जयपुर. शहरी सरकार के चुनाव में इस बार जयपुर में भाजपा के लिए अपना परंपरागत गढ़ बचाना आसान नहीं होगा. अब तक जयपुर नगर निगम बोर्ड पर भाजपा का ही कब्जा रहा है, लेकिन इस बार दो नगर निगम बनने के बाद इस गढ़ में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने सेंध लगाने की तैयारी कर ली है. खास तौर पर हैरिटेज नगर निगम में विधायकों की दृष्टि से कांग्रेस का पलड़ा भारी है, तो वहीं ग्रेटर नगर निगम में बीजेपी थोड़ी मजबूत स्थिति में है.
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हैरिटेज नगर निगम के विधानसभा क्षेत्रों में इस तरह कमजोर है भाजपा
जयपुर हैरिटेज नगर निगम इस बार अस्तित्व में आएगा. इसमें कुल 100 वार्ड आते हैं और विधानसभा क्षेत्रों की यदि बात की जाए तो आदर्श नगर, हवामहल, किशनपोल, सिविल लाइंस का पूरा क्षेत्र और आमेर विधानसभा का आंशिक क्षेत्र इसमें शामिल है. पिछले विधानसभा चुनाव में इनमें से आमेर विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर बाकी अन्य विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का हाथ मजबूत रहा और कांग्रेस के प्रत्याशी ही विधायक चुनकर आए.
एकमात्र आमेर में भाजपा के डॉ सतीश पूनिया विजय रहे और आमेर क्षेत्र के केवल 4 वार्ड ही हैरिटेज नगर निगम में आते हैं, मतलब बेहद छोटा सा हिस्सा. वहीं सिविल लाइंस कांग्रेस विधायक प्रतापसिंह खाचरियावास सरकार में कैबिनेट मंत्री है, तो हवामहल विधायक डॉ. महेश जोशी सरकारी मुख्य सचेतक है. अब सरकार में रहकर निश्चित रूप से इन क्षेत्रों में उन्होंने विकास के काम भी करवाए होंगे और यहां इनका प्रभाव भी है और इसी प्रभाव का फायदा कांग्रेस को हैरिटेज नगर निगम के चुनाव में मिलने की उम्मीद है.
हवामहल किशनपोल और आदर्श नगर ऐसे विधानसभा क्षेत्र है. जहां पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अधिक है और परंपरागत रूप से ये कांग्रेस का वोट बैंक माना जाता हैं. मतलब साफ है कि जयपुर हैरिटेज नगर निगम पर भाजपा का कमल खिलाने के लिए बीजेपी को काफी पसीना बहाना पड़ेगा.
जयपुर नगर निगम ग्रेटर में थोड़ी मजबूत स्थिति में है भाजपा
वहीं जयपुर की दूसरी 150 वार्डों वाले नगर निगम ग्रेटर के सियासी समीकरणों की बात की जाए, तो यहां पर मालवीय नगर, सांगानेर, विद्याधर नगर, बगरू, और झोटवाड़ा विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इनमें मालवीय नगर, विद्याधर नगर और सांगानेर का लगभग पूरा शामिल है, वहीं बगरू झोटवाड़ा का एक बड़ा इलाका हिस्सा नगर निगम क्षेत्र में आता है. पिछले विधानसभा चुनाव में मालवीय नगर सांगानेर विद्याधर नगर में भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा और यहां कालीचरण सराफ डॉ. अशोक लाहोटी और नरपत सिंह राजवी विधायक बने. लेकिन बगरू में कांग्रेस की गंगा देवी और झोटवाड़ा में प्रदेश सरकार में कृषि मंत्री लालचंद कटारिया विजय रहे.
हालांकि 150 वार्डो वाले ग्रेटर नगर निगम में झोटवाड़ा में 22 और बगरू में 21 ही वार्ड है. मतलब बची हुई 3 विधानसभा क्षेत्र के 107 वार्डों में भाजपा की स्थिति मजबूत मानी जा सकती है, लेकिन इसमें भी कोई संशय नहीं कि प्रदेश में सरकार कांग्रेस की है और जहां पर भाजपा के विधायक भी है. वहां विकास कार्य बिना कांग्रेस नेताओं की मर्जी के नहीं होते. ऐसे में भले ही ग्रेटर नगर निगम जयपुर में भाजपा का पलड़ा थोड़ा भारी हो, लेकिन बीजेपी यहां पर भी आसानी से जीतकर अपना बोर्ड को महापौर बना लें इसके संभावना ज्यादा प्रबल नहीं मानी जा सकती.
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जयपुर के दोनों नगर निगमों में इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर
जयपुर में 2 नगर निगमों के चुनाव होंगे और इन दोनों ही नगर निगम में जो क्षेत्र आते हैं, वहां पर कांग्रेस और बीजेपी के कई दिग्गज है. जिनकी प्रतिष्ठा इन चुनाव में दांव पर लगी है. इनमें कांग्रेस के कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, लालचंद कटारिया सरकारी मुख्य सचेतक डॉ. महेश जोशी, विधायक अमीन कागजी और रफीक खान और गंगा देवी के नाम शामिल है. वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक डॉक्टर सतीश पूनिया पूर्व मंत्री, मौजूदा विधायक कालीचरण सराफ और नरपत सिंह राजवी के साथ ही विधायक डॉ अशोक लाहोटी का नाम शामिल है. यही कारण है की राजधानी जयपुर के नगर निगम हेरिटेज और ग्रेटर नगर निगम के चुनाव इस बार रोचक और दिलचस्प रहने वाले हैं.