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राजस्थान का पहला जेरीऐट्रिक ऑन्कोलॉजी सेंटर बना बीएमसीएचआरसी, कैंसर के वृद्ध मरीजों के लिए होगी अलग उपचार पद्धति

भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एवं रिसर्च संस्थान में जेरीऐट्रिक ऑन्कोलॉजी सेंटर की शुक्रवार को शुरुआत की गई. इसके साथ ही कैंसर के वृद्ध मरीजों के लिए उपचार की अलग पद्धति भी अपनाई जाएगी.

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राजस्थान का पहला जेरीऐट्रिक ऑन्कोलॉजी सेंटर बना बीएमसीएचआरसी
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Published : Oct 1, 2021, 9:07 PM IST

जयपुर. राज्य के पहले जेरीऐट्रिक ऑन्कोलॉजी सेंटर की शुरुआत शुक्रवार को भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एवं रिसर्च संस्थान में की गई. जेरीऐट्रिक ऑन्कोलॉजी के तहत वृद्ध कैंसर रोगियों को उनकी शारीरिक स्थिति, क्षमता का आंकलन कर उपचार पद्वति का चयन किया जाएगा.

कैंसर उपचार की इस विधा की शुरूआत के मौके पर टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल मुम्बई की डॉ. वनिता नोरोन्हा ने जेरीऐट्रिक ऑन्कोलॉजी की आवश्यकता और इसके तहत उपचार में आने वाले बदलावों की जानकारी दी.

पढ़ें: प्रशासन गांव के संग अभियान का बहिष्कार का ऐलान, 11 हजार से ज्यादा सरपंच अभियान में नहीं होंगे शामिल

25 फीसदी कैंसर पेशेंट हैं वृद्ध

इंडियन कैंसर रजिस्ट्री के अनुसार देश में कुल कैंसर रोगियों में से 25% रोगी 75 वर्ष या उससे अधिक उम्र के हैं. इन रोगियों में स्तन, मुंह, फेफड़े, किडनी, लीवर और प्रोस्टेट कैंसर के मामले अधिक देखे जाते हैं. डॉ. वनिता ने बताया कि 75 वर्ष की उम्र में व्यक्ति के लिवर, हार्ट, किडनी जैसे कई अंगों की कार्यक्षमता प्रभावित हो जाती है. कैंसर उपचार के दौरान इन अंगों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना और उपचार में बदलाव लाना ही जेरीऐट्रिक ऑन्कोलॉजी है.

इस तरह होती है पहचान

चिकित्सालय में जेरीऐट्रिक ऑन्कोलॉजी के प्रमुख डॉ. ताराचंद गुप्ता ने बताया कि जेरीऐट्रिक ऑन्कोलॉजी के तहत रोगी की शारीरिक, मानसिक क्षमता का आंकलन एक प्रश्नावली के जरिए किया जाता है. इसमें डिप्रेशन, मैमोरी, न्यूट्रीशन जैसे कई विषयों से जुड़े बिंदुओं की विस्तुत जानकारी ली जाती है. मिली जानकारी का आकलन कर रोगी की जांच की जाती है और उपचार पद्धति का चयन किया जाता है.

पढ़ें: सांसद रंजीता कोली ने दिखाई मानवता: दो अलग-अलग सड़क दुर्घटनाओं में घायलों को अपनी गाड़ी से पहुंचाया अस्पताल

पेशेंट केयर टीम को अलग से प्रशिक्षिण

मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के निदेशक एवं प्रमुख डॉ. अजय बाफना ने बताया कि जेरीऐट्रिक ऑन्कोलॉजी के तहत उपचार और देखभाल उपलब्ध कराने के लिए टाटा मेमोरियल अस्पताल मुम्बई की टीम से प्रशिक्षण लिया जा रहा है. चिकित्सालय के अधिशासी निदेशक मेजर जनरल एससी पारीक ने बताया कि देश में जनसांख्यिकीय बदलाव आ रहे हैं. ऐसे में बच्चों की जनसंख्या कम और 60+ आयु वालों की जनसंख्या में बढ़ोतरी हुई है. उसके बावजूद देश में बच्चों और महिलाओं के लिए अलग से चिकित्सा व्यवस्था है पर वृद्ध लोगों के लिए अलग से कोई सेंटर नहीं है.

