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हाईवे निर्माण कंपनी से रिश्वत का प्रकरण, बयान सार्वजनिक करने के मामले में जांच के आदेश

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Published : Feb 18, 2021, 8:47 PM IST

एसीबी मामलों की विशेष अदालत ने हाईवे निर्माण कंपनी से रिश्वत के मामले में एक गवाह के 164 के बयान सार्वजनिक करने को लेकर एसीबी को एक महीने में जांच कर रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

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बयान सार्वजनिक करने के मामले में जांच के आदेश

जयपुर. एसीबी मामलों की विशेष अदालत ने हाईवे निर्माण कंपनी से रिश्वत के मामले में एक गवाह के 164 के बयान सार्वजनिक करने को लेकर एसीबी को एक महीने में जांच कर रिपोर्ट पेश करने को कहा है. वहीं अदालत ने प्रकरण को लेकर मीडिया पर पाबंदी लगाने से इनकार कर दिया है. अदालत ने यह आदेश दौसा के तत्कालीन एसपी मनीष अग्रवाल के प्रार्थना पत्र पर दिए.

पढ़ें- बूंदी: नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी आजीवन कारावास की सजा, 50 हजार का अर्थदंड

आरोपी एसपी की ओर से अधिवक्ता विपुल शर्मा और अधिवक्ता माधव मित्र ने प्रार्थना पत्र पेश कर कहा कि गत 28 जनवरी को गवाह बलजीत सिंह के मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज हुए थे. जिन्हें लिफाफे में बंद कर एसीबी कोर्ट में भेजा गया. वहीं एक कॉपी जांच अधिकारी को दी गई थी. गत दिनों एक मीडिया हाऊस ने इन लेखबद्ध बयानों के हुबहु समान बताकर इस गवाह के बयान प्रकाशित किए गए हैं.

प्रार्थी के अधिवक्ता को भी मीडिया से जुड़े दूसरे व्यक्ति ने यह बयान उपलब्ध कराए हैं. जबकि सुप्रीम कोर्ट तय कर चुका है कि इन बयानों को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता, लेकिन जांच एजेंसी प्रार्थी की छवि खराब करने के लिए मीडिया रिपोर्टिंग करा रही है. इसलिए एसीबी को मीडिया रिपोर्टिंग से रोका जाए और जिस वरिष्ठ अधिकारी की पहल पर बयान सार्वजनिक हुए हैं, उसके खिलाफ जांच शुरू कर कार्रवाई की जाए.

जयपुर. एसीबी मामलों की विशेष अदालत ने हाईवे निर्माण कंपनी से रिश्वत के मामले में एक गवाह के 164 के बयान सार्वजनिक करने को लेकर एसीबी को एक महीने में जांच कर रिपोर्ट पेश करने को कहा है. वहीं अदालत ने प्रकरण को लेकर मीडिया पर पाबंदी लगाने से इनकार कर दिया है. अदालत ने यह आदेश दौसा के तत्कालीन एसपी मनीष अग्रवाल के प्रार्थना पत्र पर दिए.

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आरोपी एसपी की ओर से अधिवक्ता विपुल शर्मा और अधिवक्ता माधव मित्र ने प्रार्थना पत्र पेश कर कहा कि गत 28 जनवरी को गवाह बलजीत सिंह के मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज हुए थे. जिन्हें लिफाफे में बंद कर एसीबी कोर्ट में भेजा गया. वहीं एक कॉपी जांच अधिकारी को दी गई थी. गत दिनों एक मीडिया हाऊस ने इन लेखबद्ध बयानों के हुबहु समान बताकर इस गवाह के बयान प्रकाशित किए गए हैं.

प्रार्थी के अधिवक्ता को भी मीडिया से जुड़े दूसरे व्यक्ति ने यह बयान उपलब्ध कराए हैं. जबकि सुप्रीम कोर्ट तय कर चुका है कि इन बयानों को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता, लेकिन जांच एजेंसी प्रार्थी की छवि खराब करने के लिए मीडिया रिपोर्टिंग करा रही है. इसलिए एसीबी को मीडिया रिपोर्टिंग से रोका जाए और जिस वरिष्ठ अधिकारी की पहल पर बयान सार्वजनिक हुए हैं, उसके खिलाफ जांच शुरू कर कार्रवाई की जाए.

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