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BJP in Rajasthan : इन जिलों-विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा की जड़ें कमजोर, बूथ मजबूती के लिए सांसद, विधायकों और पदाधिकारियों को बहाना होगा पसीना... - ETV Bharat Rajasthan News

आगामी चुनावों को लेकर भाजपा तैयारियों में जुट गई है. पार्टी ने मरुधरा में कमल खिलाने के लिए (BJP Mission 2023) बूथ मजबूती को जीत का मंत्र बनाया है, लेकिन कई जिलों और विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा की जड़ें कमजोर हैं. इन क्षेत्रों में जमीनी पकड़ मजबूत करने के लिए भाजपा सांसद, विधायक और पदाधिकारियों को पसीना बहाना होगा. देखिए जयपुर से ये रिपोर्ट...

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राजस्थान भाजपा
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Published : May 26, 2022, 3:40 PM IST

जयपुर. मिशन 2023 और साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में फतह हासिल करने के लिए भाजपा 'हमारा बूथ सबसे मजबूत' मंत्र पर काम कर रही है. देश भर में इसके लिए बीजेपी ने अपनी सबसे छोटी इकाई यानी बूथ को ए, बी, सी तीन श्रेणियों में बांटा है. राजस्थान में 'सी' श्रेणी में आने वाले सबसे कमजोर बूथों की मजबूती की जिम्मेदारी सांसद, विधायक व अन्य पदाधिकारियों को दी गई है. मौजूदा बूथों की स्थिति बताती है कि केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी और गजेंद्र सिंह शेखावत को अपने जिलों में बूथ मजबूती के लिए और पसीना बहाना पड़ेगा.

इन जिलों में भाजपा की जड़ें कमजोर, 'सी' कैटेगिरी के बूथ अधिक : भाजपा 31 जुलाई तक बूथ सशक्तिकरण अभियान चला रही है. इस दौरान बीजेपी का पूरा फोकस (BJP Booth Empowerment Campaign) जिलों और विधानसभा क्षेत्रों में आने वाले सबसे कमजोर बूथों को भाजपा की दृष्टि से मजबूत करने पर रहेगा. यदि पार्टी की दृष्टि से कमजोर जिलों की बात की जाए तो उनमें भरतपुर, दौसा, जैसलमेर, बाड़मेर, करौली, प्रतापगढ़, सीकर, टोंक और सवाई माधोपुर जिले प्रमुख हैं. वहीं, अलवर, चूरू, डूंगरपुर, धौलपुर, हनुमानगढ़ और जोधपुर जिले में भी सर्वाधिक कमजोर बूथ आ रहे हैं.

BJP Central Minister
भाजपा के केंद्रीय मंत्री...

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत व कैलाश चौधरी को देना होगा अधिक ध्यान : केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत जोधपुर से सांसद है और जोधपुर जिले की यदि बात की जाए तो यहां 10 विधानसभा सीटों में से 8 पर भाजपा के विधायक नहीं है. वहीं, सरदारपुरा, ओसियां, भोपालगढ़, बिलाड़ा, सहित कुछ विधानसभा क्षेत्रों में 'सी' के बूथ की संख्या अधिक है. हालांकि, पिछले कुछ महीनों में इस जिले में संगठनात्मक रूप से हुए कामकाज के चलते कई कमजोर बूथ जो पहले सी श्रेणी में थे अब 'बी' श्रेणी में आ गए हैं. वहीं, बाड़मेर जैसलमेर से सांसद और मोदी सरकार में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी को भी अपने संसदीय क्षेत्र में बूथ मजबूत करने के लिए काफी पसीना बहाना पड़ेगा.

