थना पत्र की सुनवाई का अधिकार नहीं है. इसके अलावा ACB के पास मूल ऑडियो और वीडियो के बजाए वायरल ऑडियो-वीडियो ही है, ऐसे में वे आवाज का मिलान कैसे कर सकते हैं.
अदालत ने आरोपी पक्ष के बयानों को खारिज करते हुए दोनों आरोपियों से सैंपल देने की इच्छा पूछी. इस पर दोनों आरोपियों ने सैंपल देने से इनकार कर दिया. वहीं, राजाराम की ओर से कहा गया कि संविधान के तहत किसी को स्वयं के खिलाफ साक्ष्य देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता.
दोनों का पक्ष सामने आने पर अदालत ने कहा कि उनका सैंपल नहीं देना ट्रायल में उनके खिलाफ जा सकता है. इसके साथ ही अदालत ने दोनों आरोपियों को पुन: न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया.
बता दें, साल 2017 में तत्कालीन महापौर अशोक लाहोटी ने राजधानी में BVG कंपनी के जरिए डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने की योजना की शुरुआत की थी. राजधानी में करीब 527 डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने वाली गाड़ियां संचालित हैं. इनमें से BVG की गाड़ियां महज 106 हैं, जबकि 421 गाड़ियां उन वेंडर्स की हैं जिन्हें BVG ने सबलेट किया है, जोकि नियम विरुद्ध है.
BVG कंपनी को नगर निगम प्रशासन ने जो काम सौंपा था, उसमें शर्तों की पालना नहीं हुई. बावजूद इसके BVG कंपनी ने अधूरे काम के 300 करोड़ से ज्यादा के बिल निगम को सौंप दिए. 100 फीसदी डोर टू डोर कचरा संग्रहण, कचरे का सेग्रीगेशन, हूपर्स में ट्रैकिंग सिस्टम, वेस्ट ट्रांसफर स्टेशन बनाकर मैकेनाइज सिस्टम से डंपिंग यार्ड तक कचरा पहुंचाने और शहर में ओपन कचरा डिपो हटाने जैसी शर्तों के साथ, BVG कंपनी को नगर निगम प्रशासन की ओर से काम सौंपा गया था, लेकिन इन शर्तों की पालना नहीं हुई. बावजूद इसके BVG कंपनी ने अधूरे काम के 300 करोड़ से ज्यादा के बिल निगम को सौंप दिए.
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बता दें, BVG कंपनी देश के 70 से ज्यादा शहरों में काम कर रही है और जिसका सालाना टर्नओवर 2000 करोड़ से ज्यादा का है. कंपनी का दावा है कि निगम पर 302 करोड़ का बकाया है, लेकिन लूप पोल ये है कि 2 वर्षों से कंपनी के काम की थर्ड पार्टी से निगरानी ही नहीं हुई. ऐसे में एक सवाल यह भी उठ रहा है कि जब बिलों का वेरिफिकेशन ही नहीं हुआ है, तो उसका भुगतान कैसे हो रहा है. बताया जा रहा है इसी बिल में से 276 करोड़ रुपए के बकाया भुगतान को लेकर कथित डील हुई. जिसके ऑडियो और वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए.