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आवासन मंडल संशोधन विधेयक के पारण पर भाजपा विधायकों की चूक से प्रतिपक्ष की हुई फजीहत

राजस्थान विधानसभा के भीतर प्रतिपक्ष के रूप में भाजपा विधायकों की कार्यशैली में एक बार फिर लापरवाही देखने को मिली. विधानसभा में आवासन मंडल संशोधन विधेयक के पारण के दौरान भाजपा विधायकों की गलती को नेता प्रतिपक्ष को स्वीकार करना पड़ा.

BJP in Assembly, जयपुर न्यूज
राजस्थान विधानसभा में प्रतिपक्ष की हुई फजीहत
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Published : Mar 12, 2020, 7:30 PM IST

जयपुर. राजस्थान विधानसभा के भीतर प्रतिपक्ष के रूप में भाजपा विधायकों की लचर कार्यशैली गुरुवार को जगजाहिर हो गई. सदन में राजस्थान आवासन मंडल संशोधन विधेयक के पारण के दौरान सदन में रखे गए संशोधनों का विरोध भाजपा विधायकों को ही भारी पड़ गया और आखिरकार सदन में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को पार्टी विधायकों की भूल को स्वीकार करना ही पड़ा.

राजस्थान विधानसभा में प्रतिपक्ष की हुई फजीहत

दरअसल राजस्थान आवासन मंडल संशोधन विधेयक के पारित होने के अंतिम समय में संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने कुछ संशोधन सदन के पटल पर रखकर उनकी जानकारी दी. जिस पर सदन में मौजूद प्रतिपक्ष के उपनेता राजन राठौर ने आपत्ति दर्ज कराई और कहा कि यह संशोधन तो सदन के सदस्यों को सरकुलेट किए बिना ही सदन में ले आए गए, जो नियमानुसार गलत है. सदन के सदस्यों के अधिकारों का हनन भी है.

राठौड़ की आपत्ति करने के साथ ही नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया सहित तमाम भाजपा के विधायक खड़े हो गए और उन्होंने बिना सदन के सदस्यों को संशोधन से जुड़ी पत्रावली सर्कुलेट किए बिना इन संशोधनों को सदन में रखने पर आपत्ति जताई. हालांकि इस दौरान मंत्री बीडी कल्ला ने कहा कि पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान भी इस प्रकार के संशोधन ऐसे ही सदन में आए हैं. अब भाजपा विधायकों को क्या आपत्ति है.

पढ़ें- गहलोत सरकार एक साल में नहीं दे पाई 75 हजार नौकरी, 35 हजार 200 पर अटका आंकड़ा

इस पर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि बिल्कुल सरकार का अधिकार है कि सदन में अंतिम समय पर भी कोई संशोधन लाकर किया जा सकता है, लेकिन उससे पहले सदन में मौजूद तमाम सदस्यों को उसकी एक-एक प्रति मुहैया कराना जरूरी है. लेकिन यहां ऐसा नहीं किया गया. इस बीच आसन पर मौजूद सभापति राजेंद्र पारीक ने कहा की लाए गए संशोधनों की कॉपी विधान सभा सचिवालय की ओर से सेट किए गए कागजों के साथ शामिल है और खुद उन्होंने वह कागज सदन में दिखाए. लेकिन नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया उनसे बहस करने लगे और बार-बार यही कहते नजर आए की विधायकों को संशोधन की कॉपी नहीं दी गई.

इस दौरान सदन में मौजूद शांति धारीवाल ने विधायकों को भेजी गई, पत्रावली के कागज दिखाएं और यह भी कहा कि जिस कागज में इस विधेयक पर बोलने के लिए 17 लोगों के नाम अंकित हैं. उसी कागज के पीछे के पृष्ठ पर यह संशोधन की जानकारी भी दी गई है, लेकिन भाजपा विधायक संपूर्ण पत्रावली देखकर सदन में नहीं आते.