पढ़ें : राजस्थान में सत्ता की चाबी तलाश रहा भाजपा आलाकमान, एसटी बाहुल्य सीटों पर कसरत शुरू

जैसलमेर में 2 विधानसभा सीट है, जहां बीजेपी का कमल पिछले चुनाव में नहीं खिल पाया. वहीं, बाड़मेर जिले की 7 विधानसभा सीटों में से एक मात्र सिवाना में ही भाजपा के विधायक हैं. यही कारण है कि दोनों ही जिलों में आने वाले अधिकतर विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी को बूथ मजबूती पर (Rajasthan BJP Booth Management) ज्यादा काम करना होगा. पार्टी के सर्वे में यहां काफी बूथ 'सी' केटेगरी के आए थे. केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के संसदीय क्षेत्र बीकानेर में बीजेपी की स्थिति बूथ के लिहाज से ना तो ज्यादा मजबूत है और ना ही कमजोर. मतलब यहां अधिकतर बूथ 'बी' श्रेणी में होना बताया जा रहा है. मतलब यहां मेघवाल और उनके साथी विधायकों को बूथ मजबूती पर काम करते हुए 'ए' कैटेगरी के बूथ पार्टी की दृष्टि से तैयार करने होंगे.

राजधानी जयपुर में बीजेपी को सभी बूथ 'ए' कैटेगरी में करने का लक्ष्य : प्रदेश में सत्ता का केंद्र जयपुर है और यहां पार्टी से जुड़े सभी प्रमुख नेता कुछ ना कुछ कार्यक्रम और संगठनात्मक गतिविधियां करते रहते हैं. बावजूद इसके, बीजेपी यहां कुछ विधानसभा क्षेत्रों में कमजोर है या फिर कहे यहां 'सी' कैटेगरी के बूथ भले ही कम हों, लेकिन अधिकतर बूथ 'बी' के हैं, जिन्हें 'ए' कैटेगिरी में लाने की चुनौतियां जयपुर सांसद और यहां से आने वाले विधायक व अन्य पार्टी पदाधिकारियों की है. हालांकि, आमेर, मालवीय नगर, सांगानेर, विद्याधर नगर, चौमूं, फुलेरा क्षेत्र में बूथ मजबूती के लिहाज से बीजेपी की स्थिति मजबूत बताई जा रही है. वहींं, सिविल लाइंस, झोटवाड़ा, विराटनगर,,बस्सी और हवा महल में भी बीजेपी ने पूर्व में 'सी' कैटेगरी में चल रहे बूथों को 'बी' कैटगिरी में कर लिया है. लेकिन किशनपोल, आदर्श नगर, जमवारामगढ़ और बगरू सहित कुछ विधानसभा में 'सी' कैटेगरी में चल रहे बूथ की मजबूती पर फोकस करना होगा.

JP Nadda
जेपी नड्डा...

इन विधानसभा क्षेत्रों में कमजोर बूथों की संख्या अधिक : विधानसभा वार यदि कमजोर बूथ की बात की जाए तो बताया जा रहा है कि रामगढ़, बानसूर, किशनगढ़ बास, बागीदौरा, अंता, बाड़मेर, पचपदरा, बयाना, कामां, भरतपुर, नगर, मांडल, सहाड़ा, खाजूवाला, कोलायत, बीकानेर पश्चिम, निंबाहेड़ा, सुजानगढ़, तारानगर और सरदार शहर के साथ ही दौसा, लालसोट, बांदीकुई, महुआ, राजाखेड़ा, चौरासी,सादुलशहर, नोहर, सांचौर, पोकरण, भोपालगढ़, सरदारपुरा, ओसियां, करौली, सपोटरा, टोडाभीम, सांगोद, कोटा उत्तर, जायल, खींवसर, धरियावद, खंडेला, बामनवास गंगापुर दातारामगढ़, लक्ष्मणगढ़, टोंक और वल्लभनगर विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी के कई बूथ अपेक्षाकृत बेहद कमजोर माने जा रहे हैं, जिन्हें मजबूत करने का टारगेट अब स्थानीय सांसद-विधायक व अन्य भाजपा पदाधिकारियों को पार्टी ने दिया है.

