जयपुर. प्रदेश में एसीबी की ओर से रिश्वतखोरों के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया गया है. जिसके तहत जेसीटीएसएल के एमडी और सहायक लेखा अधिकारी को 4 लाख रुपए की रिश्वत राशि लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है. इसके साथ ही रिश्वत देने वाले दिल्ली के एक निजी ट्रांसपोर्ट कंपनी के संचालक को भी गिरफ्तार किया गया है.
इसके साथ ही निजी कंपनी के अकाउंटेंट को भी हिरासत में लिया गया है. वहीं, रिश्वतखोरों को रंगे हाथों गिरफ्तार करने के बाद एसीबी की एक अन्य टीम की ओर से रिश्वतखोरों के आवास और दफ्तर पर भी सर्च की कार्रवाई को अंजाम दिया जा रहा है. जिसमें करोड़ों रुपए की संपत्ति का खुलासा हुआ है. एसीबी डीजी बीएल सोनी ने बताया कि एसीबी को काफी लंबे समय से जेसीटीएसएल में भ्रष्टाचार की शिकायत मिल रही थी.
जिसके चलते कई महीनों से एसीबी की टीम जेसीटीएसएल के अधिकारियों पर नजर रखी हुई थी. जिसपर एसीबी टीम को सूचना मिली कि जेसीटीएसएल में निजी ट्रांसपोर्ट कंपनी की बसों को टेंडर के तहत लगाया गया है. इसमें निजी ट्रांसपोर्ट कंपनी को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए जेसीटीएसएल के एमडी की ओर से लाखों रुपए की डिमांड की जा रही है. इसके अलावा जेसीबी की ओर से पूरे प्रकरण की जांच की गई तो यह बात निकलकर सामने आई कि, जेसीटीएसएल के कार्यवाहक एमडी वीरेंद्र वर्मा ने 10 लाख रुपए की डिमांड की थी.
वहीं रिश्वत की राशि जेसीटीएसएल में संविदा पर लगे सहायक लेखाधिकारी महेश कुमार गोयल के जरिए ली जा रही है. जिस पर एसीबी टीम की ओर से कार्रवाई करते हुए 4 लाख रुपए के रूप में रिश्वत राशि की पहली किश्त लेते हुए जेसीटीएसएल के कार्यवाहक एमडी वीरेंद्र वर्मा और सहायक लेखा अधिकारी महेश कुमार गोयल को गिरफ्तार किया गया. इसके साथ ही रिश्वत राशि देने वाले निजी ट्रांसपोर्ट कंपनी के संचालक नरेश सिंगल को भी गिरफ्तार किया गया. वहीं, नरेश सिंघल के साथ कंपनी में काम करने वाले अनुज अग्रवाल को भी हिरासत में लिया गया है. जिसकी भूमिका के बारे में एसीबी की ओर से जांच की जा रही है.
100 सिटी बसों का टेंडर दिलाने व अन्य सुविधाओं के नाम पर मांगी गई घूस
एसीबी एडीजी दिनेश एमएन ने बताया कि जेसीटीएसएल के एमडी वीरेंद्र वर्मा की ओर से दिल्ली के एक निजी ट्रांसपोर्ट कंपनी पारस ट्रेवल्स के मालिक नरेश सिंगल से 100 सिटी बस का टेंडर दिलाने, 6 कमरों की जगह 10 कमरों का ऑफिस दिलाने, बोरिंग की सुविधा कराने, सरकार की तरफ से मिलने वाली सब्सिडी की दूसरी किश्त जल्दी दिलवाने और स्मार्ट सिटी के तहत अन्य लाभ दिलाने की एवज में 10 लाख रुपए की घूस मांगी गई. वीरेंद्र वर्मा वर्ष 2005 बैच के आरएएस अधिकारी हैं और एसीबी की ओर से रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया. उसके बाद उनके आवास के दफ्तर पर भी एसीबी की ओर से कार्रवाई को अंजाम दिया गया. इस दौरान 7 लाख रुपए नकद, 3 मंजिला मकान, एग्रीकल्चर लैंड और 3 प्लॉट के दस्तावेज सहित कई बैंक लॉकर की जानकारी एसीबी के हाथ लगी है. फिलहाल प्रकरण में एसीबी की जांच लगातार जारी है.