पढ़ें-भरतपुरः अवैध हथियार बनाने की फैक्ट्री का पर्दाफाश, 72 हथियार जब्त और 4 आरोपी गिरफ्तार

मंत्री के कागज दिखाए जाने के बाद सदन में हंगामा कर रहे. भाजपा विधायकों में सन्नाटा छा गया, लेकिन प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने फिर सदन में खड़े होकर कहा कि आपने कागज तो दिया है, लेकिन सदन में परंपरा रही है. इसकी जानकारी भी देना चाहिए, लेकिन इस दौरान सदन में बैठे नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने भाजपा विधायकों की गलती को भांपते हुए खड़े होकर यह भी स्वीकार कर लिया कि हम कागज देखना भूल गए और यदि गलती हुई है तो इसे स्वीकार करने में कोई हर्ज नहीं है.

जयपुर. राजस्थान विधानसभा के भीतर प्रतिपक्ष के रूप में भाजपा विधायकों की लचर कार्यशैली गुरुवार को जगजाहिर हो गई. सदन में राजस्थान आवासन मंडल संशोधन विधेयक के पारण के दौरान सदन में रखे गए संशोधनों का विरोध भाजपा विधायकों को ही भारी पड़ गया और आखिरकार सदन में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को पार्टी विधायकों की भूल को स्वीकार करना ही पड़ा.

राजस्थान विधानसभा में प्रतिपक्ष की हुई फजीहत

दरअसल राजस्थान आवासन मंडल संशोधन विधेयक के पारित होने के अंतिम समय में संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने कुछ संशोधन सदन के पटल पर रखकर उनकी जानकारी दी. जिस पर सदन में मौजूद प्रतिपक्ष के उपनेता राजन राठौर ने आपत्ति दर्ज कराई और कहा कि यह संशोधन तो सदन के सदस्यों को सरकुलेट किए बिना ही सदन में ले आए गए, जो नियमानुसार गलत है. सदन के सदस्यों के अधिकारों का हनन भी है.

राठौड़ की आपत्ति करने के साथ ही नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया सहित तमाम भाजपा के विधायक खड़े हो गए और उन्होंने बिना सदन के सदस्यों को संशोधन से जुड़ी पत्रावली सर्कुलेट किए बिना इन संशोधनों को सदन में रखने पर आपत्ति जताई. हालांकि इस दौरान मंत्री बीडी कल्ला ने कहा कि पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान भी इस प्रकार के संशोधन ऐसे ही सदन में आए हैं. अब भाजपा विधायकों को क्या आपत्ति है.

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इस पर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि बिल्कुल सरकार का अधिकार है कि सदन में अंतिम समय पर भी कोई संशोधन लाकर किया जा सकता है, लेकिन उससे पहले सदन में मौजूद तमाम सदस्यों को उसकी एक-एक प्रति मुहैया कराना जरूरी है. लेकिन यहां ऐसा नहीं किया गया. इस बीच आसन पर मौजूद सभापति राजेंद्र पारीक ने कहा की लाए गए संशोधनों की कॉपी विधान सभा सचिवालय की ओर से सेट किए गए कागजों के साथ शामिल है और खुद उन्होंने वह कागज सदन में दिखाए. लेकिन नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया उनसे बहस करने लगे और बार-बार यही कहते नजर आए की विधायकों को संशोधन की कॉपी नहीं दी गई.

इस दौरान सदन में मौजूद शांति धारीवाल ने विधायकों को भेजी गई, पत्रावली के कागज दिखाएं और यह भी कहा कि जिस कागज में इस विधेयक पर बोलने के लिए 17 लोगों के नाम अंकित हैं. उसी कागज के पीछे के पृष्ठ पर यह संशोधन की जानकारी भी दी गई है, लेकिन भाजपा विधायक संपूर्ण पत्रावली देखकर सदन में नहीं आते.

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मंत्री के कागज दिखाए जाने के बाद सदन में हंगामा कर रहे. भाजपा विधायकों में सन्नाटा छा गया, लेकिन प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने फिर सदन में खड़े होकर कहा कि आपने कागज तो दिया है, लेकिन सदन में परंपरा रही है. इसकी जानकारी भी देना चाहिए, लेकिन इस दौरान सदन में बैठे नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने भाजपा विधायकों की गलती को भांपते हुए खड़े होकर यह भी स्वीकार कर लिया कि हम कागज देखना भूल गए और यदि गलती हुई है तो इसे स्वीकार करने में कोई हर्ज नहीं है.

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