अभियान के बाद पार्टी करेगी फिर आंकलन जिसके आधार पर तैयार होगा रिपोर्ट कार्ड : बीजेपी 31 जुलाई तक बूथ सशक्तिकरण अभियान चलाएगी. इस दौरान प्रत्येक लोकसभा और राज्यसभा सांसद के साथ ही क्षेत्र के बीजेपी विधायक व अन्य जनप्रतिनिधियों को उनके क्षेत्र के अलग-अलग कमजोर बूथ की जिम्मेदारी दी जाएगी. बूथ की कमजोरी के कारण और उसे दूर करने के उपाय के साथ ही सुधार के लिए अलग-अलग प्रयास का काम किया जाएगा. बताया जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व अगले कुछ महीने बाद फिर बूथ स्तर पर सर्वे कर यह देखेगा कि अभियान के बाद किस बूथ को कितनी मजबूती मिली और अभियान का कितना असर हुआ. खास तौर पर जिन जनप्रतिनिधियों को जिन बूथों की जिम्मेदारी दी गई थी, उन्हें मजबूत करने में वो कितने सफल हुए. इसके आधार पर उनका परफॉर्मेंस रूपी रिपोर्ट कार्ड भी तैयार होगा.

पढ़ें : अपनी अनदेखी से नाराज हैं भाजपा विधायक, अब तैयार की जा रही अधिकारियों की सूची...

मोदी सरकार के मंत्री से लेकर सांसद तक करेंगे लगातार प्रवास : अभियान के दौरान मोदी सरकार के मंत्री और भाजपा के सांसद लगातार अलग-अलग क्षेत्रों में प्रवास भी करेंगे. ग्रामीण इलाकों में रात्रि विश्राम का भी उनका कार्यक्रम है. पार्टी का मकसद है कि यह जनप्रतिनिधि संबंधित क्षेत्र में रहकर कमजोर बूथ को मजबूत करने के लिए वो हर प्रयास करें, जिसके जरिए बीजेपी मिशन 2023 और फिर साल 2024 के लोकसभा चुनाव में कमल का फूल खिला सके. यही कारण है कि प्रवास के दौरान बीजेपी मोदी सरकार की योजनाओं को तो जनता के बीच लेकर जाएगी ही, साथ ही उनके लाभार्थियों से सीधा समाज पर उन्हें पार्टी से जोड़ने का प्रयास भी करेगी. जहां संगठनात्मक रूप से कमजोरी होगी उसे भी इसी दौरान दुरुस्त करने का प्रयास होगा.

जयपुर. मिशन 2023 और साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में फतह हासिल करने के लिए भाजपा 'हमारा बूथ सबसे मजबूत' मंत्र पर काम कर रही है. देश भर में इसके लिए बीजेपी ने अपनी सबसे छोटी इकाई यानी बूथ को ए, बी, सी तीन श्रेणियों में बांटा है. राजस्थान में 'सी' श्रेणी में आने वाले सबसे कमजोर बूथों की मजबूती की जिम्मेदारी सांसद, विधायक व अन्य पदाधिकारियों को दी गई है. मौजूदा बूथों की स्थिति बताती है कि केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी और गजेंद्र सिंह शेखावत को अपने जिलों में बूथ मजबूती के लिए और पसीना बहाना पड़ेगा.

इन जिलों में भाजपा की जड़ें कमजोर, 'सी' कैटेगिरी के बूथ अधिक : भाजपा 31 जुलाई तक बूथ सशक्तिकरण अभियान चला रही है. इस दौरान बीजेपी का पूरा फोकस (BJP Booth Empowerment Campaign) जिलों और विधानसभा क्षेत्रों में आने वाले सबसे कमजोर बूथों को भाजपा की दृष्टि से मजबूत करने पर रहेगा. यदि पार्टी की दृष्टि से कमजोर जिलों की बात की जाए तो उनमें भरतपुर, दौसा, जैसलमेर, बाड़मेर, करौली, प्रतापगढ़, सीकर, टोंक और सवाई माधोपुर जिले प्रमुख हैं. वहीं, अलवर, चूरू, डूंगरपुर, धौलपुर, हनुमानगढ़ और जोधपुर जिले में भी सर्वाधिक कमजोर बूथ आ रहे हैं.