बीएमसीएचआरसी प्रदेश का पहला और देश का चौथा सेंटर

बीएमसीएचआरसी प्रदेश का पहला और देश का चौथा सेंटर है जो वृद्ध लोगों के लिए अलग से सेंटर की शुरूआत कर रहा है. इस मौके पर चिकित्साल के अध्यक्ष नवरतन कोठारी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनिला कोठारी भी मौजूद थे. उन्होंने बताया कि चिकित्सालय में आने वाले वृद्धजनों को कोई परेशानी न हो. इसे ध्यान में रखते हुए चिकित्सालय की ओर से इस सुविधा की शुरूआत की गई है.

जयपुर. राज्य के पहले जेरीऐट्रिक ऑन्कोलॉजी सेंटर की शुरुआत शुक्रवार को भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एवं रिसर्च संस्थान में की गई. जेरीऐट्रिक ऑन्कोलॉजी के तहत वृद्ध कैंसर रोगियों को उनकी शारीरिक स्थिति, क्षमता का आंकलन कर उपचार पद्वति का चयन किया जाएगा.

कैंसर उपचार की इस विधा की शुरूआत के मौके पर टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल मुम्बई की डॉ. वनिता नोरोन्हा ने जेरीऐट्रिक ऑन्कोलॉजी की आवश्यकता और इसके तहत उपचार में आने वाले बदलावों की जानकारी दी.

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25 फीसदी कैंसर पेशेंट हैं वृद्ध

इंडियन कैंसर रजिस्ट्री के अनुसार देश में कुल कैंसर रोगियों में से 25% रोगी 75 वर्ष या उससे अधिक उम्र के हैं. इन रोगियों में स्तन, मुंह, फेफड़े, किडनी, लीवर और प्रोस्टेट कैंसर के मामले अधिक देखे जाते हैं. डॉ. वनिता ने बताया कि 75 वर्ष की उम्र में व्यक्ति के लिवर, हार्ट, किडनी जैसे कई अंगों की कार्यक्षमता प्रभावित हो जाती है. कैंसर उपचार के दौरान इन अंगों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना और उपचार में बदलाव लाना ही जेरीऐट्रिक ऑन्कोलॉजी है.

इस तरह होती है पहचान

चिकित्सालय में जेरीऐट्रिक ऑन्कोलॉजी के प्रमुख डॉ. ताराचंद गुप्ता ने बताया कि जेरीऐट्रिक ऑन्कोलॉजी के तहत रोगी की शारीरिक, मानसिक क्षमता का आंकलन एक प्रश्नावली के जरिए किया जाता है. इसमें डिप्रेशन, मैमोरी, न्यूट्रीशन जैसे कई विषयों से जुड़े बिंदुओं की विस्तुत जानकारी ली जाती है. मिली जानकारी का आकलन कर रोगी की जांच की जाती है और उपचार पद्धति का चयन किया जाता है.

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पेशेंट केयर टीम को अलग से प्रशिक्षिण

मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के निदेशक एवं प्रमुख डॉ. अजय बाफना ने बताया कि जेरीऐट्रिक ऑन्कोलॉजी के तहत उपचार और देखभाल उपलब्ध कराने के लिए टाटा मेमोरियल अस्पताल मुम्बई की टीम से प्रशिक्षण लिया जा रहा है. चिकित्सालय के अधिशासी निदेशक मेजर जनरल एससी पारीक ने बताया कि देश में जनसांख्यिकीय बदलाव आ रहे हैं. ऐसे में बच्चों की जनसंख्या कम और 60+ आयु वालों की जनसंख्या में बढ़ोतरी हुई है. उसके बावजूद देश में बच्चों और महिलाओं के लिए अलग से चिकित्सा व्यवस्था है पर वृद्ध लोगों के लिए अलग से कोई सेंटर नहीं है.

बीएमसीएचआरसी प्रदेश का पहला और देश का चौथा सेंटर

बीएमसीएचआरसी प्रदेश का पहला और देश का चौथा सेंटर है जो वृद्ध लोगों के लिए अलग से सेंटर की शुरूआत कर रहा है. इस मौके पर चिकित्साल के अध्यक्ष नवरतन कोठारी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनिला कोठारी भी मौजूद थे. उन्होंने बताया कि चिकित्सालय में आने वाले वृद्धजनों को कोई परेशानी न हो. इसे ध्यान में रखते हुए चिकित्सालय की ओर से इस सुविधा की शुरूआत की गई है.

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