BJP Central Minister
भाजपा के केंद्रीय मंत्री...

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत व कैलाश चौधरी को देना होगा अधिक ध्यान : केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत जोधपुर से सांसद है और जोधपुर जिले की यदि बात की जाए तो यहां 10 विधानसभा सीटों में से 8 पर भाजपा के विधायक नहीं है. वहीं, सरदारपुरा, ओसियां, भोपालगढ़, बिलाड़ा, सहित कुछ विधानसभा क्षेत्रों में 'सी' के बूथ की संख्या अधिक है. हालांकि, पिछले कुछ महीनों में इस जिले में संगठनात्मक रूप से हुए कामकाज के चलते कई कमजोर बूथ जो पहले सी श्रेणी में थे अब 'बी' श्रेणी में आ गए हैं. वहीं, बाड़मेर जैसलमेर से सांसद और मोदी सरकार में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी को भी अपने संसदीय क्षेत्र में बूथ मजबूत करने के लिए काफी पसीना बहाना पड़ेगा.

पढ़ें : राजस्थान में सत्ता की चाबी तलाश रहा भाजपा आलाकमान, एसटी बाहुल्य सीटों पर कसरत शुरू

जैसलमेर में 2 विधानसभा सीट है, जहां बीजेपी का कमल पिछले चुनाव में नहीं खिल पाया. वहीं, बाड़मेर जिले की 7 विधानसभा सीटों में से एक मात्र सिवाना में ही भाजपा के विधायक हैं. यही कारण है कि दोनों ही जिलों में आने वाले अधिकतर विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी को बूथ मजबूती पर (Rajasthan BJP Booth Management) ज्यादा काम करना होगा. पार्टी के सर्वे में यहां काफी बूथ 'सी' केटेगरी के आए थे. केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के संसदीय क्षेत्र बीकानेर में बीजेपी की स्थिति बूथ के लिहाज से ना तो ज्यादा मजबूत है और ना ही कमजोर. मतलब यहां अधिकतर बूथ 'बी' श्रेणी में होना बताया जा रहा है. मतलब यहां मेघवाल और उनके साथी विधायकों को बूथ मजबूती पर काम करते हुए 'ए' कैटेगरी के बूथ पार्टी की दृष्टि से तैयार करने होंगे.

राजधानी जयपुर में बीजेपी को सभी बूथ 'ए' कैटेगरी में करने का लक्ष्य : प्रदेश में सत्ता का केंद्र जयपुर है और यहां पार्टी से जुड़े सभी प्रमुख नेता कुछ ना कुछ कार्यक्रम और संगठनात्मक गतिविधियां करते रहते हैं. बावजूद इसके, बीजेपी यहां कुछ विधानसभा क्षेत्रों में कमजोर है या फिर कहे यहां 'सी' कैटेगरी के बूथ भले ही कम हों, लेकिन अधिकतर बूथ 'बी' के हैं, जिन्हें 'ए' कैटेगिरी में लाने की चुनौतियां जयपुर सांसद और यहां से आने वाले विधायक व अन्य पार्टी पदाधिकारियों की है. हालांकि, आमेर, मालवीय नगर, सांगानेर, विद्याधर नगर, चौमूं, फुलेरा क्षेत्र में बूथ मजबूती के लिहाज से बीजेपी की स्थिति मजबूत बताई जा रही है. वहींं, सिविल लाइंस, झोटवाड़ा, विराटनगर,,बस्सी और हवा महल में भी बीजेपी ने पूर्व में 'सी' कैटेगरी में चल रहे बूथों को 'बी' कैटगिरी में कर लिया है. लेकिन किशनपोल, आदर्श नगर, जमवारामगढ़ और बगरू सहित कुछ विधानसभा में 'सी' कैटेगरी में चल रहे बूथ की मजबूती पर फोकस करना होगा.

JP Nadda
जेपी नड्डा...

इन विधानसभा क्षेत्रों में कमजोर बूथों की संख्या अधिक : विधानसभा वार यदि कमजोर बूथ की बात की जाए तो बताया जा रहा है कि रामगढ़, बानसूर, किशनगढ़ बास, बागीदौरा, अंता, बाड़मेर, पचपदरा, बयाना, कामां, भरतपुर, नगर, मांडल, सहाड़ा, खाजूवाला, कोलायत, बीकानेर पश्चिम, निंबाहेड़ा, सुजानगढ़, तारानगर और सरदार शहर के साथ ही दौसा, लालसोट, बांदीकुई, महुआ, राजाखेड़ा, चौरासी,सादुलशहर, नोहर, सांचौर, पोकरण, भोपालगढ़, सरदारपुरा, ओसियां, करौली, सपोटरा, टोडाभीम, सांगोद, कोटा उत्तर, जायल, खींवसर, धरियावद, खंडेला, बामनवास गंगापुर दातारामगढ़, लक्ष्मणगढ़, टोंक और वल्लभनगर विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी के कई बूथ अपेक्षाकृत बेहद कमजोर माने जा रहे हैं, जिन्हें मजबूत करने का टारगेट अब स्थानीय सांसद-विधायक व अन्य भाजपा पदाधिकारियों को पार्टी ने दिया है.

अभियान के बाद पार्टी करेगी फिर आंकलन जिसके आधार पर तैयार होगा रिपोर्ट कार्ड : बीजेपी 31 जुलाई तक बूथ सशक्तिकरण अभियान चलाएगी. इस दौरान प्रत्येक लोकसभा और राज्यसभा सांसद के साथ ही क्षेत्र के बीजेपी विधायक व अन्य जनप्रतिनिधियों को उनके क्षेत्र के अलग-अलग कमजोर बूथ की जिम्मेदारी दी जाएगी. बूथ की कमजोरी के कारण और उसे दूर करने के उपाय के साथ ही सुधार के लिए अलग-अलग प्रयास का काम किया जाएगा. बताया जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व अगले कुछ महीने बाद फिर बूथ स्तर पर सर्वे कर यह देखेगा कि अभियान के बाद किस बूथ को कितनी मजबूती मिली और अभियान का कितना असर हुआ. खास तौर पर जिन जनप्रतिनिधियों को जिन बूथों की जिम्मेदारी दी गई थी, उन्हें मजबूत करने में वो कितने सफल हुए. इसके आधार पर उनका परफॉर्मेंस रूपी रिपोर्ट कार्ड भी तैयार होगा.

पढ़ें : अपनी अनदेखी से नाराज हैं भाजपा विधायक, अब तैयार की जा रही अधिकारियों की सूची...

मोदी सरकार के मंत्री से लेकर सांसद तक करेंगे लगातार प्रवास : अभियान के दौरान मोदी सरकार के मंत्री और भाजपा के सांसद लगातार अलग-अलग क्षेत्रों में प्रवास भी करेंगे. ग्रामीण इलाकों में रात्रि विश्राम का भी उनका कार्यक्रम है. पार्टी का मकसद है कि यह जनप्रतिनिधि संबंधित क्षेत्र में रहकर कमजोर बूथ को मजबूत करने के लिए वो हर प्रयास करें, जिसके जरिए बीजेपी मिशन 2023 और फिर साल 2024 के लोकसभा चुनाव में कमल का फूल खिला सके. यही कारण है कि प्रवास के दौरान बीजेपी मोदी सरकार की योजनाओं को तो जनता के बीच लेकर जाएगी ही, साथ ही उनके लाभार्थियों से सीधा समाज पर उन्हें पार्टी से जोड़ने का प्रयास भी करेगी. जहां संगठनात्मक रूप से कमजोरी होगी उसे भी इसी दौरान दुरुस्त करने का प्रयास होगा.

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